यह चिड़ियाघर भारत के सर्वोत्तम चिड़ियाघरों में एक है। यह चिड़ियाघर सन 1971 में खुला था। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा चिड़ियाघर है। यह उत्तरप्रदेश के कानपुर शहर में स्थित है। यहां पर लगभग 1250 जीव-जंतु रहते हैं। कुछ समय पिकनिट के तौर पर बिताने और जीव-जंतुओं को देखने के लिए यह चिड़ियाघर एक बेहतरीन जगह है। जहां भरपूर मनोरंजन किया जा सकता है।
ब्रिटिश इंडियन सिविल सर्विस के सदस्य सर एलेन यहां पर फैले प्राकृतिक जंगलों में यह चिड़ियाघर खोलना चाहते थे पर ब्रिटिश काल में उनकी यह योजना जमीन पर नहीं उतर सकी। जब यह चिड़ियाघर भारत सरकार द्वारा सन 1971 में खोला गया तो इसका नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया।
इसके निर्माण कार्य में 2 वर्ष लगे थे और यह आम लोगों के लिए 4 फ़रवरी 1974 को खोला गया था। यहां का पहला जानवर उद्बीलाव था जो की चम्बल घाटी से लाया गया था। यहां पर बाघ, शेर, तेंदुआ, और विभिन्न प्रकार के भालू, लकड़बग्घा, गैंडा, लंगूर, वनमानुष, चिम्पान्ज़ी, हिरण समेत कई जानवर है। यहां पर अति दुर्लभ घड़ियाल भी हैं। हाल ही में यहां पर हिरण सफारी भी खोली गई है।
यहां पर जानवरों का ख्याल रखने के लिए एक अस्पताल भी है जहां पर हमेशा पशु चिकित्सक मौजूद रहते हैं। पॉलिथिन चिड़ियाघर के अंदर ले जाना सख्त मना है। वाहन भी ले जाए जा सकते है लेकिन इसका अतिरिक्त किराया देना पड़ता है। यहां प्रवेश करते ही एक बड़ी प्राकृतिक झील है। हालांकि रखरखाव की कमी के कारण यह सिकुड़ कर बहुत छोटे से इलाके में रह गई है।