फोटो- पत्रिका नेटवर्क
Rajasthan News: राजस्थान के जैसलमेर में बीते मंगलवार को हुए भीषण बस अग्निकांड ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक प्राइवेट एसी स्लीपर बस में दोपहर करीब 3:30 बजे आग लगने से कम से कम 21 लोगों की जान चली गई, जबकि 16 अन्य यात्री गंभीर रूप से झुलस गए। इस हादसे परिवहन विभाग की लापरवाही और बसों में सेफ्टी मानकों की अनदेखी को भी उजागर किया है।
हादसे के बाद पहली FIR जैसलमेर के सदर थाने में दर्ज की गई है, जिसमें मृतक पत्रकार राजेंद्र चौहान के भाई ने बस मालिक और ड्राइवर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बस में आग लगने के बाद स्थिति इतनी भयावह हो गई कि यात्री बाहर निकलने के लिए छटपटाते रहे। बस में सवार 57 यात्रियों में से ज्यादातर लोग एकमात्र दरवाजे से बाहर निकलने की कोशिश में थे, लेकिन दरवाजा जाम हो गया। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि कुछ ही मिनटों में पूरी बस आग के गोले में तब्दील हो गई। कई यात्रियों ने खिड़कियां तोड़कर और कूदकर अपनी जान बचाने की कोशिश की, लेकिन अधिकांश लोग बाहर नहीं निकल सके। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कई शव एक-दूसरे के ऊपर चिपके हुए मिले।
हादसे में 10 साल के यूनुस ने भी जोधपुर के महात्मा गांधी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अस्पताल के अनुसार, तीन अन्य घायल मरीज अभी भी वेंटिलेटर पर हैं, और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। शवों की पहचान के लिए जोधपुर और जैसलमेर के अस्पतालों में डीएनए सैंपल लिए जा रहे हैं।
जवाहिर हॉस्पिटल में सैंपल कलेक्शन के लिए विशेष रूम बनाया गया है और परिजनों के डीएनए सैंपल्स जोधपुर की लैब में जांच के लिए भेजे जाएंगे। अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि सैंपल वेरिफिकेशन में सावधानी बरती जा रही है, और 24 घंटे में शवों की पहचान की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि बस में कई सेफ्टी मानकों की अनदेखी की गई थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बस भले ही नई थी, लेकिन इसमें न तो इमरजेंसी गेट था और न ही खिड़कियां तोड़ने के लिए विंडो हैमर। इसके अलावा, बस को कुछ साल पहले मॉडिफाई किया गया था, जिसमें ज्वलनशील सामग्री का इस्तेमाल किया गया था।
स्थानीय लोगों का दावा है कि बस की डिग्गी में पटाखे रखे थे, जिसके कारण आग इतनी तेजी से फैली। इसके अलावा, शॉर्ट सर्किट और एसी के कम्प्रेशर पाइप फटने की भी बात सामने आई है।
लोगों ने बताया कि बस में बाहर निकलने का रास्ता बेहद संकरा था और ज्वलनशील सामग्री के कारण आग ने विकराल रूप ले लिया। उन्होंने शॉर्ट सर्किट और एसी गैस लीकेज को आग फैलने का प्रमुख कारण बताया। कहना है कि अगर बस में इमरजेंसी एग्जिट और अन्य सेफ्टी उपकरण होते, तो शायद इतना बड़ा नुकसान नहीं होता।
हादसे की प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग लगने की मुख्य वजह बताया गया है। हालांकि, बस में ज्वलनशील सामग्री और संभावित रूप से पटाखों की मौजूदगी ने आग को और भड़काने का काम किया। परिवहन विभाग पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसी बस को सड़क पर चलने की अनुमति कैसे दी गई, जिसमें बुनियादी सेफ्टी मानकों का पालन नहीं किया गया था।
नियमों के अनुसार, हर स्लीपर बस में इमरजेंसी एग्जिट, विंडो हैमर, और अग्निशमन यंत्र होना अनिवार्य है, लेकिन इस बस में ये सभी सुविधाएं नदारद थीं।
हादसे के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटनास्थल का दौरा किया और पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने इस हादसे को बेहद दर्दनाक करार देते हुए घायलों के इलाज और मृतकों के परिजनों को सहायता का वादा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस त्रासदी पर दुख जताया और प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की।
वहीं, विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आरोप लगाया कि सरकार मौत के आंकड़े छिपा रही है और जिम्मेदारी तय करने के बजाय लापरवाही को ढकने में लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस हादसे की गहन जांच की मांग की है। उन्होंने सवाल उठाया कि एक नई बस में आग कैसे लगी और लपटें इतनी तेजी से कैसे फैलीं।
हादसे के तुरंत बाद स्थानीय ग्रामीणों और राहगीरों ने राहत कार्य शुरू किया। भारतीय सेना की 12वीं रैपिड डिवीजन की टीम ने भी मौके पर पहुंचकर पोकलेन मशीन और पानी के टैंकरों की मदद से आग बुझाने में सहयोग किया। हालांकि, तब तक कई लोग अपनी जान गंवा चुके थे। पुलिस अभी भी बस में सवार यात्रियों की सटीक संख्या का पता लगाने में जुटी है। बुकिंग एजेंट ने बताया कि गड़ीसर सर्किल पर बस में करीब 30 यात्री सवार थे, और बाद में कुछ और लोग चढ़े, लेकिन सटीक संख्या की पुष्टि के लिए जांच जारी है।
Updated on:
15 Oct 2025 07:35 pm
Published on:
15 Oct 2025 05:45 pm
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