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भदभदा बांध का निर्माण सन 1965 में हुआ था। यह मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित बड़े तालाब के दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित है। इस बांध में 11 विशालकाय दरवाजे हैं, जिनसे बड़े तालाब में पानी बढ़ने के बाद छोड़ा जाता है। मुख्य तौर पर इस बांध का पानी बढ़ने पर कलियासोत नदी की ओर छोड़ा जाता है। साल भर इस बांध के माध्यम से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को पीने का पानी उपलब्ध कराया जाता है। भदभदा बांध आमतौर पर बरसात के मौसम में ही ओवरफ्लो होता है। तब इसके गेट खोले जाते हैं। इस तालाब की फुल टैंक लेवल क्षमता 1666.80 फीट है। इस तालाब का निर्माण भोपाल के बड़े तालाब की जल संग्रहण क्षमता बढ़ाने के लिए किया गया था। वर्ष 1965 में भदभदा पर एक बांध बनाकर बड़े तालाब की जल संग्रहण क्षमता को बढ़ाया गया। इससे बड़े तालाब के पश्चिमी और दक्षिणी भागों के डूब क्षेत्र में वृध्दि हुई। बड़े तालाब का जल विस्तार क्षेत्र लगभग 31 वर्ग किलोमीटर है, जबकि छोटे तालाब का जल विस्तार क्षेत्र मात्र 1.29 वर्ग किलोमीटर है। इन तालाबों की औसत गहराई 6 मीटर है। कुछ स्थानों में गहराई 11 मीटर है। बड़े तालाब की जल संग्रहण क्षमता 1160 लाख घन मीटर है। यह पानी तालाब के जलग्रहण क्षेत्र में हुई वर्षा से आता है और अंतत: भोपाल के रहवासियों को घरों के नलों से पेयजल के रूप में उपलब्ध होता है। भोपाल के तालाबों के नीचे की चट्टानें डेल्टान ट्रैप बेसाल्ट प्रकार की हैं, जो ज्वालामुखियों के लावा के बहने और तुरंत ठंडा होने के कारण बनी हैं। जिस भूभाग में भोपाल का तालाब स्थित हैं, प्राचीन समय में उस भूभाग में काफी भूगर्भीय उथल-पुथल हुई थी।

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