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DEI संकट गहराया: अमेरिका में कंपनियां पीछे हट रहीं, भारत में नया डर!

DEI Rollback: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के आदेश से DEI प्रोग्राम बंद हो रहे हैं। भारतीय कंपनियां अमेरिकी क्लाइंट और भारतीय कानून के बीच फंसी हुई है।

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भारत

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MI Zahir

Oct 29, 2025

DEI Rollback

डोनाल्ड ट्रंप और डीईआई संकट। ( फोटो डिजाइन: पत्रिका)

DEI Rollback :अमेरिका की सबसे बड़ी HR संस्था SHRM ने DEI विरोधी (DEI Rollback ) रॉबी स्टारबक को सम्मेलन में बुलाया तो बवाल मच गया। हजारों सदस्यों ने सोशल मीडिया पर गुस्सा जाहिर किया, कई ने सदस्यता छोड़ने की धमकी दी। लेकिन SHRM के CEO जॉनी टेलर (Johnny Taylor) ने कहा, "हमें विरोधी आवाजें भी सुननी होंगी, ताकि कानूनी जोखिम से बचा जा सके।" ध्यान रहे कि डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) के जनवरी 2025 में सत्ता संभालते ही DEI को "अवैध" बताया गया था। तब 48 घंटे में कार्यकारी आदेश जारी किया गया था। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट व वॉल्मार्ट ने नस्लीय कोटे, सप्लायर डाइवर्सिटी प्रोग्राम बंद कर दिए। वकील डैन लेनिंगटन (Dan Lannington) बोले, "मेरी टारगेट लिस्ट अब खाली है।"

कानूनी जाल में फंसी कंपनियां, रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन का डर

अमेरिका में वेरिजॉन ने 20 अरब डॉलर का सौदा पाने के लिए DEI प्रोग्राम्स बंद किए, लेकिन कैलिफोर्निया ने इसे यह कहते हुए रोका कि ये सिविल राइट्स लॉज का उल्लंघन है। भारत में भी केंद्र और राज्य के बीच टकराव हो सकता है – केंद्र EODB (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) कहता है, जबकि राज्य समावेशी नीति मांगते हैं। रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन के केस बढ़ रहे हैं, जहां जनरल कैटेगरी के कर्मचारी दावा कर रहे हैं कि DEI पॉलिसी से उनका करियर प्रभावित हो रहा है।

DEI का नाम बदलाव, लेकिन मकसद वही

कंपनियां अब शब्दों को बदल रही हैं। "ब्लैक फाउंडर्स प्रोग्राम" की जगह "स्टार्टअप मेंटरशिप" और "महिला लीडरशिप" की जगह "टेलेंट डवलपमेंट" लिखा जा रहा है। भारत में भी यही ट्रेंड देखा जा रहा है। अनुपम शर्मा, एक HR हेड, कहते हैं, "ये DEI का अंत नहीं, नाम बदलाव है। भारत को स्किल-आधारित समावेश अपनाना चाहिए, न कि अमेरिकी कोटे।" लेकिन कर्मचारी और उपभोक्ता अभी भी सतर्क हैं। HUL, ITC जैसी कंपनियों पर सोशल मीडिया में #BoycottHUL ट्रेंड हो सकता है, अगर वे अमेरिकी नीतियों का पालन करें। इस बीच, ट्रम्प प्रशासन DEI को "इल्लीगल डिस्क्रिमिनेशन" बता रहा है, जबकि 1960s के सिविल राइट्स मूवमेंट से इसका कनेक्शन है।

भारत के लिए सबक: संतुलन की जरूरत

भारत को अमेरिका से सीखना चाहिए कि कैसे कानूनी और सामाजिक दबाव को संतुलित किया जाए। DEI नाम से बचो, लेकिन समावेशी नीति बनाओ। नस्ल-लिंग कोटे की जगह स्किल-आधारित भर्ती अपनाओ। कानूनी सलाह लो, ताकि अमेरिका और भारत दोनों में सुरक्षित रहो। टाटा, रिलायंस जैसी कंपनियां नई पॉलिसी ला रही हैं, जो "समावेशी संस्कृति" पर फोकस करेंगी, न कि DEI टर्म पर। लेकिन सुलगते सवाल बने रहेंगे – क्या भारतीय कोर्ट में रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन केस बढ़ेंगे? NASSCOM क्या गाइडलाइंस जारी करेगा? ये समय कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण है, जहां वे दोनों दुनियाों के बीच संतुलन तलाश कर रही हैं।

भारत में भी असर हुआ ?

भारत में इंफोसिस, TCS जैसी कंपनियां अमेरिकी क्लाइंट्स के लिए DEI रिपोर्ट देती हैं। अब क्लाइंट कह रहे हैं – "कोई नस्ल-लिंग आधारित टारगेट नहीं।" लेकिन भारत में POSH कानून, कंपनी एक्ट 2013 के तहत समावेशी नीति जरूरी। HR लीडर्स फंसे हैं – एक तरफ अमेरिकी दबाव, दूसरी तरफ भारतीय कानून है।

कर्मचारी गुस्सा, ग्राहक बायकॉट

टारगेट स्टोर्स ने DEI शब्द हटाया तो उपभोक्ता नाराज। बिक्री गिरी, शेयर 61 अरब से 43 अरब डॉलर पर। भारत में भी HUL, ITC अगर ऐसा करें तो सोशल मीडिया पर #BoycottHUL ट्रेंड हो सकता है।

कानूनी जाल में फंसी कंपनियां

वेरिजॉन ने 20 अरब डॉलर का सौदा पाने के लिए DEI बंद किया, लेकिन कैलिफोर्निया ने रोका। भारत में भी केंद्र vs राज्य का टकराव हो सकता है – केंद्र EODB कहता है, राज्य समावेशी नीति मांगते हैं।

DEI अब "समावेशी संस्कृति" बना

कंपनियां शब्द बदल रही हैं। "ब्लैक फाउंडर्स प्रोग्राम" की जगह "स्टार्टअप मेंटरशिप" है। भारत में भी "महिला लीडरशिप" की जगह "टेलेंट डवलपमेंट" लिखा जा रहा है।

भारत के लिए सबक

DEI नाम से बचो, लेकिन समावेशी नीति बनाओ। नस्ल-लिंग कोटे की जगह स्किल-आधारित भर्ती। कानूनी सलाह लो, ताकि अमेरिका और भारत दोनों में सुरक्षित रहो।

सुलगते सवाल

NASSCOM क्या DEI पर गाइडलाइंस जारी करेगा ?

क्या भारतीय कोर्ट में "रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन" केस बढ़ेंगे ?

टाटा, रिलायंस की नई DEI पॉलिसी कब आएगी ?

बहरहाल भारत में "रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन" का डर: जनरल कैटेगरी कर्मचारी सोशल मीडिया पर शिकायत कर रहे – "DEI से हमारा प्रमोशन रुका।" कुछ ने PIL की धमकी दी।

इनका कहना है

"ये DEI का अंत नहीं, नाम बदलाव है। भारत को स्किल-आधारित समावेश अपनाना चाहिए, न कि अमेरिकी कोटे।" – अनुपम शर्मा, HR हेड, बेंगलुरु।

(वॉशिंग्टन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है।)