Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Diwali 2025: दीपावली पर गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में चोपड़ा पूजन की धूम, क्या है यह परंपरा?

Diwali 2025: चोपड़ा पूजा गुजरात में प्रमुखतया मनाया जाता है लेकिन इसे राजस्थान और महाराष्ट्र में हिंदू व्यापारिक समुदाय भी मनाते हैं। यह परंपरा धन, ईमानदारी और वाणिज्य में ईश्वरीय मार्गदर्शन के प्रति गहरे सम्मान का प्रतीक है, जो पीढ़ियों से चली आ रही एक विरासत है।

3 min read
Chopada poojan 2025

चोपड़ा पूजन (Image: Perplexity

Diwali 2025: दीपावली का पर्व सोमवार को गुजरात में पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।

इस अवसर पर व्यापारी वर्ग ने अपने बहीखातों का पूजन किया। दीपावली पर पुराने चोपड़ों की पूजा के साथ-साथ नए बहीखाते भी खरीदे गए। व्यापारियों का कहना है कि डिजिटल युग में भी चोपड़ा पूजन की परंपरा का महत्व बरकरार है।

किस तारीख को होगा चोपड़ा पूजन?

दिवाली चोपड़ा पूजा जिसे मुहूर्त पूजन या चोपड़ा पूजन भी कहा जाता है, 21 अक्टूबर 2025 को दीपावली और लक्ष्मी पूजा के साथ मनाई जाएगी। यह पवित्र अनुष्ठान गुजराती व्यापारिक समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो समृद्धि, ज्ञान और दिव्य आशीर्वाद की प्रार्थना के साथ नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।

ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए खोले जाते हैं नए बही खाते

चोपड़ा पूजा एक प्राचीन गुजराती परंपरा है जिसमें श्रद्धालु अपने पेशेवर जीवन में सौभाग्य और सफलता के लिए देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और माँ शारदा की पूजा करते हैं। चोपड़ा शब्द पारंपरिक खाता बही को संदर्भित करता है जो वित्तीय रिकॉर्ड और व्यावसायिक अखंडता का प्रतीक है। पूजा के दौरान आने वाले वर्ष में समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद नए बही खाते खोले जाते हैं।

तकनीक बदल गई लेकिन परंपरा का महत्व बरकरार

लाखाजीरोड पर एक पुरानी पीढ़ी के मालिक ने बताया कि उनका परिवार चार पीढ़ियों से इस व्यवसाय में है और उन्हें कभी कोई कमी नहीं झेलनी पड़ी। उन्होंने कहा, “डिजिटल युग में भी लोग उत्साह के साथ चोपड़ा पूजन करते हैं। तकनीक बदल गई, लेकिन परंपरा का महत्व वही है।”

चोपड़ा पूजा मुहूर्त और महत्व

गुजरात में चोपड़ा पूजा करने के लिए शुभ समय तय करने में चौघड़िया मुहूर्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सबसे अनुकूल चौघड़िया समय में अमृत, शुभ, लाभ और चार मुहूर्त शामिल हैं, जिन्हें नए उद्यम या वित्तीय रिकॉर्ड शुरू करने के लिए आदर्श माना जाता है।

हालांकि, कई व्यावसायिक परिवार प्रदोष काल के दौरान लग्न-आधारित मुहूर्त का भी पालन करते हैं। दिवाली की रात लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे पवित्र समय होता है। इस दौरान चोपड़ा पूजा करने से पूरे वर्ष सद्भाव, आध्यात्मिक सुरक्षा और वित्तीय वृद्धि सुनिश्चित होती है।

चोपड़ा पूजन मुहूर्त 2025 : तारीख और समय

विवरणसमय / तिथि
चोपड़ा पूजामंगलवार, 21 अक्टूबर 2025
सुबह का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत)8:18 एएम से 01:08 एएम
शाम का मुहूर्त (लाभ)02:45 पीएम से 04:21 पीएम
रात्रि का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर)10:07 पीएम से 10:24 पीएम
अमावस्या की शुरूआत08:14 पीएम 20 अक्टूबर 2025
अमावस्या की समाप्ति10:24 पीएम 21 अक्टूबर 2025

दीवाली पर खरीदते हैं बहीखाते

वहीं, समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में व्यापारी कयूरी शाह ने बताया कि उनके यहां दीपावली पूजा से जुड़ी सामग्री और बहीखातों की पुस्तकें उपलब्ध हैं। लोगों में इसे खरीदने का रूझान भी देखने को मिल रहा है। इसे मैं एक शुभ संकेत के रूप में देखती हूं।

उन्होंने कहा, “डिजिटल युग में भी लोगों में किताबों और परंपराओं के प्रति रुझान कम नहीं हुआ। हमारे यहां बड़ी संख्या में युवा बहीखाते और पूजा सामग्री खरीदने आते हैं। हम चाहते हैं कि हमारी परंपराएं और अनुष्ठान हमेशा जीवित रहें।”

कयूरी ने इस बात पर जोर दिया कि दीपावली का यह पर्व न केवल व्यापारिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी आगे बढ़ाता है।

उन्होंने आगे कहा, ‘राजकोट के बाजारों में दीपावली की रौनक देखते ही बन रही है। व्यापारी और स्थानीय लोग इस पर्व को उत्साह के साथ मना रहे हैं। पूजन के साथ-साथ मिठाइयां, दीये और रंगोली जैसी परंपराएं भी शहर में जोर-शोर से नजर आईं।

उन्होंने कहा, “यह पर्व न केवल आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और परंपराओं को जीवित रखने का भी अवसर प्रदान करता है।”