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पटाखे चलाकर रवाना की ट्रेनें

-चार गाडिय़ों को निकालने में रेलवे के इंजीनियरिंग विंग द्वारा पटाखे चलाए गए, ताकि लोको पायलट अलर्टहो जाए  

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पटाखे चलाकर रवाना की ट्रेनें

चार गाडिय़ों को निकालने में रेलवे के इंजीनियरिंग विंग द्वारा पटाखे चलाए गए, ताकि लोको पायलट अलर्टहो जाए

ब्यावरा.शाम से ही छाए रहे कोहरे के कारणआवागमन प्रभावित हुआ। सड़क मार्ग के साथही रेलवे के परिवहन में भी इससे दिक्कत आई। ब्यावरा रेलवे स्टेशन की दृश्यता रात में ही 100 मीटर से ही कम रह गई। इसके चलते पटाखे चलाकर करीब चार से पांच ट्रेनों को रवाना किया गया। दरअसल, रेलवे के इंजीनियरिंग विंग द्वारा रविवार रात करीब पांच गाडिय़ां पटाखा चलाकर निकाली गईं।इंजीनियरिंग विभाग के कैलाशऔर मोतीलाल ने बताया कि दोनों और से आने वाली गाडिय़ों के लिएपटाखे चलाए गए। प्लेटफॉर्म के ऑटो सिग्नल के पास वे पहुंचे और वहां जाकर पटाखे चलाए, ताकि संबंधित लोको पायलट अलर्टहो जाएऔर उन्हें आभास हो जाए कि सिग्नल सही है और सही दिशा में हम जा रहे हैं। रविवार रात इंदौर-ग्वालियर-भिंड इंटरसिटी, भिंड-इंदौर इंटरसिटी, झांसी-बांद्रा एक्सप्रेस, इंदौर-देहरादून एक्सप्रेस और एक माल गाड़ीको निकालने के लिएपटाखे चलाना पड़े।

180 मीटर से नीचे होते ही चलाना पड़ते हैं पटाखे
रेलवे के इंजीनियरिंग तकनीकि नियमों के अनुसार विजुबिलिटी (दृश्यता) यदि 18 0 मीटर से कम हो तो इसे कम मान लिया जाता है। इस दायरे में कुछनजर नहीं आए तो इसे फॉग मान लिया जाता है। ब्यावरा स्टेशन पर 100 मीटर तक की दृश्यता रहने के कारणरात में सभी गाडिय़ां पटाखे चलाकर निकाली गई। पटाखे चलाने से पायलट अलर्ट हो जाते हैं और हादसे वैगरह नहीं होते। घना कोहरा छाया रहने के कारण मक्सी-रुठियाई ट्रेक पर चलने वालीं प्रमुख ट्रेनों की रफ्तार भी धीमी पड़ गई। काफी सावधानी के साथ ट्रेनें रवाना की गईं।

पटाखे चलाकर निकालीं गाडिय़ां
रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने रात के समय दृश्यता कम होने पर पटाखे चलाकर गाडिय़ां रवाना कीं। दृश्यता काफी कम होने के कारण रेलवे के नियमानुसार यह किया गया। इस सीजन का यह पहला मौका था जब ऐसी स्थिति बनीं। पांच गाडिय़ां रात में पटाखे चलाकर ही रवाना की गईं।

-पी. एस. मीना, स्टेशन मास्टर, ब्यावरा