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न्यूरो सर्जन न कोर्डियालिस्ट, कैंसर विशेषज्ञ भी कम, रोगी बढ़े, स्टाफ नहीं

- श्रीगंगानगर सरकारी मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी

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श्रीगंगानगर. श्रीगंगानगर की स्थापना हुए 98 साल पूरे हो गए, इस इलाके के बसने के बाद एक मात्र सरकारी मेडिकल कॉलेज का निर्माण हुआ है। इसमें एमबीबीएस की पढ़ाई भी शुरू हो गई, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के चलते मरीजों को वह मेडिकल सुविधाएं नहीं मिल पाई, जो मिलनी चाहिए थी। सरकारी मेडिकल कॉलेज बनने पर यह उम्मीद भी जगी थी कि अब मरीजों को रैफर होने से छुटकारा मिल जाएगा। यह उम्मीद भी पूरी नहीं हुई। सड़क दुर्घटना में किसी के सिर में गहरी चोटें आने पर उसे प्राइवेट अस्पताल में न्यूरो सर्जन की सेवाएं लेनी पड़ती है या फिर मरीज को बीकानेर, जयपुर या बठिंडा ले जाना पड़ता है। यही हाल ह्रदयरोग रोगियों का है। जिला कलक्टर और एसपी के पास भले ही डिग्री डॉक्टर की हो, लेकिन इस व्यवस्था को बदलने में वे भी बेबस नजर आ रही हैं। जिन लोगों पर सरकार के माध्यम से यह व्यवस्था करवाने की जिमेदारी है, उनकी सरकार तक इतनी पहुंच नहीं है कि मेडिकल कॉलेज को मेडिकल सुविधाओं से संपन्न कर दे। जिले में कैंसर रोगी लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन उपचार करने के लिए जिला अस्पताल में चार में से दो चिकित्सक रह गए है। दो को यहां से स्थानान्तरित कर दिया गया है। कैंसर हॉस्पिटल की सुविधा शुरू करने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों ने चुनावी रैलियों में दावे किए, लेकिन धरातल पर अब तक कुछ भी नहीं हुआ। जिला चिकित्सालय में लगातार रोगियों की संख्या बढ़ रही है। साल में भर में करीब साढ़े छह लाख रोगी उपचार कराने आ रहे हैं। अस्पताल में भर्ती रोगियों के लिए बेड की व्यवस्था पांच सौ तक पहुंचने के बाद भी नर्सिग स्टाफ की कमी जारी है। राजस्थान नर्सिग एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रवीन्द्र शर्मा का कहना है कि पूरे जिले से रोगी यहां आ रहे है। बेड की सुविधा बढ़ाने के साथ साथ नर्सिग स्टाफ, लैब, अटेंडेंट स्टाफ व अन्य जरूरी संसाधनों में इजाफा जरूरी है। गुणवत्ता पूर्ण उपचार के लिए समुचित सुविधाओं की जरूरत है। एक्सपर्ट डॉक्टर्स की कमी नजर आ रही है। हार्ट और न्यूरो रोगियों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी खलने लगी है।

स्वास्थ्य सुविधा
जिला चिकित्सालय एक
उप जिला चिकित्सालय तीन
सीएचसी 22
पीएचसी 57
यूपीएचसी 06
सब सेंटर्स 471
जनता क्लीनिक 24