
जल जीवन मिशन में डूबे 5 लाख रुपए (Photo source- Patrika)
CG Water Crisis: बस्तर ब्लॉक के खोरखोसा व मावलीगुड़ा ग्राम पंचायतों में दीया तले अंधेरा जैसी स्थिति है। मैदानी क्षेत्र होने और राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित होने के बावजूद पेयजल की गंभीर समस्या से लोग परेशान हैं। ग्राम पंचायत मावलीगुड़ा के खूटीगुड़ा, ठोटिया पारा और ग्राम पंचायत खोरखोसा के बड़े पारा, सोरागुड़ा, सुकुलगुड़ा पारा में नलों की टोंटियां साल भर से सूखी पड़ी हुई हैं।
खोरखोसा में 2 ओवरहेड टंकियां पीएचई विभाग ने बनवाई हुई है, जिन्हें कोसारटेडा बांध के सालेमेटा स्थित फ़िल्टर प्लांट से कनेक्ट किया गया है। कुछ महीनों तक पानी की नियमित सप्लाई हुई, लेकिन रास्ते में पिपलावंड गांव के ग्रामीण पाइप लाइन का वाल्व बंद कर पानी खोरखोसा की टंकियों तक आने नहीं दे रहे हैं। इससे खोरखोसा और मावलीगुड़ा गांव की विभिन्न बसाहटों में करीब 6 हजार की आबादी पेयजल के लिए तरस रही है।
हैंडपम्पों और निजी बोरवेल भरोसे किसी तरह काम चलाया जा रहा है। गर्मी के दिनों में यह समस्या विकराल हो जाती है। ग्राम पंचायत खोरखोसा की सरपंच गीता मौर्य का कहना है कि खोरखोसा में एक पुराना व एक नया ओवरहेड टंकी तो है, लेकिन कोसारटेडा-सालेमेटा से पानी करीब साल भी से नहीं भेजा जा रहा है। इसके बारे में विभाग के अफसरों को कई बार जानकारी दे चुके हैं।
गांव के किनारे से बहने वाली मारकंडी नदी के किनारे खोरखोसा में फिल्टर प्लांट निर्माण कर पेयजल व्यवस्था करने की मांग की जा रही है। ऐसा हुआ तो न सिर्फ ग्राम पंचायत खोरखोसा, बल्कि आस-पास के अन्य पंचायतों को भी भरपूर पेयजल मिल सकेगा। ग्राम पंचायत मावलीगुड़ा के पूर्व उप सरपंच डमरू ठाकुर ने भी सालेमेटा से करीब साल भर से पानी नहीं मिलने पर रोष जताते कहा कि चपका व खोरखोसा के बीच आवर्धन नल जल योजना का फिल्टर प्लांट लगाया जाना चाहिए।
CG Water Crisis: ग्राम पंचायत मावलीगुड़ा के खुटीगुड़ा ठोटिया पारा में 3 साल पहले वर्ष 2022 में ओवरहेड टँकी का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। 50 लाख रुपये की लागत से बनने वाली इस टँकी के निर्माण से पहले पेयजल स्रोत का ध्यान नहीं रखा गया। पानी के बगैर इस टँकी का उपयोग नहीं हो पा रहा है, वहीं लोकार्पण से पहले ही इसमें दरारें पड़ने लगी है। इससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता और तकनीकी खामियां उजागर हो गई है।
स्थानीय ग्रामीण ठुनुराम बघेल व ललित ठाकुर ने बताया कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अफसर इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। गांव में 2-2 टंकियां हैं, लेकिन पानी का इंतजाम नहीं है। कोसारटेडा सालेमेटा से आने वाला पानी पिपलावंड में रोका जा रहा है। इस पर अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। चमरू कश्यप व जितेंद्र ठाकुर का कहना है कि जिला व ब्लॉक मुख्यालय के इतने नजदीक स्थित होने के बाद भी ग्रामीणों की समस्या का निराकरण नहीं हो रहा है।
CG Water Crisis: सरकार सिर्फ समस्या निवारण शिविर लगाकर खानापूर्ति करती है। जोगेंद्र ठाकुर, मुरली ठाकुर, लच्छिन कश्यप ने कहा कि खोरखोसा-1 व खोरखोसा-2 में ओवरहेड टँकी रहने के बाद भी पीएचई विभाग पानी की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है, जबकि यहां से डेढ़-दो किमी की दूरी पर मार्कण्डेय नदी बहती है, जिसमें सालभर पानी बहता रहता है। इसमें फ़िल्टर प्लांट स्थापना करने से खोरखोसा ही नहीं, बल्कि मावलीगुड़ा व आस-पास के अन्य गांवों को भी भरपूर पेयजल मिल सकता है। इससे सालेमेटा-कोसारटेडा पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
खोरखोसा बड़े पारा में पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों में प्रति परिवार 23-23 सौ रुपए चंदा एकत्र कर सब मर्सिबल पंप खरीदा है, जिससे एक बोरवेल का पानी निकालकर सामूहिक उपयोग कर रहे हैं।
Updated on:
24 Oct 2025 11:00 am
Published on:
24 Oct 2025 10:58 am
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