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लूणी ऑक्सीजॉन से 449.01 करोड़ की आय

650 करोड़ की यह योजना आफरी ने 2019 में बनाकर केन्द्र सरकार को भेज दी थी। ड्रेन योजना की स्वीकृति होती है तो रसायनिक पानी को ही ट्रीट कर वनीकरण का बड़ा कार्य हो सकता है।

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Photo- Patrika

बाड़मेर
जोधपुर, पाली, बालोतरा, बिठूजा और जसोल से निस्तारित हो रहे जहरीले रसायनिक पानी की ड्रेन कच्छ की खाड़ी तक बनती है तो यह सरकार की एक महत्ती योजना लूणी नदी वनीकरण को भी साकार कर सकती है। 650 करोड़ की यह योजना आफरी ने 2019 में बनाकर केन्द्र सरकार को भेज दी थी। ड्रेन योजना की स्वीकृति होती है तो रसायनिक पानी को ही ट्रीट कर वनीकरण का बड़ा कार्य हो सकता है।
अजमेर की नाग पहाडिय़ों से निकलने वाली लूनी नदी अजमेर, नागौर, जोधपुर, पाली, जालोर और बाड़मेर से बहती हुई गुजरात के कच्छ के रण में जाकर मिल जाती है। ये नदी प्रदेश के समस्त प्रवाह क्षेत्र के करीब 10.40 प्रतिशत भू भाग को कवर करती है। 495 किलोमीटर लम्बी ये नदी राजस्थान में 330 किमी तक बहती है।
योजना में यह था शामिल
आफरी की योजना में लूनी नदी के दोनों तरफ करीब दो-दो किलोमीटर में वन लगाकर मिट्टी का कटाव रोकना तय किया था। सहायक नदियां जोजरी, लीलड़ी, मीठड़ी, जवाई, खारी, सुकड़ी, बांडी और सागी नदियों को भी कवर करने की योजना बनी। वनों को घना बनाने के साथ ही जल तथा मृदा संरक्षण करना था। इससे क्षेत्र में रहने वाले लोगों की आजीविका में भी वृद्धि तो होगी ही, वन्यजीव संरक्षण भी हो सकेगा। ओरण और गोचर भूमि को उपचारित किया जाएगा।

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