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आतंक पर वार: दिल्ली से हैदराबाद तक जेएनयू और जामिया के एक्‍शन का असर, MANUU ने भी तुर्की से तोड़ा रिश्ता

Operation Sindoor: भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की का भारत भर में विरोध शुरू हो गया है। पहले जेएनयू फिर जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के बाद अब हैदराबाद की मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी ने तुर्की से संबंध खत्म कर लिए हैं।

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Operation Sindoor: दिल्ली से हैदराबाद तक जेएनयू और जामिया के एक्‍शन का असर, MANUU ने भी तुर्की से तोड़ा रिश्ता

Operation Sindoor: दिल्ली से हैदराबाद तक जेएनयू और जामिया के एक्‍शन का असर, MANUU ने भी तुर्की से तोड़ा रिश्ता (तस्वीर एआई से ली गई है।)

Operation Sindoor: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इस दौरान तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया। इसे आतंकवाद का सपोर्ट मानते हुए भारत में तुर्की के खिलाफ आक्रोश पनप रहा है। इसी कड़ी में पहले दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी ने तुर्की के साथ अपने शैक्षणिक संबंध तोड़ दिए। इसके बाद जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी ने भी तुर्की के साथ शैक्षणिक समझौता निरस्त करते हुए देश की एकता और अखंडता का संदेश दिया। दिल्ली से तुर्की के खिलाफ शुरू हुआ एक्‍शन अब हैदराबाद तक पहुंच गया है। जिसके बाद हैदराबाद स्थित मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) ने भी तुर्की के युनुस एमरे संस्थान (Yunus Emre Institute) के साथ किया गया शैक्षणिक समझौता तुरंत प्रभाव से रद कर दिया है।

हैदराबाद यूनिवर्सिटी का क्या है मामला?

दरअसल, हैदराबाद स्थित मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) ने जनवरी 2024 में तुर्की के युनुस एमरे संस्थान के साथ एक शैक्षणिक समझौता (MoU) किया था। इसके तहत विश्वविद्यालय के भाषा विभाग में तुर्की भाषा में डिप्लोमा कोर्स शुरू किया गया था। इस कोर्स को पढ़ाने के लिए तुर्की से एक अतिथि प्रोफेसर को बुलाया गया था। भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया। इससे भारत में तुर्की के खिलाफ आक्रोश फैल गया। इसी के चलते दिल्ली की जेएनयू और जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी ने बीते दिनों तुर्की के साथ किए गए शैक्षणिक समझौते रद कर दिए। इसके बाद अब हैदराबाद के मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) ने भी बयान जारी कर बताया कि उसने भी तुर्की के प्रोफेसर को वापस भेज दिया है। इसके साथ ही शैक्षणिक समझौता भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है।

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हैदराबाद की मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) ने अपने बयान में कहा है कि इस शैक्षणिक समझौते को भारत-पाकिस्तान तनाव और तुर्की द्वारा पाकिस्तान के आतंकी गतिविधियों के समर्थन के विरोध में रद किया गया है। इससे पहले दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) ने बुधवार को तुर्की के इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ किए गए MoU को निलंबित कर दिया था। यह समझौता फरवरी 2025 में तीन सालों के लिए हुआ था। इसके अगले ही दिन यानी गुरुवार को दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी ने भी कहा कि तुर्की सरकार से जुड़े किसी भी संस्थान के साथ किए गए सभी समझौते को तुरंत प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है।

तुर्की के खिलाफ देशभर में नाराजगी

भारत में तुर्की को लेकर इसलिए भी गुस्सा बढ़ा है, क्योंकि साल 2023 में जब तुर्की में बड़ा भूकंप आया तो भारत ने तुर्की की आर्थिक मदद की थी। इसके बावजूद तुर्की ने भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के आतंकवाद का साथ दिया। इसके बाद भारत के स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठनों ने तुर्की के उत्पादों और पर्यटन का बहिष्कार करने की मांग शुरू कर दी। तुर्की के खिलाफ भारतीय जनता में गुस्सा इस कदर बढ़ा है कि बीते दिनों गाजियाबाद के व्यापारियों ने भी तुर्की से मंगाए जाने वाले सभी फलों के ऑर्डर वापस ले लिए। इसके अलावा गुजरात और अन्य प्रदेशों में भी व्यापारी तुर्की के विरोध में उतर आए हैं।

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भारत सरकार ने तुर्की की एक ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी Celebi Airport Services India Pvt. Ltd. की सुरक्षा मंजूरी रद कर दी है। जो भारत के कई बड़े एयरपोर्ट पर काम कर रही थी। इसके साथ ही ऑनलाइन यात्रा प्लेटफॉर्म्स ने लोगों को तुर्की की यात्रा से बचने की सलाह दी और तुर्की पर्यटन से जुड़े प्रमोशन भी बंद कर दिए हैं। भारत के खिलाफ पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की के लिए लोगों में भारी ‌आक्रोश देखने को मिल रहा है। इसके चलते शैक्षणिक, व्यावसायिक और पर्यटन क्षेत्र में भारत अब तुर्की के खिलाफ सख्त प्रतिक्रिया दे रहा है।

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