
Protein side effects | प्रतीकात्मक फोटो | Photo- AI Grok
Excess Protein Use : शरीर में प्रोटीन का असर मसल्स (मांसपेशियों) पर कैसा होता है। इसको लेकर कई स्टडी हो चुकी है। इतना ही नहीं कई मेटा-एनालिसिस (meta-analyses) भी हो चुके हैं। इन अध्ययनों को देखने पर एक बात सामने आती है कि रेजिस्टेंस ट्रेनिंग (resistance training) यानी वेट ट्रेनिंग के साथ अगर प्रोटीन की मात्रा बढ़ाई जाए, तो इसका थोड़ा-सा फायदा जरूर मिल सकता है। लेकिन कई रिसर्च में ऐसा भी पाया गया है कि प्रोटीन बढ़ाने से शरीर पर कोई खास असर नहीं पड़ता। बल्कि, इससे नुकसान पहुंच जाता है।
2018 की एक मेटा-एनालिसिस में ये बात सामने आई है, प्रोटीन सप्लीमेंटेशन से मसल्स मास और स्ट्रेंथ में बढ़ोतरी होती है, लेकिन एक सीमा तक ही। मतलब कि शरीर के वजन के हिसाब से ही प्रोटीन का सेवन करना फायदेमंद होता है। प्रति दिन 1.62 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन तक प्रोटीन का सेवन सही बताया गया है। वहींस हाल की एक और स्टडी ने इस ऊपरी सीमा को घटाकर 1.1 ग्राम प्रति किलोग्राम बताया है।
शोध में इस बातत को लेकर भी स्पष्ट कहा गया है कि अगर कोई इससे अधिक प्रोटीन का सेवन करता है तो उसे कोई अतिरिक्त फायदा नहीं होता। उसको शरीर मूत्र (Urine) के जरिए बाहर निकाल देता है।
इसी तरह क्रिएटिन (creatine) भी है, जो तीन अमीनो एसिड से बना एक यौगिक है और अक्सर बॉडीबिल्डर्स के सप्लीमेंट के रूप में बेचा जाता है। यह मसल्स को तेजी से बढ़ाने में मदद करता है, लेकिन वेट ट्रेनिंग के साथ लेने पर ही इसका फायदा मिल सकता है।
"रेजिस्टेंस ट्रेनिंग ही 90 प्रतिशत काम करती है- अगर 99 प्रतिशत न कहें तो। और अतिरिक्त प्रोटीन सिर्फ हल्का सा बूस्ट देने का काम करता है।"
प्रोटीन से कितना फायदा मिलेगा। ये बात प्रोटीन के स्रोत पर भी निर्भर करता है। क्या वह डाइट से मिल रहा है या सप्लीमेंट से? और क्या वह प्लांट-बेस्ड है या एनिमल-बेस्ड? यहां तक कि कई बार तो शोधों में कुल प्रोटीन सेवन (डाइट + सप्लीमेंट) का विवरण ही नहीं होता। इसलिए, शोध पर भी पूरी तरह भरोसा करना सही नहीं है।
बहुत अधिक प्रोटीन का सेवन दिल की बीमारियों को बढ़ाने का काम कर सकता है। कुछ स्टडी में पाया गया है कि हाई-प्रोटीन डाइट से कार्डियोवैस्कुलर रिस्क बढ़ सकता है। हालांकि अधिकांश ऑब्जर्वेशनल रिसर्च में ऐसा स्पष्ट लिंक नहीं मिलता।
आमतौर पर एनिमल प्रोटीन शरीर में अधिक आसानी से अवशोषित होता है, और कुछ अध्ययनों में इसे मसल्स ग्रोथ के लिए अधिक कारगर पाया गया है। एक अध्ययन, जो बीफ इंडस्ट्री द्वारा किया गया था, ऑम्निवोर डाइट और वीगन डाइट की तुलना की गई थी। दोनों में प्रोटीन की मात्रा समान थी और नौ दिन की रेजिस्टेंस ट्रेनिंग के बाद मसल्स प्रोटीन सिंथेसिस में कोई फर्क नहीं पाया गया।
क्लैट आगे ये भी कहते हैं कि सप्लीमेंट्स अलग चीज हैं। जब प्रोटीन को अलग करके दिया जाता है, तो वह शरीर में जल्दी अवशोषित हो जाता है। जैसे- आपको चने के पास्ता से पूरे चनों की तुलना में अधिक प्रोटीन मिलेगा।
संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) के अनुमान के मुताबिक, औसत अमेरिकी प्रति दिन लगभग आधा पाउंड (लगभग 225 ग्राम) मांस खाता है। इसमें अंडे, डेयरी और पौधों से मिलने वाला प्रोटीन शामिल नहीं है। इसका मतलब ये है कि अधिकतर लोग प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा में ले रहे हैं।
लेकिन प्रोटीन के बारे में याद रखने लायक बात यह है कि अगर आप जरुरत के मुताबिक प्रोटीन ले रहे हैं, चाहे वो जरूरी मात्रा के न्यूनतम मात्रा में ही हो। इसके बाद प्रोटीन का सेवन करना लाभकारी नहीं है।
(वॉशिंग्टन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है।)
Published on:
25 Oct 2025 06:30 pm
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