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केवल 9 साल की उम्र में खेतड़ी के राजा बन गए थे अजीत सिंह, स्वामी विवेकानंद का करते थे सहयोग

अजीत सिंह 1870 ई. में खेतड़ी के राजा बने, तब उनकी उम्र करीब नौ वर्ष थी। स्वामी विवेकानंद को शिकागो विश्वधर्म सम्मेलन में भेजने में राजा अजीत सिंह ने सहयोग किया था।

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अजीत सिंह

फोटो- पत्रिका नेटवर्क

अजीत सिंह की 164वीं जयंती: युवाओं के प्रेरणास्रोत रहे स्वामी विवेकानंद का हमेशा सहयोग करने वाले अजीत सिंह का जन्म 164 साल पहले 16 अक्टूबर 1861 को झुंझुनूं जिले के अलसीसर में हुआ था। उनके पिता का नाम छान्तु सिंह और माता उदावत थी। 6 वर्ष की उम्र होते - होते अजीत सिंह के ऊपर से माता-पिता का साया उठ गया।

स्वामी विवेकानंद व राजा अजीत सिंह के सम्बन्धों पर रिसर्च कर चुके डॉ. जुल्फिकार भीमसर के अनुसार खेतड़ी नरेश फतेह सिंह भी नि:सन्तान थे। मृत्यु पूर्व अलसीसर प्रवास के दौरान उन्होंने अजीत सिंह को देखा और अपना दत्तक पुत्र मान लिया था।

अजीत सिंह 1870 ई. में खेतड़ी के राजा बने, तब उनकी उम्र करीब नौ वर्ष थी। 15 वर्ष की आयु में उन्होंने रानी चम्पावत से शादी की। उनके एक बेटा जयसिंह और दो बेटियां सूर्य कुमारी व चंद्र कुमारी थी। खेतड़ी नरेश अजीत सिंह राजस्थानी राजाओं और प्रजाजनों में बड़े लोकप्रिय शासक थे।

डकैती पर लगाम लगाने के लिए खुलवाए थाने और चौकियां

राजा अजीत सिंह का काल खेतड़ी इतिहास का स्वर्णकाल रहा । अजीत सिंह योग्य प्रशासक, विद्वान, कवि एवं कला के उत्तम संरक्षक भी थे।

उन्होंने खेतड़ी में राजकीय अस्पताल, जुबली रोड़, नि:शक्त जनों के लिए नि: शुल्क रहने की व्यवस्था, डकैतियां एवं चोरी आदि घटनाएं रोकने के लिए आवश्यक स्थानों पर पुलिस चौकी और थाने स्थापित किए।

पूर्व में स्थापित थाने-चौकियों में पुलिस कर्मचारी और घुड़सवार उपलब्ध करवाए। कई बांधों और झीलों का निर्माण कार्य तथा जानवरों के लिए ठिकाने व चारे की व्यवस्था इत्यादि अनेक कार्य किए थे।

अजीत सिंह व विवेकानंद में समानता

राजा अजीत सिंह और स्वामी विवेकानंद दोनों गुरु - शिष्य में एक समानता थी। राजा अजीत सिंह की आयु अधिक नहीं रहीं। 18 जनवरी 1901 ई. को उत्तरप्रदेश के सिकंदरा में उनका देहांत हो गया।

अपने शिष्य की मृत्यु से स्वामीजी को बहुत दु:ख हुआ। अगले साल 4 जुलाई, 1902 ई. को वे भी ब्रह्मलीन हो गए। स्वामीजी ने स्वीकार किया कि उनकी सफलता में राजा अजीत सिंह का अत्यधिक योगदान था।

जब भी स्वामीजी की कीर्ति और यश का जिक्र किया जाएगा, तब राजा अजीत सिंह का नाम अवश्य लिया जाएगा। स्वामी विवेकानंद को शिकागो विश्वधर्म सम्मेलन में भेजने में राजा अजीत सिंह ने सहयोग किया था।

स्वामी विवेकानंद ने कहा था भारतवर्ष की उन्नति के लिए जो कुछ मैंने थोड़ा बहुत किया है, वह मैं नहीं कर पाता यदि राजा अजीत सिंह मुझे नहीं मिलते ।

  • राजा अजीत सिंह एक प्रकृत राजर्षि थे। उन्होंने खेतड़ी पर 31साल तक राज किया । वे बहुत शिक्षित, शिक्षाप्रचारक, न्यायपरायण, प्रजाहितसाधक पुरुषरत्न थे। वे नम्रता, नितिमत्ता, शिष्टाचार, क्षमा - शीलता, अतिथि - सत्कार - पारायणता में भी अद्वितीय थे।
  • डॉ. जुल्फिकार, भीमसर, विवेकानंद शोधकर्ता और लेखक