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जन्मदिन पर केक नहीं, छोले-भटूरे और गुपचुप से मनती है खुशी… पोटिया स्कूल बना शिक्षा और संस्कार का केन्द्र

Bhilai News: धमधा ब्लॉक के पोटिया गांव का शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय आज पूरे जिले में मिसाल बन चुका है। यहां शिक्षकों के जन्मदिन पर केक नहीं काटा जाता, बल्कि बच्चों को छोले-भटूरे, दोसा और गुपचुप पार्टी दी जाती है।

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शिक्षकों के जन्मदिन पर बच्चों को ‘गुपचुप पार्टी’ *(फोटो सोर्स- पत्रिका)

शिक्षकों के जन्मदिन पर बच्चों को ‘गुपचुप पार्टी’ *(फोटो सोर्स- पत्रिका)

Bhilai News: धमधा ब्लॉक के पोटिया गांव का शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय आज पूरे जिले में मिसाल बन चुका है। यहां शिक्षकों के जन्मदिन पर केक नहीं काटा जाता, बल्कि बच्चों को छोले-भटूरे, दोसा और गुपचुप पार्टी दी जाती है। लगभग 500 बच्चों वाला यह स्कूल आज शिक्षा के साथ संस्कार का भी केन्द्र बन गया है। हाल ही में एक शिक्षक के जन्मदिन पर पूरे स्कूल में छोले-भटूरे की पार्टी रखी गई। बच्चों के चेहरों पर मुस्कान और थालियों में गर्मागर्म भटूरे देखकर पूरा माहौल उत्सव में बदल गया।

बच्चे कभी दोसा, कभी चाट और कभी चाऊमिन का मजा लेते है। शिक्षक कुमार सिंह ने बताया कि इस परंपरा की शुरुआत इसी साल हुई है। छह शिक्षकों वाले इस स्कूल में हर शिक्षक अपने जन्मदिन पर बच्चों के बीच खुशी साझा करता है। खर्च शिक्षक खुद वहन करते हैं, और मेनू बच्चों की पसंद के अनुसार तय किया जाता है।

साल में छह बार ‘बच्चों की दावत’

इस विद्यालय में छह शिक्षक हैं। यानी साल में कम से कम छह बार बच्चों को जन्मदिन की शानदार पार्टी मिलती है। इसके अलावा विद्यार्थियों का जन्मदिन भी सामूहिक रूप से मनाया जाता है। जन्मदिन वाले बच्चे का मुंह मीठा कराने के बाद पूरा स्कूल उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।

शिक्षकों का समर्पण बना पहचान

प्रधान पाठक दीपा आर्य और शिक्षिका सरिता नेताम ने इस स्कूल को नई ऊंचाई दी है। वहीं शिक्षकों रुकमणी सोरी, मंजूषा डोंगरे, चंद्रकांत साहू, नरसिंह यादव, झम्मन दिल्लीवार, पुरुषोत्तम साहू, पुष्पेंद्र साहू और संकुल प्राचार्य कमला कुलदीप का योगदान उल्लेखनीय है।

क्यों है पोटिया स्कूल खास

1 स्मार्ट क्लासरूम: यहां एलईडी पैनल पर पढ़ाई होती है। बच्चे विज्ञान, गणित और भूगोल के कठिन सिद्धांत एनिमेशन और वीडियो के जरिए सीखते हैं। नतीजा यह है कि अब विज्ञान की समझ बच्चों में गहरी हो गई है।

2 मिनी थिएटर: स्कूल में ‘मिनी थिएटर’ बनाया गया है, जहां कहानियों और लघु फिल्मों के जरिए विषयों को सिखाया जाता है। नैतिक शिक्षा से लेकर गणित के सिद्धांत तक बच्चे देखकर सीखते हैं। थिएटर में केंद्र सरकार के शैक्षणिक प्रसारण भी दिखाए जाते हैं।

3 ‘माई पहुना’ कार्यक्रम: बच्चों को करियर की राह दिखाने के लिए ‘माई पहुना कार्यक्रम’ शुरू किया गया है। इसमें विशेषज्ञ अपने अनुभव साझा करते हैं। हाल ही में दुर्ग कलेक्टर के पिता, एयरफोर्स के पूर्व अफसर ने बच्चों को वायुसेना में जाने का रास्ता बताया। इसके अलावा डॉक्टर, इंजीनियर और कॉलेज प्राचार्य भी इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं।