भारत सरकार ने जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर को लेकर एक बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया गया है। केंद्र सरकार ने जीएसटी प्रणाली को सरल और अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए एक नई दो-स्तरीय संरचना का सुझाव दिया है। मौजूदा चार स्लैब — 5%, 12%, 18% और 28% — को हटाकर अब केवल दो मुख्य 5% और 18% स्लैब रखने का प्रस्ताव है। इसके अलावा कुछ गिने-चुने उत्पादों पर 40% की विशेष दर का प्रस्ताव भी दिया गया है। 20 और 21 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय बैठक में राज्यों के वित्त मंत्रियों के एक समूह के सामने इस प्रस्ताव को रखा जाएगा। इस समूह की अध्यक्षता बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी कर रहे हैं। अन्य सदस्यों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और केरल के मंत्री शामिल हैं।
प्रस्ताव के अनुसार, नई GST टैक्स स्लैब से कई फायदे हो सकते हैं, जो आम लोगों, व्यापारियों और पूरी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे हैं। नए नियमों से 12% और 28% के स्लैब हटाए जाएंगे। 12% वाली ज़्यादातर चीजें 5% के स्लैब में और 28% वाली ज़्यादातर चीजें 18% के स्लैब में आ जाएंगी। इससे एसी, टीवी, फ्रिज और वॉशिंग मशीन जैसे सामान सस्ते हो सकते हैं। जब चीजें सस्ती होंगी, तो लोग ज़्यादा खरीदेंगे, जिससे बाज़ार में पैसा आएगा। टैक्स स्लैब कम होने से कारोबारियों के लिए नियमों को समझना और उन्हें मानना आसान हो जाएगा। सरल टैक्स सिस्टम से नए निवेशक देश में पैसा लगाने के लिए प्रेरित होंगे, जिससे अर्थव्यवस्था बढ़ेगी। भले ही कुछ चीजों पर टैक्स कम होगा, लेकिन लोगों की खरीदारी बढ़ने से सरकार की कमाई भी बढ़ सकती है। जब बाज़ार में मांग बढ़ेगी, तो नए रोजगार के मौके भी बनेंगे। सरकार तंबाकू और बीयर जैसी हानिकारक चीजों पर 40% का नया और ज़्यादा टैक्स स्लैब लाने पर भी विचार कर रही है। इन बदलावों को दिवाली से पहले लागू करने की कोशिश है, ताकि लोगों को इसका सीधा फायदा मिल सके।
बता दें कि इस प्रस्ताव के पीछे मुख्य विचार यह है कि मध्यम वर्ग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) और कृषि क्षेत्र पर कर बोझ को कम किया जाए। इस नए ढांचे से टैक्स प्रणाली ज्यादा सरल बनेगी और उपभोक्ताओं को भी राहत मिल सकती है। हालांकि केंद्र सरकार इस मंत्री समूह की सदस्य नहीं है, फिर भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बैठक को संबोधित करेंगी। इससे राज्य सरकारों को केंद्र की सोच और इस प्रस्ताव के पीछे के उद्देश्य को समझने में मदद मिलेगी। अगर राज्यों के मंत्री इस प्रस्ताव पर सहमति जताते हैं, तो इसे जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में रखा जाएगा, जिसकी अध्यक्षता खुद वित्त मंत्री करती हैं और इसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। इस प्रकार, यह जीएसटी संरचना में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव हो सकता है, जिसका असर हर उपभोक्ता, व्यापारी और उद्योग पर पड़ेगा।