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दिवाली पर दुर्ग की महिलाओं के डिजाइनर कैंडल से रोशन होंगे कई जिले, 2019 से बना रहे दिए… अब तक 3 लाख रुपए का लाभ

Diwali 2025: दीपों के पर्व दिवाली पर इस बार दुर्ग की ग्राम बोरीगारका की महिला समूह द्वारा बनाई गई डिजाइनर कैंडल से प्रदेश के कई जिले के घर रोशन होंगे।

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दिवाली (Image Source: ChaGPT)

दिवाली (Image Source: ChaGPT)

Diwali 2025: दीपों के पर्व दिवाली पर इस बार दुर्ग की ग्राम बोरीगारका की महिला समूह द्वारा बनाई गई डिजाइनर कैंडल से प्रदेश के कई जिले के घर रोशन होंगे। आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के अभियान के तहत स्व-सहायता समूह से जुड़ीं ये महिलाएं डिजाइनर कैंडल बना रहीं हैं।

इनके कैंडल की डिमांड अब दुर्ग भिलाई से निकलकर राजधानी रायपुर, जगदलपुर, बस्तर, बिलासपुर सहित कई जिलों तक पहुंच चुकी है। ये महिलाएं आर्डर पर न सिर्फ कैंडल सप्लाई कर रहीं हैं, बल्कि अलग-अलग अवसरों पर कई जिलों में जाकर खुद इनकी बिक्री करती हैं। महिलाओं के मुताबिक इस साल अब तक कैंडल की बिक्री से 3 लाख रुपए शुद्ध आमदनी कमा चुकीं हैं।

बना रहे 2019 से

ग्राम बोरीगरका की सिद्धि स्व-सहायता समूह से जुड़ीं 11 महिलाएं 5 सालों से डिजाइनर कैंडल बनाकर उसे बेचने का काम कर रहीं हैं। समूह की अध्यक्ष पुष्पा साहू बताती हैं कि 2019 में कैंडल निर्माण व विक्रय का काम शुरू किया। डिजाइनर कैंडल बनाने के लिए साचों का इस्तेमाल करतीं हैं। इसके लिए कच्चा माल राजधानी रायपुर व स्थानीय बाजार से खरीदती हैं और सभी महिलाएं मिलकर कैंडल का निर्माण करतीं हैं।

समूह की अध्यक्ष पुष्पा साहू ने बताया कि आजीविका मिशन के तहत शासन से मिली सहयोग राशि से इस व्यवसाय की शुरूआत हम महिलाओं ने की है। उन्होंने बताया कि उनके बनाए डिजाइनर कैंडल काफी पसंद किए गए, जिससे उनकी मां बढ़ती गई और व्यापार बढ़ने के साथ समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

आर्डर पूरा करने चार माह पहले काम शुरू

समूह की शशि बघेल व सरोज साहू बतातीं हैं कि दिवाली त्योहार से 4 माह पहले काम शुरू करना पड़ता है, ताकि मांग पूरी की जा सके। उन्होंने बताया कि कई बार मांग के बाद भी सप्लाई संभव नहीं होता। दुर्ग-भिलाई के साथ रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर व बस्तर से कैंडल की ज्यादा मांग रहती है। महिलाएं बतातीं हैं कि कैंडल का निर्माण वे डिजाइनर सांचों की सहायता से करती है। इसके लिए कच्चा माल के रूप में वैक्स और धागा लिया जाता है।

सांचा पहले से ही उनके पास है, जिसे वे रायपुर से खरीदकर लाईं थी। वैक्स को पिघलाकर धागा फिट कर सांचे में डालना होता है। 15 मिनट में कोई भी डिजाइनर कैंडल तैयार हो जाता है। हर साल कम से कम तीन लाख आमदनी का लक्ष्य रखकर काम शुरू किया जाता है। इस बार अब तक तीन लाख आमदनी हो चुकी है। अभी भी मांग आ रही है। जनपद पंचायत के चिन्हारी बाजार में भी स्टॉल लगाया है। जहां लोग पहुंच रहे हैं और डिजाइनर कैंडल का खासा पसंद कर खरीद रहे हैं।