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Diwali Special : राजस्थान का अनोखा महालक्ष्मी मंदिर, जहां भक्त दिवाली पर देवी को लिखते हैं चिट्ठी

Mahalakshmi Temple : राजस्थान का अनोखा महालक्ष्मी मंदिर। अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए भक्त दिवाली पर देवी महालक्ष्मी को चिट्ठी लिखते हैं। जानें क्यों?

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Rajasthan unique Mahalaxmi temple where devotees write letters to goddess on Diwali

बांसवाड़ा में श्रीमाल समाज का महालक्ष्मी मंदिर। पत्रिका फोटो

Mahalakshmi Temple : दिवाली का उत्सव पूरे शबाब पर है। राजस्थान में एक अनोखा महालक्ष्मी मंदिर है, जहां अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए भक्त दिवाली पर देवी महालक्ष्मी को चिट्ठी लिखते हैं। ऐसी मान्यता है कि बहुत से श्रद्धालुओं की मनोकामना देवी महालक्ष्मी पूरी कर देती हैं। बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 482 साल पुराना है। इस बार भी दीपावली को लेकर मां महालक्ष्मी मंदिर में पूजा-अर्चना की विशेष तैयारियां चल रही हैं।

राजस्थान के बांसवाड़ा में श्रीमाल समाज का महालक्ष्मी मंदिर है। दीपावली पर यह मंदिर विशेष आस्था का केंद्र बन जाता है। इस अवसर पर मंदिर की भव्य सजावट की जाती है। इस मंदिर की अनूठी परंपराएं और मान्यताएं इसे आकर्षण का केंद्र बनाती हैं। यहां पर दूर-दूर से लोग दीपावली पर मां के दर्शन करने को आते हैं।

दिवाली में अर्जी का है विशेष महत्व

वैसे तो सालभर इस मंदिर में लोग अपनी चिट्ठियां दान पेटी में डालते हैं। पर दिवाली का एक अलग महत्व है। भक्तगण इस दिन चाहे सरकारी नौकरी की मन्नत हो या संतान प्राप्ति की। यहां तक कि तबादले की अर्जी भी मां के दरबार में लगाते हैं। ऐसी ही ढेरों मन्नतों की पर्चियां प्रतिवर्ष मां के मंदिर में रखी दान पेटी से निकाली जाती हैं। फिर इन चिट्ठियों को पवित्र जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।

मन्नत पूरी होने के बाद पुन: पर्ची लिख करते हैं आभार व्यक्त

सदियों पुराने इस मंदिर की देखरेख पंच जड़िया श्रीमाल समाज करता आया है। समाज के जिला अध्यक्ष बताते हैं कि वर्ष में दो बार दानपेटी खोली जाती है। इसमें मन्नतों के लिए डाली गई पर्चियां निकाली जाती हैं। जिन्हें काफी समय रखने के बाद विसर्जित कर दिया जाता है। साथ ही वे बताते हैं कि कई ऐसे भक्त हैं जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो वे मां को पुन: पर्ची लिख आभार व्यक्त करते हैं।

वर्ष में दो बार होता भव्य आयोजन

समाज के अध्यक्ष बताते हैं कि मां के दरबार में वर्ष में दो बार भव्य आयोजन किया जाता है। श्राद्ध पक्ष की अष्टमी पर मां का जन्मोत्सव मनाया जाता है। धनतेरस, रूपचतुर्दशी और दीपावली पर भी विविध अनुष्ठान किए जाते हैं।

महालक्ष्मी की सफेद संगमरमर है साढ़े तीन फीट ऊंची प्रतिमा

करीब 482 साल पुराने इस मंदिर में सफेद संगमरमर से बनी मां महालक्ष्मी की साढ़े तीन फीट ऊंची प्रतिमा है। मां लक्ष्मी 16 पर्ण के कमल के आसन पर विराजित हैं। दीपावली पर महालक्ष्मी की प्रतिमा का सोने-चांदी के आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है।