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अंता उपचुनाव में निर्दलीयों के सहारे BJP? वसुन्धरा राजे के बेटे को क्यों बनाया चुनाव प्रभारी? जानें इनसाइड स्टोरी

Anta Assembly By-election: राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सभी दल प्रचार-प्रसार में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

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Vasundhara Raje and Dushyant Singh

पत्रिका फाइल फोटो

Anta Assembly By-election: राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सभी दल प्रचार-प्रसार में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। बीजेपी ने भी इस उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बनाते हुए अपनी रणनीति को और मजबूत किया है। बीते शुक्रवार को पार्टी ने चुनाव संचालन समिति की घोषणा की है।

इसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे और झालावाड़-बारां सांसद दुष्यंत सिंह को चुनाव प्रभारी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ ही, कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल को प्रभारी मंत्री और विधायक श्रीचंद कृपलानी को सह प्रभारी बनाया गया है।

हालांकि, इस समिति में निर्दलीय विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या का नाम शामिल होने से सियासी हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार, चन्द्रभान सिंह को प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी सौंपे जाने से पार्टी के भीतर कुछ असंतोष की आवाजें भी उठ रही हैं। यह सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी को अब निर्दलीय विधायकों का सहारा लेना पड़ रहा है? क्या पार्टी अपने विधायकों के दम पर अंता में जीत हासिल करने में सक्षम नहीं है?

दुष्यंत सिंह की नियुक्ति के सियासी मायने

अंता विधानसभा सीट झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जिसका प्रतिनिधित्व दुष्यंत सिंह करते हैं। ऐसे में उनकी नियुक्ति को स्वाभाविक माना जा रहा है। लेकिन इस निर्णय के पीछे गहरे राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। यह उपचुनाव बीजेपी के लिए, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है।

बता दें, वसुंधरा राजे का यह गढ़ माना जाता है और दुष्यंत की नियुक्ति उनकी क्षेत्रीय पकड़ और प्रभाव को और मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। दूसरी ओर, अंता उपचुनाव इस बात का भी संकेत देगा कि पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन किस दिशा में जा रहा है। इस सीट पर जीत बीजेपी के लिए संगठनात्मक एकता और नेतृत्व की क्षमता का संकेत होगी।

यहां देखें वीडियो-


चुनाव समिति में 11 सांसद-विधायक शामिल

बीजेपी ने अंता उपचुनाव के लिए एक मजबूत चुनाव संचालन समिति गठित की है, जिसमें दो सांसद, नौ विधायक और दो मंत्रियों को शामिल किया गया है। इस समिति में राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, कैबिनेट मंत्री मंजू बाघमार, विधायक राधेश्याम बैरवा, सुरेश धाकड़, विश्वनाथ मेघवाल, अनिता भदेल, प्रताप सिंघवी, चन्द्रभान सिंह आक्या, ललित मीणा और पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंघल को प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी दी गई है।

इसके अलावा, जिला प्रभारी छगन माहुर को सह प्रभारी बनाया गया है। यह समिति बूथ स्तर तक रणनीति को लागू करने और स्थानीय समीकरणों को साधने में अहम भूमिका निभाएगी। बीजेपी ने इस समिति के जरिए मतदाताओं तक अपनी पहुंच को और मजबूत करने की रणनीति बनाई है।

स्टार प्रचारकों की उतारी फौज

बीजेपी ने 17 अक्टूबर को अंता उपचुनाव के लिए 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की थी। इस सूची में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, प्रेमचंद बैरवा सहित पूरी कैबिनेट और कई केंद्रीय नेताओं के नाम शामिल हैं। स्टार प्रचारकों की यह फौज अंता में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने और मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

चन्द्रभान सिंह आक्या पर विवाद?

इधर, चुनाव समिति में निर्दलीय विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या को शामिल करना बीजेपी के लिए एक जोखिम भरा कदम माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस फैसले से पार्टी के भीतर कुछ नेताओं में नाराजगी है। आक्या को प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी सौंपे जाने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है? क्या पार्टी को स्थानीय स्तर पर निर्दलीयों के सहारे की जरूरत पड़ रही है?

बताते चलें कि चन्द्रभान सिंह आक्या का क्षेत्र में प्रभाव माना जाता है और उनकी मौजूदगी बीजेपी को स्थानीय समीकरण साधने में मदद कर सकती है। लेकिन इस फैसले ने पार्टी के भीतर कुछ नेताओं को असहज भी किया है।

बीजेपी की रणनीति और चुनौतियां

अंता उपचुनाव में बीजेपी की रणनीति स्पष्ट है कि स्थानीय नेतृत्व, संगठनात्मक ताकत और स्टार प्रचारकों के जरिए मतदाताओं को लुभाना। दुष्यंत सिंह की नियुक्ति से पार्टी ने वसुंधरा राजे के प्रभाव का लाभ उठाने की कोशिश की है, जबकि भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में संगठन को मजबूत करने का संदेश भी दिया गया है।