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ढाई दशक बाद जल संसाधन विभाग को मिला जलसेन, जिम्मेदारों की अनदेखी से बिगड़ा स्वरूप

हिण्डौनसिटी. करीब ढाई दशक बाद जलसेन तालाब जल संसाधन विभाग के अधीन आ गया है, लेकिन इसकी सारसंभाल की शुरुआत नहीं है। जलसेन के जलभराव क्षेत्र के पेटे में कचरे के ढेर लगे हुए हैं। पेटे से कचरे का उठाव कर सफाई और डालने वालों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से तालाब में कचरा बढ़ता जा रहा है।

हिण्डौनसिटी. करीब ढाई दशक बाद जलसेन तालाब जल संसाधन विभाग के अधीन आ गया है, लेकिन इसकी सारसंभाल की शुरुआत नहीं है। जलसेन के जलभराव क्षेत्र के पेटे में कचरे के ढेर लगे हुए हैं। पेटे से कचरे का उठाव कर सफाई और डालने वालों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से तालाब में कचरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में बारिश में पहाड़ियों से नालों से आए पानी के साथ गंदगी के घुलने से पूरे जल भराव के दूषित होने की आशंका है।

दरअसल पुरानी आबादी के लिए कभी प्रमुख जल स्रोत रहे जलसेन तालाब के पेटे में शहर से निस्तारित कचरे को ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से डाल रहे हैं। इससे तालाब का पेटा डम्पिंग यार्ड नजर आता है। बीते वर्ष जलभराव होने से कुछ माह के लिए विराम लगा था। तालाब के बीच से निकल रही सड़क के दोनों ओर काफी बड़े क्षेत्र में कचरे के ढेर लगा दिए हैं। इससे सड़क के नीचे जल निकासी के लिए लगाए पाइप भी अवरुद्ध हो गए हैं। गौरतलब है कि दो दशक पहले छोटे बांध व तालाबों को जलसंसाधन विभाग से हटा कर पंचायती राज विभाग के अधीन कर दिया था। साथ ही विभाग से बांध तालाबों की देखरेख के लिए कर्मचारी भी स्थानांतरित किए गए। कई वर्ष बाद शहरी क्षेत्र के तालाब व छोटे बांधों को नगरीय निकायों को सुपुर्दु कर दिया था।

बीते वर्षों में नगरपरिषद द्वारा जलसेन तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए। लेकिन कचरे डालने वालों पर अंकुश नहीं लगाया जा सका। स्थानीय लोगों का कहना है कि जलसेन तालाब के भराव क्षेत्र में प्लास्टिक, घरेलू कचरा, निर्माण मलबा और अन्य अपशिष्ट सामग्री फेंके जा रहे हैं।

इसके बावजूद जिम्मेदार महकमों द्वारा इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।

जलभराव क्षेत्र में कचरा नुकसानदायक : जलसेन तालाब में बारिश में तालाब में पानी की आवक बढ़ने पर कचरे के साथ बहकर आने वाले हानिकारक पदार्थ पानी को दूषित कर सकते हैं। जिला चिकित्सालय के फिजिशियन डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि प्लास्टिक और अन्य रासायनिक कचरे से जल में जहरीले तत्व घुल सकते हैं, जो न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, बल्कि जलीय जीवों के लिए भी खतरा बन सकते हैं। ऐसे में पानी में नहाने से चर्म रोग होने की आशंका रहती है।

पब्लिक के बोल
किशोरावस्था में जलसेन तालाब में तैरना सीखा। ढाई तीन दशक पहले तक पुरानी आबादी क्षेत्र के लोग जलसेन में नहाने आते थे। इसी उद्देश्य से अलग-अलग घाट बने हुए हैं। पेटे में कचरे के ढेर होन से अब पानी में गंदगी रहती है। इसकी पूरी तरह तरह सफाई की जरुरत है। महेश सोनी, सर्राफा बाजार, हिण्डौनसिटी

गत वर्ष हुई अच्छी बारिश से जलसेन लबालब हुआ था। इस बार भी पानी की आवक की उम्मीद है। लेकिन जलभराव क्षेत्र में कचरे के ढेर लगे होने से पानी के दूषित होने की आशंका है।

कल्याण गुर्जर, केशवपुरा

तालाब व पोखर परम्परागत जल स्रोत हैैं। प्रशासन को इनके संरक्षण और जीर्णोद्धार पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही कचरा डालने वालों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए। जिससे सफाई और स्वच्छता से जलसेन का दशकों पुराना स्वरूप कायम हो सके।

नृसिंहहरी गुप्ता, घाटी बाजार,हिण्डौनसिटी

जलसेन क्षेत्र में लगे कचरे के ढेरों से बारिश के बाद धूप खिलने से दुर्गन्ध उठती है। आस पास के पुरा व ढाणियों को लोगों को आवागमन में परेशानी होती है।

धर्मवीर गौतम, खेड़लियान का पुरा

फैक्ट फाइल
जलसेन का जल आवक क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) 6.72 वर्ग किलोमीटर

जलभराव क्षेत्र 125 एकड़

भराव क्षमता 15 एमसीएफटी (5 फीट)

पाल की लंबाई 105 चैन (10500 फीट)

घाटों की संख्या 20

जल आवक स्रोत 3 नाले

पूर्ण भराव 1972, 1995, 2005 व 2024

इनका कहना है
20-25 साल बाद फिर से जलसेन तालाब जलसंसाधन विभाग के अधीन आया है। इसके पूर्व के स्वरूप कायम करने के लिए प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। पेटे से कचरे के ढेरों के उठाव के लिए नगर परिषद को लिखा जाएगा।

शिवराम मीणा, सहायक अभियंता जल संसाधन विभाग, हिण्डौनसिटी