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बीकानेर। बीकानेर की ऊन मंडी और कालीन उद्योग इन दिनों ट्रंप टैरिफ की मार से जूझ रहे हैं। निर्यात पर लगे बढ़े हुए शुल्क से कारोबार की डोर कमजोर पड़ने लगी है। उद्योगपतियों का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो न केवल कारोबार पर संकट गहराएगा, बल्कि हजारों कुशल श्रमिकों की रोज़ी-रोटी भी दांव पर लग जाएगी।
मौजूदा परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड ने राजस्थान ऊनी उद्योग संघ के सहयोग से एक होटल में नए ऊन क्षेत्र योजनाओं पर हितधारकों की बैठक आयोजित की।
बैठक का उद्देश्य व्यापक दृष्टिकोण के साथ उद्योग-विशिष्ट योजनाएं तैयार करना था। इसके लिए बीकानेर के प्रमुख ऊनी उद्योगों से परामर्श और सुझाव लिए गए। केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड के कार्यकारी निदेशक जीएस भाटी ने नई योजनाओं के अवधारणा घटकों का मसौदा प्रस्तुत किया और प्रतिनिधियों से चर्चा की।
राजस्थान वूलन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल कल्ला ने कहा कि ट्रंप टैरिफ से ऊन व्यवसाय और कालीन उद्योग पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। कुशल श्रमिक बेरोजगार हो सकते हैं। व्यवसाय धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि बीकानेर देश की सबसे बड़ी ऊन मंडी है और कालीन धागे का अधिकांश उत्पादन यहीं होता है।
ऊन व्यवसायी कन्हैयालाल बोथरा ने कहा कि टैरिफ के कारण कालीन उद्योग संकट में है। उन्होंने सरकार से मांग की कि नहर किनारे हरित पट्टिका विकसित कर भेड़ पालकों को दी जाए, ताकि उच्च गुणवत्ता की ऊन तैयार हो सके। भेड़ों को अच्छी घास मिलने से भेड़ पालकों का रुझान भी बढ़ेगा। उन्होंने ऊन इकाइयों को सब्सिडी देने की भी मांग रखी।
कल्ला ने आश्वासन दिया कि नई योजना पर संघ के सदस्यों से विचार-विमर्श कर केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड को ज्ञापन सौंपा जाएगा। कार्यक्रम में कमल कोठारी, संजय राठी, मोहित राठी, सिद्धार्थ सुराणा, मनीष बिहाणी, ओम चौधरी, महेश कोठारी, शिवरतन आदि मौजूद रहे। संचालन जय सेठिया ने किया।
Updated on:
30 Aug 2025 03:05 pm
Published on:
30 Aug 2025 03:04 pm
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