
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी (Photo-IANS)
ASEAN Summit 2025: मलेशिया में आसियान शिखर सम्मेलन की शुरुआत हो गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शनिवार को मलेशिया पहुंचे। मलेशिया एयरपोर्ट पर धूमधाम से उनका स्वागत किया गया। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वह थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संघर्ष को समाप्त करने में मलेशिया की भागीदारी के लिए पीएम इब्राहिम अनवर को धन्यवाद देने के लिए कुआलालंपुर में रुक रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि कंबोडिया और थाईलैंड के बीच एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति समिट के मुख्य मंच का हिस्सा नहीं बनेंगे, बल्कि इससे इतर द्विपक्षीय बैठक करेंगे।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सम्मेलन में मलेशिया नहीं जाएंगे, बल्कि वे आज होने वाले सत्र में वर्चुअल माध्यम से भाग लेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर बताया कि उन्होंने मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से बात की और आसियान की अध्यक्षता संभालने पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने सम्मेलन की सफलता की कामना करते हुए भारत-आसियान के व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का संकल्प दोहराया। इस समिट में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर हिस्सा लेंगे।
आसियान (Association of Southeast Asian Nations) दक्षिण-पूर्वी एशिया के 10 देशों (इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार, कंबोडिया) का क्षेत्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 1967 में हुई। इसका उद्देश्य आर्थिक विकास, क्षेत्रीय शांति, और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना है। आसियान संगठन मुक्त व्यापार क्षेत्र (AFTA) और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) जैसे समझौते व्यापार को बढ़ावा देता है।
सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने X पर लिखा कि पीएम मोदी का मलेशिया न जाना इस रूप में देखा जा रहा है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं। अमेरिका ने अभी भारत पर भारी भरकम टैरिफ लगाया हुआ है। पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति से तभी मुलाकात करना चाहेंगे जब भारत-अमेरिका व्यापार समझौता का मसौदा तैयार हो जाएगा।
इस मामले पर भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के मलेशिया न जाने के फैसले का बचाव किया है। कंवल सिब्बल ने कहा कि अगर पीएम मोदी कुआलालंपुर जाते तो ट्रंप के साथ बैठक करनी पड़ती. ट्रंप की अप्रत्याशित और बेतुकी बातें राजनीतिक जोखिम पैदा करती।
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार हर्ष वी पंत ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री ट्रंप से सीधे मिलते अमेरिकी राष्ट्रपति सार्वजनिक मंच पर कुछ भी कह देते। इससे बचने के लिए ही पीएम मोदी ने यह फैसला किया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी के मलेशिया न जाने के फैसले पर सवाल उठाया है। जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का सामना नहीं करना चाह रहे हैं।
जयराम ने कहा कि सोशल मीडिया पर अमेरिकी राष्ट्रपति की तारीफ करना अलग बात है, लेकिन उनसे आमना-सामना करना दूसरी बात है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि पीएम मोदी के मलेशिया नहीं जाने की वजह साफ है, वह राष्ट्रपति ट्रंप के सामने नहीं आना चाहते, जो वहां मौजूद होंगे। इसी कारण वह मिस्त्र भी नहीं गए थे।
Published on:
26 Oct 2025 10:14 am
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