महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की आराधना को समर्पित दिन है। इस दिन से कई पौराणिक मान्यताएं और कथाएं जुड़ी हैं, परंतु सर्वाधिक मान्यता भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह से संबंधित है। शिवरात्रि का यह महापर्व फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। यह त्याग, तपस्या और संयम का महापर्व है। शिवरात्रि के दिन प्रात: स्नानादि कार्यों से निवृत्त होने के पश्चात भगवान शिव एवं उनके परिवार का पूजन करना चाहिए। शास्त्रों में विभिन्न विधियों से शिवजी का अभिषेक करने का वर्णन भी आता है। अगर विस्तृत विधि से परिचित न हों तो शीतल जल, दूध, दही और कच्चे चावल से भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं। पूजन में ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप सर्वश्रेष्ठ फल देता है। भगवान शिव का पूजन करने के पश्चात दिनभर उपवास करना चाहिए और अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। आवश्यकता के अनुसार फलाहार एवं सात्विक पदार्थों का सेवन किया जा सकता है।