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संपादकीय : अब प्रतिभा पलायन रोकने की दिशा में उठाएं कदम

अमरीका की ओर से एच-1बी वीजा के लिए किया गया नियमों में बदलाव वहां काम कर रहे भारतीय पेशेवरों की परेशानियां बढ़ाने वाला जरूर है लेकिन दूसरी ओर यह भारत के लिए प्रतिभा पलायन रोकने की दिशा में कदम उठाने का सुनहरा मौका भी है। वीजा नियमों की अस्पष्टता के बीच अमरीकी कंपनियों ने देश […]

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अमरीका की ओर से एच-1बी वीजा के लिए किया गया नियमों में बदलाव वहां काम कर रहे भारतीय पेशेवरों की परेशानियां बढ़ाने वाला जरूर है लेकिन दूसरी ओर यह भारत के लिए प्रतिभा पलायन रोकने की दिशा में कदम उठाने का सुनहरा मौका भी है। वीजा नियमों की अस्पष्टता के बीच अमरीकी कंपनियों ने देश से बाहर गए कर्मचारियों को वापस अमरीका लौटने का फरमान जारी किया तो इनमें कार्यरत भारतीय पेशेवरों में भी खलबली मच गई। अब ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि बढ़ी वीजा फीस नए आवेदकों के लिए है और एक बारगी ही देय होगी। ट्रंप प्रशासन की ओर से वीजा के लिए यह भारी भरकम फीस कहने को तो स्थानीय लोगों को रोजगार देने व कुशल विदेशी पेशेवरों को ही अपने यहां काम करने का मौका देने के लिए लागू की गई है। यह भी तर्क दिया जा रहा है कि अमरीकियों को नौकरी से निकालकर कुछ कंपनियां विदेशियों को कम वेतन पर नियुक्तियां दे रहीं थी। लेकिन तथ्य यही है कि एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव का सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर ही पडऩे वाला है। भारतीय आईटी व टेक कंपनियां भी हर साल बड़ी संख्या में अपने कार्मिकों को इस वीजा के जरिए अमरीका भेजती है। पेशेवरों के लिए एच-1बी वीजा लंबे समय से एकेडमिक करियर, रिसर्च अवसरों और दुनिया के सबसे बड़े टेक्नोलॉजी बाजार में नौकरियों तक पहुंच का साधन रहा है।

अमरीका के ही सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच जारी किए गए सभी एच-1बी वीजा में से 70 प्रतिशत से ज्यादा भारतीयों को मिले हैं। ट्रंप सरकार अमरीकियों को रोजगार के अवसर की आड़ लेकर अपने यहां स्किल्ड अप्रवासियों के रास्ते धीरे-धीरे बंद कर रही है। एक तथ्य यह भी है कि अमरीका की कई नामी कंपनियां भारतीय पेशेवरों के भरोसे ही रहती आई हैं। अमरीका में भारी वीजा फीस देनी पड़ी तो ये कंपनियां भी अपने कार्यालय भारत व दूसरे देश में खोलने का विकल्प रख सकती हैं। अमरीका का यह कदम भारत से प्रतिभा पलायन रोकने की दिशा में अहम हो सकता है, यह कहना अभी आसान नहीं है। क्योंकि वेतन व जीवनशैली से जुड़ी सुविधाओं का इन प्रयासों में खासा योगदान रहने वाला है। अभी हमारे शहरों में ऐेसे पेशेवरों के लिए बुनियादी सुविधाओं की दिशा में काफी कुछ करना बाकी है। लेकिन इतना तय है कि बेंगलूरु, हैदराबाद, पुणे और गुडगांव जैसे आइटी शहरों में पेशेवरों और स्टार्टअप्स को आकर्षित करने का यह बेहतर मौका है। समुचित सुविधाएं देने के साथ अपने ही देश में पेशेवरों को रोक कर 'विकसित भारत' के लक्ष्य की दिशा में कदम तेज किए जा सकते हैं।