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Diwali Special : बहीखातों का जादू कंप्यूटर युग में भी बरकरार, व्यापारियों के लिए इनका क्या महत्व है, जानें

Diwali Special : दिवाली शुरू हो गई है। कप्यूटर के दौर में भी परंपरागत बहीखातों का चलन है। दिवाली पर इनका पूजन होगा। व्यापारियों के लिए इनका क्या महत्व है, जानें।

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Rajasthan Diwali Special Bahi khata magic in computer age Know about their importance to Banswara traders

बांसवाड़ा में स्टेशनरी की दुकान से बहीखाता की खरीदारी करते हुए। पत्रिका फोटो

Diwali Special : कप्यूटर के दौर में भी परंपरागत बहीखातों का चलन है। राजस्थान सहित पूरे देश के व्यापारी दिवाली पर बहीखातों का पूजन करेंगे। कप्यूटर के दौर में भी परंपरागत बहीखातों का चलन है। बांसवाड़ा शहर के बाजार में धनतेरस पर बहीखाते खरीदा जाता है। दिवाली पर इनका पूजन होगा। हालांकि अब बहीखातों की डिजाइन और आकार बदलता जा रहा है।

कुछ व्यापारी शगुन के तौर पर खरीदते हैं बहीखाते

परंपरागत बहीखातों के साथ अब बहीखाता रोजमेल डायरी भी अधिक बिक रही है। कुछ लोग जरूरत के अनुसार तो कुछ व्यापारी शगुन के तौर पर बहीखाते खरीदते हैं। शहर में स्टेशनरी की दुकानों पर अब बहीखाते मिलने लग गए हैं। इसकी तैयारी व्यापारी दिवाली से पहले ही कर लेते हैं।

बहीखाते की खरीद शुरू - व्यापारी

व्यापारी हरिश सुन्द्रावत ने बताया कि बहीखाते की खरीद शुरू हो गई हैं। बांसवाड़ा में अहमदाबाद से रोजमेल एवं बहीखाता की सप्लाई होती है। पहले बड़ी साइज में सिलाई वाले प्लेन कागज के बहीखाते आते थे, ये रोजमेल डायरी के रूप में आने लगे है, इसमें प्रत्येक पेज पर दिनांक एवं तिथि अंकित होती है। जिसमें व्यापारी जमा एवं खाते के कॉलम में इंद्राज करते है।

दीपावली की रात नए वित्तीय वर्ष का होता है शुभारंभ - नवनीत कुमार पंड्या

शास्त्री नवनीत कुमार पंड्या ने बताया कि दीपावली की रात व्यापारिक समुदाय का नए वित्तीय वर्ष का शुभारंभ होता है। इस दिन चोपड़ा पूजन किया जाता है। जिसमें महाकाली महालक्ष्मी और मां सरस्वती तीनों स्वरूपों की पूजा होती है। महाकाली जिसमें पेन, कंप्यूटर, कैलकुलेटर कैची, स्केल, फीता इत्यादि संसाधनों की पूजा होती है।

सरस्वती स्वरूप में बही खाता, रोजमेल की होती है पूजा - शास्त्री

शास्त्री नवनीत कुमार पंड्या ने बताया कि महालक्ष्मी स्वरूप में धन वैभव रुपए सिक्का की पूजा की जाती है और सरस्वती स्वरूप में बही खाता, रोजमेल इत्यादि की पूजा होती है। अत: इन तीनों शक्तियों की पूजा दीपावली के दिन की जाती है जिसके प्रभाव से व्यापार में वर्ष भर लेखा जोखा ईमानदार व साफ रहे है व्यापार वृद्धि समृद्धि और सुख शांति बनी रहती है।

हाथ से बनी हों या मशीन से, बहियां अभी भी चलन में

जयपुर में पहले सांगानेरी हैंडमेड पेपर की बहियां बनाई जाती थीं। तब के व्यापारी अपने हाथ से कागज काटकर बहियां खुद तैयार करते थे। पर अब मशीनों से बहियां बनाई जाती हैं। हाथ से बनी हों या मशीन से, बहियां अभी प्रचलन में तो हैं।