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जैसलमेर की इस देवी ने फिर की इस बार जैसलमेर की पाकिस्तान से रक्षा

पाकिस्तान ने जैसे ही जैसलमेर को निशाना बनाया बॉर्डर पर तनोट माता के प्रति आस्था और विश्वास की प्रार्थनाओं ने लोगों के हाथ जुड़वा दिए। 1965 के युद्ध में तनोट मां के मंदिर को दुश्मन के बम छू नहीं पाए थे।

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बाड़मेर.
पाकिस्तान ने जैसे ही जैसलमेर को निशाना बनाया बॉर्डर पर तनोट माता के प्रति आस्था और विश्वास की प्रार्थनाओं ने लोगों के हाथ जुड़वा दिए। 1965 के युद्ध में तनोट मां के मंदिर को दुश्मन के बम छू नहीं पाए थे। पाकिस्तान के गिराए जिंदा बम आज भी मंदिर में रखे हुए है। पाकिस्तान की मिसाइलों के अटैक होते ही लोगों ने कहा कि हमारी रक्षक मां तनोट है,यहां एक भी मिसाइल नहीं गिरेगी। सारी ध्वस्त हो जाएगी। गुरुवार रात ऐसा हुआ तो लोगों ने तनोट माता को प्रसाद चढ़ाई।
पाकिस्तान के जैसलमेर को टारगेट बनाया और रात को जब जैसलमेर के आसमान पर मिसाइलों को देखा तो लोगों की प्रार्थना में तनोट माता आ गई। सोशल मीडिया पर भी पोस्ट कर तनोट माता से प्रार्थनाएं होने लगी। दरअसल 1965 के युद्ध में लोंगेवाला की ओर पाकिस्तान सेना बढ़ी थी और जैसलमेर इलाके में भारी बमबारी की। इस दौरान लोंगेवाला पोस्ट के पास ही तनोट माता का छोटा मंदिर को एक बम नहीं छू पाया। तब भारतीय सेना का हौंसला सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने माता तनोट की जय बोलकर धावा बोला और पाकिस्तान की टैंक रेजिमेंट को टैंक छोडक़र भागना पड़ा। भारत की फतेह हुई।
बीएसएफ करती है पूजा
इस मंदिर की पूजा अब बीएसएफ के फौजी करते है। बीएसएफ, भारतीय सेना को मां तनोट पर इतना विश्वास है कि वे इस मंदिर को अब बॉर्डर का रक्षक मंदिर मानते है। तनोट की सुबह की आरती में भी सैनिक पहुंचे और उसी अंदाज से देवी की स्तुति की। उन्होंने मां तनोट से एक बार फिर इस इलाके व देश की रक्षा की अरज की।

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