भारतीय एयरस्पेस पाकिस्तानी विमानों के लिए बंद (File Photo)
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच भारत सरकार ने पाकिस्तानी विमानों, एयरलाइंस और सैन्य उड़ानों के लिए अपने एयरस्पेस (Airspace) को बंद रखने की अवधि एक महीने और बढ़ा दी है। यह प्रतिबंध अब 24 अक्टूबर 2025 तक प्रभावी रहेगा। भारतीय एविएशन अथॉरिटी ने सोमवार को नया 'नोटिस टू एयरमेन' (NOTAM) जारी कर इसकी आधिकारिक घोषणा की है।
यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुए द्विपक्षीय तनाव का हिस्सा है, जिसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के एयरस्पेस पर पाबंदी लगा दी थी। पहले यह प्रतिबंध 24 सितंबर तक समाप्त होने वाला था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर अक्टूबर के अंत तक जारी रखा गया है।
NOTAM के अनुसार, यह पाबंदी न केवल पाकिस्तानी एयरलाइंस (जैसे PIA) के नागरिक विमानों पर, बल्कि पाकिस्तानी रजिस्टर्ड सभी विमानों, लीज पर लिए गए विमानों और सैन्य उड़ानों पर लागू होगी। यदि कोई पाकिस्तानी विमान भारतीय एयरस्पेस में प्रवेश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पाकिस्तान ने भी इसी तरह भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस 24 अक्टूबर तक बंद रखने का फैसला किया है, जिससे यह 'टू-वे' पाबंदी बनी हुई है। हालांकि, दोनों देशों का एयरस्पेस अन्य अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस के लिए खुला है।
इस प्रतिबंध से दोनों पक्षों की एयरलाइंस को भारी नुकसान हो रहा है। मुख्य प्रभाव इस प्रकार हैं:
पक्ष | प्रभाव | नुकसान |
---|---|---|
भारतीय एयरलाइंस (एयर इंडिया, इंडिगो आदि) | पाकिस्तानी एयरस्पेस न इस्तेमाल करने से यूरोप, अमेरिका और मध्य एशिया जाने वाली उड़ानों का रूट लंबा हो गया। ईंधन खपत 20-30% बढ़ी, उड़ान समय 1-2 घंटे ज्यादा। | एयर इंडिया को सालाना 600 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त खर्च। किराए में 10-15% वृद्धि संभव। |
पाकिस्तानी एयरलाइंस (PIA) | भारतीय एयरस्पेस बंद होने से सिंगापुर, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया रूट्स पर घूमना पड़ रहा। चीन या अरब सागर वाले वैकल्पिक रूट अपनाने पड़ रहे। | PIA की परिचालन लागत 25% बढ़ी, यात्रा समय 2-3 घंटे ज्यादा। पहले से वित्तीय संकट में कंपनी की मुश्किलें और गंभीर। |
यात्री | यात्रा समय बढ़ने से असुविधा, किराए में इजाफा। दिल्ली-लंदन उड़ान अब 10 घंटे की बजाय 12 घंटे लेगी। | वैश्विक यात्रियों पर अप्रत्यक्ष असर, खासकर दक्षिण एशिया से यूरोप जाने वालों पर। |
एयर इंडिया ने सरकार से सब्सिडी मॉडल की मांग की है, जबकि PIA जैसी कंपनियां निजीकरण की कोशिशों के बावजूद कंगाली की कगार पर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रतिबंध 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे सैन्य अभियानों के बाद और तेज हुआ है, लेकिन इसका समाधान कूटनीतिक वार्ता से ही संभव है।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह फैसला 'राष्ट्रीय सुरक्षा' को ध्यान में रखकर लिया गया है। पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव कम होने के कोई संकेत नहीं हैं। यह प्रतिबंध तब तक जारी रहेगा जब तक दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य नहीं होते।
Published on:
23 Sept 2025 03:52 pm
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