
बाड़मेर.
प्रदेश में उद्योगों को कैप्टिव सौर ऊर्जा के लिए उत्पादन की सीमा को 100 से 200 प्रतिशत करने से बालोतरा, पाली, भीलवाड़ा के उद्योगों में अब सौर ऊर्जा आधारित कारखानों की संख्या मौजूदा से दुगुनी होने की उम्मीद हो गई है। अभी बालोतरा में 350 से अधिक सौर ऊर्जा आधारित कारखाने है। पाली, भीलवाड़ा और जोधपुर के भी सैकड़ोंं कारखाने है।
सौर ऊर्जा का केप्टिव पॉवर 100 से 200 प्रतिशत करने का फैसला राजस्थान विद्युत नियामक आयोग ने लिया गया है और इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इस बदलाव से उद्योगों को बिजली की लागत कम करने और अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।
यों समझें गणित
उद्योग अपनी खुद की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित कर सकते हैं । उस ऊर्जा का उपयोग अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर सकते हैं। वर्तमान में यदि किसी व्यापारी के 500 किलोवाट का कनेक्शन है। 500 किलोवाट का ही सोलार लगा सकता था। अब नए नियम में वह 200 प्रतिशत होते ही 1000 किलोवाट का सोलर प्लांट लगा सकेगा। सौर ऊर्जा से बिजली 3 रुपए प्रति यूनिट लागत आती है,जबकि सामान्य में 8 रुपए प्रति यूनिट आती है। ऐसे में 200 प्रतिशत होते ही व्यापारी को अपने प्लांट में अब 3 रुपए में बिजली मिल जाएगी।
कैप्टिव सौर ऊर्जा सीमा बढ़ाने का कारण
Published on:
09 Jun 2025 07:23 pm
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