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दिवाली के अगले दिन होगी बारिश, इस बार सरकार बदलने जा रही ‘मौसम का मिजाज’

Artificial Rain: राष्ट्रीय राजधानी में ग्रीन पटाखा जलाने की सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण को लेकर कमर कस ली है। इसके तहत दिवाली के अगले दिन दिल्ली में बारिश कराने की तैयारियां तेज हो गई हैं।

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Artificial rain day after Diwali in Delhi Rekha Government Cloud seeding weather change

दिल्ली में दिवाली के अगले दिन कृत्रिम बारिश की तैयारी। (प्रतीकात्मक फोटो)

Artificial Rain: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार की मांग के अनुरूप दिल्लीवासियों को दिवाली पर ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन इस दौरान प्रदूषण पर भी नजर रखने के भी सख्त आदेश हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार ने दिवाली पर होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कमर कस ली है। इसके तहत दिवाली के अगले दिन दिल्ली में इंसान के बनाए बादलों से बारिश करवाई जाएगी। इसके लिए पर्यावरण प्रबंधन ने मौसम विभाग की अनुमति मांगी है।

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दी जानकारी

दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसकी जानकारी दी। मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा "हमने दिवाली पर लोगों की खुशियों का ध्यान रखते हुए सुप्रीम कोर्ट में पटाखा जलाने की अनुमति प्राप्त कर ली है। अब पटाखों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना तैयार की गई है। मौसम विभाग से इसकी मंजूरी मांगी गई है। मौसम विभाग की हरी झंडी मिलते ही दिवाली के अगले दिन दिल्ली में कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी।"

मेरठ से उड़ान भरेगा ‘बारिश का विमान’

मेरठ में तैनात एक विशेष सेसना 206H विमान अब कृत्रिम बारिश कराने के मिशन का नायक बनने जा रहा है। आईआईटी कानपुर की देखरेख में यह विमान बादलों में सिल्वर आयोडाइड जैसे कण छिड़ककर बारिश करवाएगा। इस मिशन में दो अनुभवी पायलट शामिल हैं, जिनके पास दस साल से अधिक का उड़ान अनुभव है। अब तक चार ट्रायल उड़ानें सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी हैं। अब नजर है उत्तर-पश्चिमी दिल्ली पर, जहां दिवाली के अगले दिन या जल्द ही पहली बारिश हो सकती है।

क्या है क्लाउड सीडिंग तकनीक?

क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम वर्षा एक ऐसी वैज्ञानिक तकनीक है, जिसमें नमी से भरे बादलों को बारिश के लिए तैयार किया जाता है। इसके तहत बादलों में खास प्रकार के कण (जैसे सिल्वर आयोडाइड) डाले जाते हैं, जो बर्फ के क्रिस्टल या पानी की बूंदों का निर्माण करते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, 500 से 6,000 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद निम्बोस्ट्रेटस बादल, जिनमें 50% से अधिक नमी हो, इस प्रक्रिया के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं।

पांच ट्रायल और पर्यावरण सुरक्षा

दिल्ली सरकार ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में पांच ट्रायल उड़ानों की योजना बनाई है, ताकि अलग-अलग मौसम स्थितियों में इस तकनीक की सफलता को परखा जा सके। हर बारिश के बाद पानी के नमूने भी जांचे जाएंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस प्रक्रिया से पर्यावरण को कोई नुकसान न हो।

कब और कैसे हुई तैयारी?

3.21 करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट को मई में मंजूरी मिली थी। सितंबर में आईआईटी कानपुर के साथ समझौता हुआ और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने 1 अक्टूबर से 30 नवंबर तक ट्रायल की अनुमति दी। हालांकि मॉनसून और फिर अक्टूबर की बेमौसम बारिश के कारण योजना कुछ समय के लिए टल गई थी। अब सरकार इसे जल्द शुरू करने की तैयारी में है।