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बिसरख का शिव मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसका काफी ऐतिहासिक महत्व है। मान्यता के अनुसार इस मंदिर की स्थापना रामायण काल में हुई थी। यह शिवमंदिर भारत के साथ-साथ श्रीलंका में भी प्रसिद्ध है। यहां शिवरात्रि और नवरात्रों पर विशेष पूजा&mdash;अर्चना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में मन से मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है। इस मंदिर की इतनी ख्याति है कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और एचडी देवगौड़ा भी यहां हाजिरी लगा चुके हैं। <strong>स्थापना</strong> मान्यता के अनुसार विशरवा ऋषि ने बिसरख में शिवलिंग की स्थापना की थी। यह शिवलिंग आज भी पूरे वैभव के साथ मंदिर में विराजमान है। वर्षो पूरानी इस शिवलिंग की गहराई आज तक कोई नहीं जान सका है। बताया जाता है कि शिवलिंग की गहराई जानने के लिए कई बार खुदाई भी की गई। लेकिन, उसकी गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सका। इस मंदिर में दूर-दूर से लोग पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। रावण की जन्मस्थली होने की वजह से आज भी बिसरख में रामलीला का मंचन और रावण के पूतले का दहन नहीं किया जाता है। <strong>प्रसिद्धि</strong> विष्णु संहिता के अनुसार बिसरख गांव को रावण का जन्मस्थली माना जाता है। यहीं रावण का बचपन गुजरा था। रावण का वंशज होने का दावा करने वाला जयलीथ आज भी अक्सर मंदिर आते हैं। इनका दावा है कि रावण उनके पूर्वज हैं और श्रीलंका में उन्होंने ही रावण के मंदिर की स्थापना करवाई थी। <strong>किवदंती</strong> जानकारी के मुताबिक, रावण मंदिर में स्थापित शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते थे। साथ ही उन्होंने बिसरख में ही शिव की तपस्या की थी। बताया जाता है कि भगवान शिव रावण की तपस्या से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने साक्षात रावण को दर्शन देकर मनमुताबिक वरदान दिया था। भगवान शिव से ही रावण ने बुद्धिमता और चतुरता का वरदान हासिल किया था। <strong>विशेष</strong> बिसरख के शिव मंदिर में अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना की गई थी। बताया जाता है कि अष्टभुजी शिवलिंग अकेली बिसरख गांव के शिव मंदिर में स्थापित है। इसी कारण इस मंदिर में दूर&mdash;दूर से लोग पूजा करने के लिए आते हैं। यहां शिवरात्रि और नवरात्रों में विशेष पूजा की जाती है। इस शिवलिंग की जो भी सच्चे मन से पूजा करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। <strong>मंदिर तक ऐसे पहुंचे</strong> दिल्ली से सटे गौतमबुद्धनगर के ग्रेनो वेस्ट स्थित बिसरख गांव में यह मंदिर है। यहां बस से सीधा पहुंचा जा सकता है। इसके अलवा दिल्ली के आनंद विहार की तरफ से आने वाले लोग बस लेकर गौड सिटी गोलचक्कर आ सकते हैं। इसके बाद में सूरजपुर रोड से बिसरख सीधा पहुंच सकते हैं। वहीं दिल्ली की तरफ से सेक्टर&mdash;37 होते हुए सूरजपुर के रास्ते भी बिसरख पहुंचा जा सकता है।

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