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जज साहब! मेरी पत्नी अवैध संबंध…पति की कहानी सुनकर हैरान रह गई अदालत, तलाक याचिका मंजूर

Husband Wife Divorce: पति की आपबीती सुनकर दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और हर्ष वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने तलाक को मंजूरी दे दी। पत्नी ने फैमिली कोर्ट में सुनाए गए तलाक के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती थी।

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Delhi High Court decision on Husband Wife Divorce Case illicit relationship dowry harassment

दिल्ली हाईकोर्ट ने पति-पत्नी का तलाक मंजूर किया।

Husband Wife Divorce: "जज साहब! मेरी पत्नी घमंडी है। हर रोज मुझे अपमानित करती है। घर के कामकाज नहीं करने देती और बिना किसी ठोस सबूत के मेरे ऊपर अवैध संबंधों का आरोप लगाती है। इतना ही नहीं, अब तो मुझे घर से भी निकाल दिया…" दिल्ली हाईकोर्ट में यह पीड़ा एक पति ने सुनाई, जिसे सुनकर न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और हर्ष वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने तत्काल पति-पत्नी के बीच तलाक को मंजूरी दे दी। इस दौरान पीठ ने कहा "शादी का आधार आपसी विश्वास और एक-दूसरे का सम्मान होता है। बिना किसी ठोस सबूत के पति को अवैध संबंधों का ताना मारना महाक्रूरता है। ऐसे मामलों में पति-पत्नी का साथ रहना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यह तलाक मंजूर किया जाता है।"

साल 1993 में हुई थी दंपति की शादी

यह मामला राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का है, जहां एक दंपति की शादी साल 1993 में हुई थी। शिकायत के अनुसार, शादी के कुछ दिन तो सबकुछ ठीक चला, लेकिन इसके बाद पति-पत्नी के रिश्ते में खटास आ गई। पत्नी ने पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न समेत कई शिकायतें दर्ज कराईं तो पति ने भी पत्नी के खिलाफ मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न की एफआईआर लिखवा दी। इसके बाद दोनों साल 2012 में अलग-अलग रहने लगे। इसके एक साल बाद यानी साल 2013 में फैमिली कोर्ट में पति ने तलाक के लिए याचिका दायर कर दी। फैमिली कोर्ट ने मामले में लंबी सुनवाई के बाद दोनों का तलाक करवा दिया, लेकिन पत्नी इससे संतुष्ट नहीं हुई। उसने फैमिली कोर्ट के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले पर क्या कहा?

दिल्ली हाई कोर्ट में पति-पत्नी के बीच तलाक मामले की सुनवाई के दौरान पत्नी के आरोपों को सुनकर जज भी हैरान रह गए, क्योंकि पत्नी अपने आरोपों का सबूत पेश नहीं कर पाई। इस दौरान पीठ ने कहा कि बिना किसी ठोस सबूत के जीवनसाथी पर अवैध संबंधों के अंधाधुंध और अपमानजनक आरोप लगाना अत्यधिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हर्ष वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कि बेवफाई के बार-बार लगाए गए निराधार आरोप किसी व्यक्ति के लिए गहरी मानसिक पीड़ा, अपमान और उत्पीड़न का कारण बनते हैं।

अवैध संबंधों का आरोप लगाना प्रतिशोधात्मक रवैया

दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक को मंजूरी देते हुए आगे कहा कि ऐसे आरोप और अनावश्यक मुकदमेबाजी यह दर्शाते हैं कि आरोप लगाने वाले का रवैया प्रतिशोधात्मक है। अदालत ने यह भी कहा कि विवाह का आधार आपसी विश्वास और सम्मान है और जब जीवनसाथी ही लगातार बेबुनियाद आरोप लगाता रहे तो ऐसी स्थिति में साथ रहने की अपेक्षा नहीं की जा सकती। इससे पहले फैमिली कोर्ट ने पहले ही यह कहते हुए पति को तलाक दे दिया था कि ऐसे व्यवहार के बाद पति-पत्नी के साथ रहने की कोई संभावना नहीं बचती।

पति ने पत्नी को बताया घमंडी

मामले में पति का कहना था कि उसकी पत्नी घमंडी स्वभाव की है। उसे बार-बार अपमानित करती है, घर के कामों से इनकार करती है और कई बार घर से भी निकाल चुकी है। उसने यह भी आरोप लगाया कि पत्नी बिना किसी सबूत के उस पर अवैध संबंधों के झूठे आरोप लगाती है। दूसरी ओर पत्नी ने दलील दी कि पति दहेज मांगता है और अन्य महिलाओं से संबंध रखता है। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए दोनों के बीच तलाक का आदेश दिया।