चोपड़ा पूजन (Image: Perplexity
Diwali 2025: दीपावली का पर्व सोमवार को गुजरात में पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।
इस अवसर पर व्यापारी वर्ग ने अपने बहीखातों का पूजन किया। दीपावली पर पुराने चोपड़ों की पूजा के साथ-साथ नए बहीखाते भी खरीदे गए। व्यापारियों का कहना है कि डिजिटल युग में भी चोपड़ा पूजन की परंपरा का महत्व बरकरार है।
दिवाली चोपड़ा पूजा जिसे मुहूर्त पूजन या चोपड़ा पूजन भी कहा जाता है, 21 अक्टूबर 2025 को दीपावली और लक्ष्मी पूजा के साथ मनाई जाएगी। यह पवित्र अनुष्ठान गुजराती व्यापारिक समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो समृद्धि, ज्ञान और दिव्य आशीर्वाद की प्रार्थना के साथ नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
चोपड़ा पूजा एक प्राचीन गुजराती परंपरा है जिसमें श्रद्धालु अपने पेशेवर जीवन में सौभाग्य और सफलता के लिए देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और माँ शारदा की पूजा करते हैं। चोपड़ा शब्द पारंपरिक खाता बही को संदर्भित करता है जो वित्तीय रिकॉर्ड और व्यावसायिक अखंडता का प्रतीक है। पूजा के दौरान आने वाले वर्ष में समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद नए बही खाते खोले जाते हैं।
लाखाजीरोड पर एक पुरानी पीढ़ी के मालिक ने बताया कि उनका परिवार चार पीढ़ियों से इस व्यवसाय में है और उन्हें कभी कोई कमी नहीं झेलनी पड़ी। उन्होंने कहा, “डिजिटल युग में भी लोग उत्साह के साथ चोपड़ा पूजन करते हैं। तकनीक बदल गई, लेकिन परंपरा का महत्व वही है।”
गुजरात में चोपड़ा पूजा करने के लिए शुभ समय तय करने में चौघड़िया मुहूर्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सबसे अनुकूल चौघड़िया समय में अमृत, शुभ, लाभ और चार मुहूर्त शामिल हैं, जिन्हें नए उद्यम या वित्तीय रिकॉर्ड शुरू करने के लिए आदर्श माना जाता है।
हालांकि, कई व्यावसायिक परिवार प्रदोष काल के दौरान लग्न-आधारित मुहूर्त का भी पालन करते हैं। दिवाली की रात लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे पवित्र समय होता है। इस दौरान चोपड़ा पूजा करने से पूरे वर्ष सद्भाव, आध्यात्मिक सुरक्षा और वित्तीय वृद्धि सुनिश्चित होती है।
विवरण | समय / तिथि |
---|---|
चोपड़ा पूजा | मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025 |
सुबह का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) | 8:18 एएम से 01:08 एएम |
शाम का मुहूर्त (लाभ) | 02:45 पीएम से 04:21 पीएम |
रात्रि का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) | 10:07 पीएम से 10:24 पीएम |
अमावस्या की शुरूआत | 08:14 पीएम 20 अक्टूबर 2025 |
अमावस्या की समाप्ति | 10:24 पीएम 21 अक्टूबर 2025 |
वहीं, समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में व्यापारी कयूरी शाह ने बताया कि उनके यहां दीपावली पूजा से जुड़ी सामग्री और बहीखातों की पुस्तकें उपलब्ध हैं। लोगों में इसे खरीदने का रूझान भी देखने को मिल रहा है। इसे मैं एक शुभ संकेत के रूप में देखती हूं।
उन्होंने कहा, “डिजिटल युग में भी लोगों में किताबों और परंपराओं के प्रति रुझान कम नहीं हुआ। हमारे यहां बड़ी संख्या में युवा बहीखाते और पूजा सामग्री खरीदने आते हैं। हम चाहते हैं कि हमारी परंपराएं और अनुष्ठान हमेशा जीवित रहें।”
कयूरी ने इस बात पर जोर दिया कि दीपावली का यह पर्व न केवल व्यापारिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी आगे बढ़ाता है।
उन्होंने आगे कहा, ‘राजकोट के बाजारों में दीपावली की रौनक देखते ही बन रही है। व्यापारी और स्थानीय लोग इस पर्व को उत्साह के साथ मना रहे हैं। पूजन के साथ-साथ मिठाइयां, दीये और रंगोली जैसी परंपराएं भी शहर में जोर-शोर से नजर आईं।
उन्होंने कहा, “यह पर्व न केवल आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और परंपराओं को जीवित रखने का भी अवसर प्रदान करता है।”
Updated on:
20 Oct 2025 12:33 pm
Published on:
20 Oct 2025 12:29 pm
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