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UP Politics: आजम खान अखिलेश की मुलाकात से पहले राजनीतिक पारा हाई, बसपा रैली के एक दिन पहले तय हुआ दौरा

UP Politics: अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को रामपुर जाकर पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान से मुलाकात करेंगे। यह दौरा मायावती की लखनऊ रैली से ठीक एक दिन पहले रखा गया है और इसे सपा की राजनीतिक रणनीति माना जा रहा है।

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UP Politics: आजम खान अखिलेश की मुलाकात से पहले राजनीतिक पारा हाई | Image Source - 'X' @surya_samajwadi

UP Politics News In Hindi: सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आगामी राजनीतिक रणनीति के तहत पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान से मिलने के लिए 8 अक्टूबर को रामपुर जाएंगे। यह दौरा खासतौर पर मायावती की लखनऊ रैली से ठीक एक दिन पहले तय किया गया है। जानकार मान रहे हैं कि इस कदम के पीछे सपा की चुनावी रणनीति काम कर रही है।

अखिलेश यादव सुबह 10 बजे प्राइवेट जेट से अमौसी एयरपोर्ट से उड़ान भरेंगे और बरेली एयरपोर्ट पहुंचकर वहां से सड़क मार्ग के जरिए सीधे आजम खान के घर जाएंगे। आजम खान के यहां उनका लगभग एक घंटे का कार्यक्रम रखा गया है। इसके बाद अखिलेश वापस बरेली होते हुए लखनऊ लौटेंगे।

आजम खान का बयान: अखिलेश यादव बड़े नेता

रामपुर में मीडिया से बातचीत में आजम खान ने कहा कि अखिलेश यादव बड़े नेता हैं और अगर उनके बारे में बात की जाए तो यह उनका बड़प्पन दर्शाता है। पत्रकारों ने सवाल किया कि जेल से रिहाई के बाद क्या अखिलेश से मुलाकात हुई और रामपुर सांसद मोहिबुल्लाह क्यों नहीं आए। आजम ने स्पष्ट किया कि उनका मकसद सिर्फ अच्छा स्वास्थ्य और खैरियत सुनिश्चित करना है।

आजम ने अखिलेश के उस दावे पर प्रतिक्रिया भी दी जिसमें कहा गया था कि सपा सरकार बनने पर उनके खिलाफ दर्ज सभी केस वापस लिए जाएंगे। आजम ने कहा कि शायद इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी और उन्होंने भरोसा जताया कि अदालत से उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि 2027 में सपा सरकार बनने की भविष्यवाणी करना अभी संभव नहीं है।

मुलाकात की राजनीति: बसपा रैली से पहले सस्पेंस

विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यह दौरा बसपा में आजम खान की संभावित शामिल होने की अटकलों के बीच रखा गया है। 8 अक्टूबर का कार्यक्रम इसलिए तय किया गया है ताकि उस समय तक राजनीतिक तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाए। सपा के लिए यह दौरा केवल एक राजनीतिक संदेश नहीं, बल्कि आगामी चुनावी समीकरणों की तैयारी भी है।

सवाल यह है कि क्या आजम खान सच में बसपा में शामिल होंगे या नहीं और अखिलेश यादव की यह रणनीति उनके कदमों को सटीक दिशा देने की कोशिश है। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि इस मुलाकात का असर न केवल सपा-बसपा समीकरण पर पड़ेगा, बल्कि 2027 के चुनावी परिदृश्य पर भी इसकी छाया दिखाई देगी।