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करौली

बलिहारी गुरु आपकी…. शिष्यों ने बनवाए गुरुदेव के मंदिर, प्रतिमाओं की करते आरती-पूजा

हिण्डौनसिटी. आमतौर पर वर्ष में विशेष रूप से एक दिन गुरुपूर्णिमा गुरुदेव की पूजा के लिए समर्पित होता है, लेकिन करौली जिले में संतों के शिष्य मंदिर बनवा कर गुरु की प्रतिमा की नियमित आरती पूजा कर रहे हैं।

हिण्डौनसिटी. आमतौर पर वर्ष में विशेष रूप से एक दिन गुरुपूर्णिमा गुरुदेव की पूजा के लिए समर्पित होता है, लेकिन करौली जिले में संतों के शिष्य मंदिर बनवा कर गुरु की प्रतिमा की नियमित आरती पूजा कर रहे हैं।

संत आश्रम के नाम से ख्यात इन गुरु मंदिरों में बाकायदा देवालयों की भांति आरती होती है और वंदन के लिए शिष्य समुदाय जुटता है। जिले में सर्वाधिक 3 मंदिर ब्रह्मलीन संत गोमतीदास महाराज के हैं। जहां प्रतिमा का नियमित पूजा शृंगार होता है।

मासलपुर के सागर सरोबर के पास दशकों तक पहाड़ की कंदरा में तप के बाद वर्ष 1972 में संत गोमतीदास विशाल विष्णु महायज्ञ से क्षेत्र में जनमानस में छा गए। देश के कई राज्यों में संत के शिष्यों संख्या कई हजारों में है। 12 अक्टूबर 2012 को संत के देवलोक गमन के बाद हिण्डौन में अंत्येष्टि स्थल पर समाधि बनाने के साथ बड़ा मंदिर बनाया गया। जहां एक वर्ष बाद संत गोमतीदास महाराज की प्रतिमा स्थापित की गई। जिला मुख्यालय करौली में गोमती कॉलोनी में वर्ष 2014 में संत प्रतिमा स्थापित की गई। हाल ही में मासलपुर सागर सरोबर के किनारे देश भर के शिष्यों ने मंदिर बनवा कर संत की प्रतिमा प्रतिष्ठित की है। संत के शिष्य मनीष धाकड़ ने बताया कि गुरुदेव गोमतीदास महाराज के दादागुरु का आश्रम लक्ष्मण झूला में है। जहां शिष्यगण अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करते है। जिले में स्थित तीनों मंदिरों पर व्रत उत्सव व त्योहारों का आयोजन होता है।

इन संतों के भी हैं मंदिर

बरगमा रोड चिंता हरण बालाजी मंदिर पर वर्षों तक रहे संत तुलसीदास महाराज के देवलोक गमन पर शिष्यों ने प्रतिमा स्थापित करवाई। मंदिर पर शिष्यों द्वारा पूजा की जाती है। गांव विजयपुरा में संत मोहनदास महाराज की प्रतिमा प्रतिष्ठित का आश्रम में मंदिर बनवाया है। हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ में संत गणेशदास महाराज के देवलोक गमन के बाद धंधावली नहर के पास शिष्यों ने प्रतिमा स्थापित करवाई है।