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सपा के लिए ‘संजीवनी’ बनी आजम खान की रिहाई, रामपुर से लखनऊ तक पार्टी में नई ऊर्जा, वापसी से बदले समीकरण

UP Elections 2027: 23 माह बाद आजम खान की रिहाई से समर्थकों में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि 2026 के पंचायत और 2027 के विधानसभा चुनावों में सपा को इसका बड़ा फायदा मिलेगा।

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सपा के लिए ‘संजीवनी’ बनी आजम खान की रिहाई | पत्रिका फाइल फोटो।

Azam khan release boosts samajwadi party: समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए आजम खान की जेल से रिहाई किसी संजीवनी से कम नहीं मानी जा रही। बुधवार को उन्होंने जिस अंदाज़ में बसपा में शामिल होने की अटकलों को खारिज किया, उसने साफ कर दिया कि 2027 के विधानसभा चुनाव में सपा को उनकी मौजूदगी से बड़ा राजनीतिक लाभ मिलने वाला है।

मुस्लिम राजनीति का मजबूत चेहरा

आजम खान को हमेशा से सपा का बड़ा मुस्लिम चेहरा माना जाता है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की छात्र राजनीति से लेकर मुख्यधारा की सियासत तक उन्होंने लंबा सफर तय किया। 10 बार विधायक चुने गए आजम खान सपा सरकार में कई अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं, जिनमें सहकारिता, वक्फ, मुस्लिम मामले और नगर विकास जैसे विभाग शामिल रहे।

1996 से लेकर 2022 तक की राजनीति

वर्ष 1996 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद सपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा। 2019 में वह लोकसभा पहुंचे और जीत दर्ज की। हालांकि, इसके चलते उन्होंने विधानसभा की सदस्यता छोड़ी, लेकिन 2022 में वह फिर से रामपुर शहर से विधायक चुने गए। उनकी पत्नी तजीन फात्मा भी राज्यसभा सदस्य रहीं और बाद में विधायक बनीं, जबकि बेटा अब्दुल्ला आजम खान स्वार से विधायक चुना गया। इस तरह आज़म का परिवार रामपुर और आसपास की राजनीति का केंद्र बन गया।

कानूनी शिकंजा और सपा की कमजोरी

धोखाधड़ी के मामलों में दोषी ठहराए जाने के चलते आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे तीनों को जेल जाना पड़ा। जैसे ही उन पर कानूनी शिकंजा कसने लगा, समर्थक भूमिगत होने लगे और कुछ ने भाजपा का दामन थाम लिया। इसका सीधा असर सपा की मजबूती पर पड़ा और रामपुर का किला ढह गया। इस बीच भाजपा नेता आकाश सक्सेना शहर से विधायक चुने गए।

रिहाई के बाद बदला माहौल

करीब 23 माह बाद जेल से बाहर आने के बाद आजम खान के समर्थकों में गजब का उत्साह देखा जा रहा है। पहले जो समर्थक छिप गए थे, अब वे खुलकर सामने आ गए हैं। जेल से रिहाई के बाद उनका काफिला और घर पर उमड़ी भारी भीड़ इस बात की गवाही दे रही है कि उनकी लोकप्रियता अब भी बरकरार है।

भविष्य की सियासत पर असर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आजम खान की रिहाई से सपा को एक बार फिर से मजबूती मिलेगी। यह असर सबसे पहले 2026 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में देखने को मिलेगा और फिर 2027 के विधानसभा चुनाव में यह सियासी संजीवनी पूरी तरह कारगर साबित हो सकती है।

घर पर उमड़ा जनसैलाब

आजम खान की एक झलक पाने के लिए समर्थक मंगलवार शाम से ही बेचैन थे। बुधवार सुबह होते ही उनके घर पर भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई। दोपहर तक पूर्व विधायक हाजी रिज़वान, विजय सिंह, सपा के प्रदेश सचिव ओमेंद्र चौहान समेत सैकड़ों समर्थक पहुंच गए। यह नजारा बताता है कि आजम खान की मौजूदगी सपा के लिए कितनी अहम है।