CG Monsoon: मानसून में न केवल डेंगू-मलेरिया, बल्कि अस्थमा का खतरा भी बढ़ जाता है। नमी, आर्द्रता, वायरस, कवक, बैक्टीरिया, फफूंद और धूल के कण अस्थमा के मामलों को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में बरसात में भीगने से बचना चाहिए और अपने घर के अंदर उचित वायु-संचालन का ध्यान रखना चाहिए इस मौसम में बैक्टीरिया और वायरस आदि से सुरक्षा करना भी बेहद जरूरी होता है। यदि जरा सी लापरवाही बरती जाए तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
अस्थमा फेफड़ों की एक पुरानी बीमारी है, जिसे ब्रोन्कियल अस्थमा के नाम से भी जाना जाता है। यह तब होती है, जब वायुमार्ग के आसपास मौजूद मांसपेशियां कड़ी और संकीर्ण होने लगती हैं, जिससे सूजन होती है और बलगम पैदा होता है। इसके दौरान सीने में दर्द, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, थकावट, चक्कर आना, बोलते समय सांस फूलना और दिल की धडक़न तेज होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. बढ़ी हुई आद्रता इस स्वास्थ्य संबंधी समस्या को बढ़ाती है।
डॉ आरके चतुर्वेदी मानसून के दौरान नमी और आद्रता बढ़ जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। ऐसे में आपको अस्थमा से बचाव करने के लिए गर्म भोजन करना चाहिए। बरसात के मौसम में अपनी डाइट में गर्म खाद्य व पेय पदार्थ शामिल करने से गले को आराम मिलता है और श्वसन पथ साफ होता है। हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, पत्तागोभी, फूलगोभी, प्याज, शकरकंद, इडली और डोसा आदि मानसून के दौरान अस्थमा से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
बारिश के मौसम में आपको वायु प्रदूषण युक्त क्षेत्रों से दूरी बनाकर रहना चाहिए। ऐसा करने से आप एलर्जी से अपना बचाव कर सकेंगे, जिसके परिणामस्वरूप अस्थमा की रोकथाम भी हो जाएगी। इसके अलावा धूम्रपान करने से भी अस्थमा की परेशानी में इजाफा होता है और एलर्जी हो सकती है। मानसून के कारण जगह-जगह पर पानी भर जाता है, जिससे मच्छर और मक्खियां पनपने लगती हैं।
इनके कारण घर में गंदगी बढ़ जाती है और खाना दूषित हो जाता है। दीवारों में आई सीलन और घर में जमी हुई धूल भी अस्थमा की परेशानी को बढ़ा सकती है। ऐसे में आपको अपने घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए। हर हफ्ते बेडशीट और तकिया के कवर बदले और पूरे घर की धूल को अच्छी तरह से साफ करें।
कई अस्थमा से पीड़ित लोगों को गर्म हवा के जरिए आराम मिलता है। अस्थमा के लक्षणों से राहत पाने के लिए भाप लेना एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह फेफड़ों में सूजन को कम करता है और छाती से बलगम और जमाव को साफ करके सांस लेने में मदद करता है। जीरा, तुलसी या आवश्यक तेलों के साथ उबले हुए पानी से भाप लेने से ब्रोन्कोडायलेशन होता है, जिससे अस्थमा में आराम मिल सकता है।
Updated on:
30 Jul 2024 12:28 pm
Published on:
30 Jul 2024 12:07 pm