
आदर्श विद्या मंदिर का लोकार्पण करते मंत्री मदन दिलावर व अन्य। फोटो- पत्रिका
सिणधरी। उपखंड मुख्यालय पर आदर्श विद्या मंदिर का लोकार्पण शिक्षा एवं पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर, संघ के सह क्षेत्र संपर्क प्रमुख योगेंद्र कुमार, वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण कुमार विश्नोई, सिवाना विधायक हमीरसिंह भायल, पूर्व केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, संत रूगनाथ भारती, महंत हनुमानदास, महंत पारसराम जेतेश्वर धाम और महंत तृप्तात्मानंद की मौजूदगी में किया गया।
इस मौके पर मंत्री दिलावर ने कहा कि जब शिक्षा संस्कारयुक्त होती है, तब व्यक्ति समाज और राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में योगदान देता है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में शिक्षा स्तर में निरंतर सुधार हो रहा है। कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक बबूल की तरह है, जैसे बबूल की झाड़ियां अपने लिए घातक होती हैं, वैसे ही कांग्रेस है।
राहुल गांधी का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि जो आज वोट चोरी की बात कर रहे हैं, उनके शासन में कितने वोट चोरी हुए थे। अब फर्जी नाम हट रहे हैं तो इन्हें परेशानी हो रही है और प्रधानमंत्री पर आरोप लगा रहे हैं। मंत्री दिलावर ने कहा कि मेरे पास पंचायतीराज का दायित्व है। अपने क्षेत्र में विलायती बबूल घातक हो रहे हैं और वनस्पति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। विभाग इनको हटाने का प्रयास करेगा, लेकिन आमजन भी सहयोग करें तो कार्य आसान रहेगा। मंत्री ने कहा कि बाड़मेर-बालोतरा में शिक्षकों की कमी को अन्य जिलों की तर्ज पर समानांतर नियम लागू कर शीघ्र पूरा किया जाएगा।
ब्रह्मधाम आसोतरा के संत ध्यानाराम ने कहा कि आज संघ के माध्यम से सनातन के भूले हुए दिव्य ज्ञान को समाज में पुन: जागृत किया जा रहा है। मुख्य वक्ता योगेंद्र कुमार ने कहा कि 1952 से प्रारंभ हुई विद्याभारती की यात्रा के तहत देशभर में 25 हजार से अधिक आदर्श विद्या मंदिर संचालित हो रहे हैं, जो राष्ट्रप्रेम, संस्कार और समाजसेवा की भावना से युक्त नागरिक तैयार कर रहे हैं।
राज्य मंत्री विश्नोई ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य की ओर अग्रसर है और स्वदेशी के प्रति जनता का विश्वास बढ़ा है। विधायक भायल ने मंत्री से अपने क्षेत्र में शिक्षकों की कमी पूरी करने का अनुरोध किया, जिस पर मंत्री ने शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया।
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पूर्व मंत्री चौधरी ने कहा कि अतीत में देश के गौरवशाली इतिहास में बदलाव कर हीनभावना से युक्त इतिहास पढ़ाया गया, जबकि नई शिक्षा नीति में मूल विचार और सृजनात्मकता को प्राथमिकता दी गई है। कार्यक्रम में विद्यालय निर्माण में सहयोग देने वाले दानदाताओं व भामाशाहों का साफा, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। संचालन बाबूलाल प्रजापत ने किया। इस अवसर पर सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
Published on:
24 Oct 2025 03:35 pm
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