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इंदौर शहर है ऐतिहासिक धरोहरों का। यहां सदियों पुरानी कई ऐसी इमारतें हैं देखने को मिलती हैं। यहां मौजूद हर इमारत की अपनी ही एक कहानी है। महात्मा गांधी टाउन हॉल भी एक ऐसी ही ऐतिहासिक धरोहर है। कहा जाता है कि आजादी के बाद यही वो एकमात्र इमारत थी, जो समय बताती थी। इसे घंटाघर भी कहा जाता है। यह जगह पर्यटकों और इतिहास को जनने वालों के लिए है।यह है तो ऐतिहासिक धरोहर पर पूरे साल यहां कोई न कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं। इस इमारत को १९०४ में बनाया गया था, तब इसका नाम किंग एडवर्ड हॉल था पर सन् 1947 में देश स्वतंत्र होने के बाद इसका नाम गांधी हाल कर दिया गया। इस हॉल का निर्माण प्रसिद्द वास्तुकार स्टीवेंसन ने किया था। इसके ऊपर राजपुताना शैली में गुंबद और मीनारे बनी हुई है। यह भवन सफेद सिवनी और पाटन के पत्थरों से बनाश था है इसे इन्डोगोथिक शैली में बनाया गया है। इसके अंदर की बात करें तो इसकी छत में प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल किया गया था। इसका फर्श काले और सफेद संगमरमर से बना है, इसमें बीच की मीनार चोकोर आकार में बनी है और उसके उपरी हिस्से में चारों और घड़ी है, यहां बड़ी सी घड़ी होने के कारण इसे घंटाघर भी कहते है। इसके निर्माण की लागत 2.50 लाख रुपए थी और इसका उदघाटन नवंबर, 1905 में प्रिंस ऑफ़ वेल्स (जार्ज पंचम) द्वारा किया गया था। हॉल में पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण एक घड़ी टॉवर है। चारों तरफ मुंह वाला यह टॉवर हॉल के बीचों-बीच में स्थित है और एक गुंबद से घिरा है। हॉल में बच्चों के लिए पार्क और एक पुस्तकालय भी है।

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