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चीफ जस्टिस से अभद्रता मामले में वकील पर सख्ती, अटॉर्नी जनरल ने कार्रवाई का दिया आदेश

Chief Justice Misbehaving Case: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने के मामले में आरोपी वकील की मुश्किलें बढ़ सकती है। अटॉनी जनरल ने वकील के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही का आदेश दिया है।

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Supreme Court Chief Justice misbehaving Case Attorney General orders contempt proceedings against lawyer Rajesh Kishore

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने के मामले में वकील पर होगी कार्यवाही। (Photo: IANS/Design: Patrika)

Chief Justice Misbehaving Case: सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के साथ दुर्व्यवहार करने के मामले ने अब गंभीर कानूनी मोड़ ले लिया है। भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दे दी है। यह मंजूरी सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष विकास सिंह की ओर से दायर याचिका पर दी गई है।

अटॉर्नी जनरल ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि उन्होंने इस पूरे प्रकरण से जुड़े सभी दस्तावेजों, घटनाक्रमों और तथ्यों का सावधानीपूर्वक परीक्षण किया है। उनके अनुसार, राकेश किशोर का व्यवहार न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2(सी) के तहत स्पष्ट रूप से आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आता है। यह प्रावधान उस किसी भी आचरण पर लागू होता है जो अदालत की प्रतिष्ठा, अधिकार या निष्पक्षता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करे।

वकील के रवेये से अदालत की गरिमा को पहुंची ठेस

वेंकटरमणी ने कहा कि आरोपी वकील का रवैया न केवल अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है, बल्कि यह सुप्रीम कोर्ट जैसे सर्वोच्च न्यायिक संस्थान की साख को कमज़ोर करने की मंशा से प्रेरित प्रतीत होता है। उन्होंने लिखा, “राकेश किशोर के कथन और कृत्य न्यायपालिका की नींव पर चोट करते हैं। यदि ऐसे व्यवहार को न रोका जाए, तो यह जनता के मन में न्याय प्रणाली के प्रति विश्वास को डगमगा सकता है।”

अटॉनी जनरल ने क्या कहा?

अटॉर्नी जनरल ने यह भी स्पष्ट किया कि अदालत के अंदर किसी भी परिस्थिति में जजों को लक्ष्य बनाना, उन पर वस्तु फेंकना या कार्यवाही के दौरान चिल्लाना, न्याय की प्रक्रिया का गंभीर अपमान है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतें किसी भी सूरत में क्षम्य नहीं हो सकतीं और ना ही इनके लिए कोई औचित्य प्रस्तुत किया जा सकता है। वेंकटरमणी ने इस बात पर भी जोर दिया कि अब तक राकेश किशोर ने अपने व्यवहार के लिए कोई पश्चाताप या माफी नहीं मांगी है। उन्होंने कहा, “उनकी बाद की टिप्पणियों से यह साफ झलकता है कि उन्हें अपने कृत्य पर कोई खेद नहीं है। यह रवैया न केवल अनुशासनहीनता दर्शाता है, बल्कि ‘रूल ऑफ लॉ’ पर सीधा प्रहार भी है।”

...ताकि वकील राजेश किशोर पर शुरू की जा सके कार्यवाही

उन्होंने अपने आदेश में कहा “मैं न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15(1)(बी) के तहत अपनी सहमति प्रदान करता हूं। ताकि सुप्रीम कोर्ट में वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू की जा सके।” अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा, जहां अदालत यह तय करेगी कि राकेश किशोर के खिलाफ औपचारिक सुनवाई कब और किस प्रक्रिया से प्रारंभ की जाए। माना जा रहा है कि अदालत इस मामले को न्यायपालिका की गरिमा से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा मानते हुए प्राथमिकता से सुनवाई तय कर सकती है।

जानिए क्या है पूरा मामला?

बीते छह अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील राकेश किशोर ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर कथित रूप से जूता फेंका था। इसके साथ ही असभ्य व्यवहार और अपमानजनक टिप्पणी की थी। बताया गया कि उन्होंने अदालत की कार्यवाही में बाधा डाली और न्यायाधीशों के प्रति अनुचित भाषा का प्रयोग किया। इस घटना से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं में व्यापक नाराजगी फैल गई थी। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस घटना को न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ बताया और अटॉर्नी जनरल से आरोपी वकील के खिलाफ आपराधिक अवमानना की अनुमति मांगी थी। अब एजी की मंजूरी के बाद इस मामले में कानूनी कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है।