2जी स्पेक्ट्रम घोटाला भारत के बड़े घोटालों में से एक है,जो सन् 2011 के आरम्भ में प्रकाश में आया था। जब भारत के महालेखाकार और नियंत्रक ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए। जिनके अनुसार कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, जिसमें भारत के सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों का नुकसान हुआ था। अप्रैल 2011 में दाखिल चार्जशीट में सीबीआई ने कहा था कि '2जी स्पेक्ट्रम से जुड़े 122 लाइसेंस गलत तरीके से आवंटित किए गए, जिससे सरकारी खजाने को 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा।' सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2012 में सभी लाइसेंस रद्द कर दिए थे।इस मामले में ए राजा के अलावा मुख्य जांच एजेंसी सीबीआई ने सीधे-सीधे और कई बड़ी हस्तियों और कंपनियों पर मुख्य आरोप लगाए।