सिरसाली का होनहार सुनील बैरवा। पत्रिका फोटो
Rajasthan : बामनवास (गंगापुरसिटी) गांव की गलियों में जश्न की आतिशबाजी होनी थी, डीजे की धुन पर बारात-सा जुलूस निकलना था, पर हालात उलटे हैं…। हर आंख नम है और हर दिल भारी। वजह है सिरसाली का होनहार सुनील बैरवा, जो डेढ़ महीने पहले बीमारी से जिंदगी की जंग हार गए, लेकिन अब राजस्थान प्रशासनिक सेवा की अंतिम सूची में उनका 1150वीं रैंक के साथ चयन हुआ है।
संघर्ष और गरीबी से जूझकर हासिल की गई यह सफलता आज गर्व तो दे रही है, मगर साथ ही उस खालीपन का भी अहसास करा रही है, जिसे उनका परिवार और गांव कभी नहीं भर पाएगा। बीमारी के कारण 28 अगस्त को उनका निधन हो गया था। माता-पिता का कहना है ’अगर हमारा बेटा आज जीवित होता, तो हम भी अन्य चयनित बच्चों के परिवारों की तरह खुशियां मनाते।’
करीब डेढ़ माह पहले जवान बेटे की मौत का गम झेल रहे परिवार के जख्म आरएएस में चयन के बाद और गहरे हो गए हैं। परिवार के लोग गमजदा हैं। वे पहाड़ जैसे दुख को भूलने का प्रयास कर ही रहे थे कि अब बेटे का चेहरा फिर से सामने आने लगा है। परिवार के लोगों के बोल भी नहीं फूट पा रहे हैं।
25 वर्षीय सुनील अपने माता-पिता का एकलौता पुत्र था। परिवार में माता संतोष व पिता पप्पूलाल बैरवा के अलावा दादा-दादी भी जीवित हैं। वह अपने पीछे 22 वर्षीय पत्नी सपना और सात माह की बच्ची को छोड़ गए हैं। सपना भी वर्तमान में पढ़ाई कर रही हैं। राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयन की सूचना मिलते ही जहां एक ओर खुशियों का माहौल होना चाहिए था, वहीं परिवार में यह खबर और भी कोहराम लेकर आई।
Published on:
17 Oct 2025 08:35 am
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