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Watch the video..पहले साल बिना पानी के सारे पौधे तोड़े दम, हार नहीं माना

पर्यावरण को बेहतर रखने के साथ साथ भूजल को मेंटेन करने का काम भी एक शौक से पूरा हो रहा है। चिखली में मौजूद वाटिका में जिस तरह से पॉड तैयार किया गया है, वह दूसरे बागान के लिए संदेश भी देते हैं।

भिलाई

Abdul Salam

May 27, 2024

धमधा रोड में चिखली के ससीप मधु वाटिका ऐसा है, जहां पंकज अग्रवाल अपने बचपन के सपने को साकार कर रहे हैं। वे इस बागान में तमाम तरह के फलों व फूलों के पौधों को रोप रहे हैं। इसमें चंदन, कमल, रुद्राक्ष से लेकर सिंदूर के पौधे तक शामिल हैं। यहां लगने वाले फूलों व फलों ने उनको कई प्रतियोगिता में पुरस्कार जितवाया है। बागान में लगने वाले फलों को परिवार व रिश्तेदार ही उपयोग करते हैं। वहीं इन्होंने भू-जल स्तर को बेहतर बनाए रखने के लिए भी ठोस काम किया है।

पहले वर्ष हुआ था बड़ा नुकसान, तो बनाया पॉड

पंकज ने बताया कि पहले साल बागान में पौधों को लगा दिए। गर्मी आते-आते बोरिंग सूख गया। इस तरह से सारे पौधे सूख गए। तब तय किया कि पहले बागान के भीतर वाटर हार्वेस्टिंग के लिए एक पॉड बनाया जाएगा, इससे बारिश का पानी एकत्र किया जा सके। पॉड में भी बारिंग करवाया गया। ताकि बारिश का पानी भूमि के भीतर तक जा सके। इससे यहां के दूसरे बोरिंग जिसमें पंप लगा हुआ है, उसमें गर्मी के दिनों में भी पानी आने लगा। इस तरह से इसके बाद जितने भी पौधे लगाए, वह पानी की किल्लत से मरे नहीं।

37 पेड़ में 37 प्रकार के आम

इस बागान में आम के करीब 37 पेड़ हैं। हर पेड़ में अलग प्रकार का आम लगा हुआ है। इसमें बारहमासी आम, हापू आम, लगड़ा आम, दशहरी तमाम आम शामिल हैं। आम के इस बागान में बंदरों का समूह पहुंच जाता है। जंगलों की बेतरतीब कटाई की वजह से वन्य प्राणी अब शहरों की तरफ आ रहे हैं। यहां इस तरह के बागान में आकर फल खाते नजर आ जाते हैं।

जाम, सीताफल और बेर का लगा है पेड़

बागान में जाम, सीताफल के पेड़ भी बहुत से लगे हैं। इसके साथ-साथ बेर के पेड़ भी लगाए गए हैं। एककतार में पेड़ों को व्यवस्थित तरीके से लगाया गया है। इस वजह से इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। मोसंबी, संतरा, अनार, नीबं, नारियल भी लगाए हैं।

दुर्लभ पौधों को भी सजोया बागान में

चिखली के इस बागान में रुद्राक्ष का पौधा लगाया गया था। अब वह पेड़ का रूप ले रहा है। इसी तरह से अंगूर का पौधा भी लगाया है। पिछले साल इसमें फल हुआ था। इस वर्ष गर्मी अधिक होने की वजह से अभी अंगूर लगे नहीं है। लीची, चीकू, अंजीर, सिंदूर, लौंग, तेजपत्ति, पट्टा के पौधे भी यहां लगे हुए हैं।

हर साल मिलता है पुरस्कार

बागान के संचालक पंकज अग्रवाल ने बताया कि करीब 15 साल पहले इसे विकसित करना शुरू किए। अब पिछले कुछ साल के दौरान बीएसपी के मैत्रीबाग और दुर्ग नगर निगम की ओर से होने वाले फ्लावर शो में वे हिस्सा लेते हैं। जिसमें हर साल आधा दर्जन से अधिक पुरस्कार जीत रहे हैं। इस तरह के बागान को विकसित करने का जुनून बचपन से था। अब वह साकार रूप ले रहा है। https://www.patrika.com/bhilai-news/watch-the-video-18720399