पाकिस्तानी सेना द्वारा चलाया गया था सर्चलाइट ऑपरेशन का एक दृश्य (File Photo)
Pakistan Army Mass Gang Rape: भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से महिलाओं के अधिकारों के मामले में पाकिस्तान की धज्जियां उड़ाई। भारत ने पाकिस्तान को ऑपरेशन सर्चलाइट (Operation Searchlight) के दौरान 400,000 महिलाओं के नरसंहार और सामूहिक बलात्कार को लेकर चलाए गए अभियान की याद दिलाई।
दरअसल पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के मंच से कश्मीरी महिलाओं की "दुर्दशा" को उजागर करने का प्रयास करने की कोशिश कर रहा था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में महिलाओं और उनकी सुरक्षा को लेकर बहस के दौरान भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश (Parvathaneni Harish) ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि वह विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर के संबंध में "भ्रमपूर्ण हमले" जारी रख हुए है।
हरीश ने कहा, "महिलाओं, शांति और सुरक्षा के एजेंडे पर हमारा रिकॉर्ड बेदाग और अक्षुण्ण है। एक देश जो अपने ही लोगों पर बमबारी करता है। व्यवस्थित नरसंहार करता है। वह केवल गुमराह करने और अतिशयोक्ति से दुनिया का ध्यान भटकाने का प्रयास कर सकता है।" पिछले महीने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पाकिस्तानी वायुसेना के रात में किए गए हवाई हमले में बच्चों सहित 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि ने 1971 के ऑपरेशन सर्चलाइट का ज़िक्र किया। इस अभियान में पाकिस्तानी सेना ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में बंगालियों के ख़िलाफ़ क्रूर दमन शुरू किया था। इस अभियान के दौरान लाखों महिलाओं को हिरासत में लिया गया और उनके साथ बार-बार क्रूरता की गई।
पाकिस्तान के कुख्यात सैन्य कमांडर जनरल टिक्का खान (General Tikka Khan) की देखरेख में ऑपरेशन सर्चलाइट को अंजाम दिया गया था। पाकिस्तान के इस जनरल को अभियान के बाद लोगों ने 'बंगाल का कसाई' उपनाम दिया था।
जनरल टिक्का को पाकिस्तान सरकार ने 1971 के बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान क्रूरता की सारी हदें पार करने की छूट दे रखी थी। पाकिस्तान के जनरल ने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई को कुचलने के लिए सारे घृणित कदम उठाए, उनमें से एक कदम महिलाओं का सामूहिक बलात्कार भी था। भारत सरकार और भारतीय सेना के कौशल के चलते बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्ति मिली और एक नए देश का निर्माण हुआ। पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध में भारत के आगे ढाका में बिना शर्त के आत्मसमर्पण कर दिया था।
पाकिस्तान सरकार ने बंगालियों के आंदोलन को कुचलने के लिए 25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना उनपर क्रूर और बर्बर हमला करवाया। यह हमला 1971 में मई के मध्य तक चलता रहा। पाकिस्तानी सेना ने इसे 'ऑपरेशन सर्चलाइट' नाम दिया था। इस अभियान का उद्देश्य ढाका सहित तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में प्रतिष्ठित अवामी लीग के नेताओं, छात्र नेताओं और बंगाली बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार करना या उन्हें मारना था।
पाकिस्तान की सेना ने ऑपरेशन सर्चलाइट 26 मार्च 1971 को रात 1 बजे शुरू करना तय किया था लेकिन 25 मार्च 1971 की शाम को बांग्लादेश की आजादी के लड़ रही अवामी लीग के प्रमुख शेख मुजीबुर रहमान और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति याह्या खान के बीच हुई बैठक में कोई सकारात्मक और ठोस नतीजा नहीं निकला। इस बैठक के तत्काल बाद शेख मुजीबुर रहमान ने लोगों से एक व्यापक संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।
25 मार्च की रात को ही स्वतंत्रता-प्रेमी बंगालियों ने ढाका में विभिन्न स्थानों पर जोरदार प्रदर्शन किया। वहीं पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल टिक्का खान ने आंदोलन को कुचलने का आदेश दे दिया। जनरल टिक्का और जनरल एके नियाज़ी के जनसंपर्क अधिकारी मेजर सिद्दीक सलेक ने इस बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि बंगाली अपना मजबूत प्रतिरोध कर पाते, उससे पहले पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन का कार्यक्रम एक दिन आगे पहले यानी 25 मार्च की रात 11:30 बजे शुरू कर दिया। हालांकि पाकिस्तान सरकार द्वारा 5 अगस्त 1971 के प्रकाशित एक श्वेत पत्र में उल्लेख किया गया है कि अवामी लीग की 26 मार्च की सुबह सशस्त्र क्रांति करने की योजना थी।
Updated on:
07 Oct 2025 05:57 pm
Published on:
07 Oct 2025 04:01 pm
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