इंदौर। इंजीनियर डे भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती को समर्पित है, जिन्होंने अपने अदभुत, दूरदर्शिता और अथक परिश्रम से देश को आधुनिक इंजीनियरिंग की दिशा दी। यह दिन केवल एक महान इंजीनियर को नमन करने का अवसर नहीं है, बल्कि उन लाखों इंजीनियरों को सम्मान देने का दिन है जो चुपचाप समाज और देश की नींव को मजबूत कर रहे हैं।
एक सिविल इंजीनियर होने के नाते, मैं इस दिन को केवल एक उत्सव नहीं मानता, बल्कि इसे एक जिम्मेदारी की याद दिलाने वाला अवसर समझता हूं। हमारे लिए इंजीनियरिंग का मतलब सिर्फ मशीनें, पुल, इमारतें या सड़केंखड़ी करना नहीं है, बल्कि उन सपनों को ज़मीन पर उतारना है जिनसे समाज आगे बढ़ता है और लोगों का जीवन सरल, सुरक्षित और बेहतर बनता है।
आज जब हम सड़कों पर चलते हैं, किसी ऊँची इमारत में काम करते हैं, रेलवे ब्रिज पार करते हैं या किसी स्मार्ट सिटी का हिस्सा बनते हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि इसके पीछे सैकड़ों इंजीनियरों का पसीना, मेहनत और समर्पण छिपा होता है। सड़क से लेकर सैटेलाइट तक, बिजली से लेकर डिजिटल नेटवर्क तक, हर उपलब्धि के पीछे इंजीनियरों की मेहनत है।
इंजीनियर डे आजकल कॉलेजों और संस्थानों में सेमिनार, प्रोजेक्ट प्रदर्शनी, प्रतियोगिताएं और तकनीकी चर्चाओं के जरिए मनाया जाता है। यह सब छात्रों और युवा इंजीनियरों को प्रेरणा देने का अच्छा माध्यम है। उद्योग जगत भी इस दिन अपने उत्कृष्ट इंजीनियरों को सम्मानित करके उनके योगदान को सराहता है।
लेकिन मेरे विचार से इस दिन की असली सार्थकता तब होगी, जब हम केवल जश्न तक सीमित न रहकर, समाज की वास्तविक समस्याओं पर टिकाऊ समाधान खोजने का संकल्प लें। चाहे वह शहरी ट्रैफिक की समस्या हो, जल संकट हो, प्रदूषण हो या फिर आपदा प्रबंधन, इन सभी चुनौतियों का स्थायी हल इंजीनियरिंग सोच और तकनीक से ही निकल सकता है।
इंजीनियरिंग सिर्फ कैरियर नहीं, बल्कि सेवा है। यह हमारे देश को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने का साधन है। इंजीनियर डे हमें यही संदेश देता है कि हर इंजीनियर अपने ज्ञान और कौशल से समाज के लिए उपयोगी, सुरक्षित और स्थायी समाधान तैयार करे। यही असली श्रद्धांजलि होगी भारत रत्न विश्वेश्वरैया को और यही असली जिम्मेदारी है हम सभी इंजीनियरों की।