Type 1 Diabetes | प्रतीकात्मक फोटो | डिजाइन - पत्रिका
T1 Diabetes : टाइप 2 डायबिटीज के बारे में जितनी जानकारी है, उतनी टाइप 1 डायबिटीज को लेकर नहीं है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इसको लेकर जागरूक होने की जरुरत है। क्योंकि, ये 2040 तक 14.7 मिलियन का आंकड़ा पार कर सकता है। हालही में यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज (European Association for the Study of Diabetes) वियना (ऑस्ट्रिया की राजधानी) में वार्षिक सम्मेलन में टी 1 डायबिटीज पर विमर्श किया गया। सम्मेलन में कहा गया कि टी1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) का पूरी दुनिया पर बोझ बढ़ता दिख रहा है। इसके केस में तेजी से बढ़ोत्तरी दिख रही है। आइए, डॉक्टर से जानते हैं टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण, कारण और बचाव से जुड़ी बात।
इस सम्मेलन में विशेषज्ञों ने बताया कि टाइप 2 के मुकाबले इसके बारे में कम जानकारी है। डॉ. अर्जुन राज कहते हैं, "इसके बारे में आप इस तरह समझ सकते हैं कि यह एक स्व-प्रतिरक्षी बीमारी है। शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से अग्न्याशय (Pancreas) की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। इसके कारण इंसुलिन बनना बंद हो जाता है या बहुत कम बनता है। इंसुलिन न होने से ग्लूकोज कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता और खून में जमा होने लगता है।"
अगर इसके आंकड़ों पर नजर डालें तो ये अपने आप में बड़ा नंबर है। साथ ही भविष्य में 2040 तक ये 9.5 मिलियन से 14 मिलयन तक पहुंच सकता है। इस तरह की संभावना जताई जा रही है। ICMR ने 2022 में बताया था कि भारत में टाइप 1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों की संख्या 2.5 लाख थी। डॉ. अर्जुन राज बताते हैं कि यह बीमारी अधिकतर बचपन या युवावस्था में होती है। भारत की युवा आबादी के लिए भी ये संकेत सही नहीं है।
विशेषज्ञ ये भी मान रहे हैं कि ये अधिकतर बच्चों व युवाओं में होता है। अगर टाइप 1 डायबिटीज को बाद में देखा गया तो मरीज को इलाज के लिए प्रतिदिन इंसुलिन इंजेक्शन लेना पड़ सकता है। इस हिसाब से भी ये सही नहीं माना जा रहा।
साल 2022 में लोकसभा में इसको लेकर तत्कालीन स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने जवाब दिया था। भारत में टाइप-1 डायबिटीज के मामलों पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने यंग डायबिटीज रजिस्ट्री (YDR) की शुरुआत वर्ष 2006 में की थी। इस रजिस्ट्री में उन मरीजों को शामिल किया जाता है जिन्हें 25 वर्ष या उससे कम उम्र में डायबिटीज का निदान हुआ हो।
ICMR-YDR की एक स्टडी (2022) में दिल्ली और चेन्नई में टाइप-1 डायबिटीज को लेकर चिंता जताई। इसके अनुसार, वार्षिक दर का भी अनुमान लगाया गया। अध्ययन में 20 साल से कम उम्र में टाइप-1 डायबिटीज के औसतन 4.9 मामले प्रति 1,00,000 आबादी में दर्ज किए गए।
नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवस्कुलर डिजीज और स्ट्रोक (NPCDCS) के तहत तकनीकी और वित्तीय सहायता देती है। इसके तहत सभी आयु वर्ग, बच्चों सहित, कवर किए जाते हैं। साथ ही नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) की फ्री ड्रग्स सर्विस इनिशिएटिव के तहत गरीब और जरूरतमंदों को फ्री इंसुलिन और अन्य दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
डॉ. अर्जुन राज बताते हैं कि टाइप 2 से बहुत अलग लक्षण नहीं हैं। लेकिन, सामान्य तौर पर समझने के लिए व्यस्क में ये लक्षण दिखें तो जांच करा लेनी चाहिए-
डॉ. अर्जुन ये भी कहते हैं कि संतुलित लाइफ के जरिए ही इससे बच सकते हैं। साथ ही समय पर पता चलने पर अलग शुगर लेवल को नियंत्रित किया जाए तो काफी हद तक मदद मिल सकती है। इसलिए, समय पर स्वास्थ्य की जांच जरूरी है।
Published on:
19 Sept 2025 06:29 pm
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