Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Symptoms Seen on Hands and Nails : हाथ और नाखून पर दिखने वाले लक्षण किस बीमारी के हैं संकेत

Nail health signs : हाथों और नाखूनों के लक्षण किस बीमारी के संकेत हैं? आयुर्वेद (डॉ. अर्जुन राज), होम्योपैथी (डॉ. विनोद शर्मा) और एलोपैथी (डॉ. अतुल गोयल) विशेषज्ञों से जानें पीले/नीले/सफेद नाखून, चम्मच के आकार की बनावट, हाथ में कंपन और पसीने के पीछे के स्वास्थ्य कारण और तीनों चिकित्सा पद्धतियों में उपचार के तरीके।

4 min read
Google source verification

भारत

image

Manoj Vashisth

Oct 26, 2025

Symptoms Seen on Hands and Nails

Symptoms Seen on Hands and Nails (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Symptoms Seen on Hands and Nails : नाखूनों की बनावट, रंग और आकार अक्सर हमारे आंतरिक स्वास्थ्य की कहानी कहते हैं। ये शरीर के पोषण स्तर, किसी संक्रमण या यहाँ तक कि गंभीर बीमारियों का संकेत भी दे सकते हैं। यहां नाखूनों पर दिखने वाले प्रमुख लक्षणों, उनसे जुड़ी संभावित बीमारियों और उनके एलोपैथी एवं होम्योपैथी और आयुर्वेद उपचार दृष्टिकोणों का विस्तृत विवरण दिया गया है।

हाथ और नाखून हमारे शरीर के स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण संकेत हो सकते हैं। उनमें होने वाले छोटे-छोटे बदलाव भी अक्सर किसी आंतरिक बीमारी या पोषण की कमी की ओर इशारा करते हैं। इन लक्षणों को पहचानना समय पर निदान और उपचार में सहायक हो सकता है।

यहां हाथ और नाखूनों पर दिखने वाले कुछ सामान्य लक्षण और उनसे जुड़ी संभावित बीमारियों का होम्योपैथी और एलोपैथी और आयुर्वेद उपचार और संकेतों को जानने के लिए हमने बात की आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ अर्जुन राज, होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ विनोद शर्माऔर सीनियर फिजीशियन डॉ अतुल गोयल से।

आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ अर्जुन राज ने बताया, हमारे हाथों और नाखूनों की हालत हमारे शरीर के अंदर चल रही कई बीमारियों का संकेत दे सकती है चाहे वह आधुनिक चिकित्सा के हिसाब से हो या आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से।

अगर नाखूनों का रंग, आकार या बनावट बदलने लगे, तो यह कई बार शरीर के लिवर, दिल, गुर्दे, फेफड़ों, थायरॉइड या इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्या का इशारा हो सकता है।

उदाहरण के तौर पर:

पीले नाखून – दिल की बीमारी या फंगल इंफेक्शन का संकेत हो सकते हैं।
नीले नाखून – फेफड़ों या गुर्दे की बीमारी से होने वाली ऑक्सीजन की कमी दिखाते हैं।
सफेद नाखून जिनकी नोक गुलाबी हो – गंभीर किडनी इंफेक्शन का इशारा हो सकते हैं।
चम्मच जैसे मुड़े हुए नाखून – अक्सर आयरन की कमी यानी एनीमिया का संकेत देते हैं।
काली या लाल रेखाएं – कभी-कभी इंफेक्शन या स्किन कैंसर की निशानी हो सकती हैं।

डॉ अर्जुन राज ने कहा, नाखूनों पर बनने वाली रेखाएं या गांठें सिर्फ उम्र की वजह से नहीं, बल्कि मधुमेह (डायबिटीज), सोरायसिस, या संक्रमण जैसी बीमारियों से भी हो सकती हैं। अगर नाखूनों के आस-पास लालिमा या सूजन दिखे, तो यह ल्यूपस जैसे स्व-प्रतिरक्षित रोग (Autoimmune Disease) का शुरुआती संकेत हो सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार:

  • वात दोष बढ़ने पर नाखून सूखे और मोटे हो जाते हैं।
  • पित्त दोष बढ़ने पर उनमें लालिमा या गर्मी दिखती है।
  • कफ दोष बढ़ने पर नाखून कमजोर और टूटने वाले हो जाते हैं।

डॉ अर्जुन राज ने कहा', अगर आपके नाखूनों में अचानक कोई गंभीर या लगातार बदलाव दिखे जैसे रंग बदलना, मोटे या कमजोर होना, या बार-बार टूटना तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लेना बहुत ज़रूरी है।

नाखूनों के लक्षण: एलोपैथी की नजर में रोग और उपचार

सीनियर फिजीशियन डॉ अतुल गोयल ने कहा, नाखूनों में होने वाले बदलाव शरीर के आंतरिक स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण सुराग देते हैं। एलोपैथी में इन लक्षणों का उपयोग अंतर्निहित बीमारी का निदान करने और फिर विशिष्ट, साक्ष्य-आधारित उपचार (Evidence-based treatment) देने के लिए किया जाता है।

यहां नाखूनों पर दिखने वाले प्रमुख लक्षणों, उनसे जुड़ी संभावित बीमारियों और उनके एलोपैथी दृष्टिकोण के अनुसार उपचार की रूपरेखा दी गई है।

1. रंग और पारदर्शिता में परिवर्तन

नाखूनों के रंग में बदलाव अक्सर लिवर, किडनी या फेफड़ों जैसे प्रमुख अंगों की समस्याओं की ओर इशारा करता है:

लक्षणसंभावित रोग/स्थितिएलोपैथी (निदान और उपचार)
पीले नाखूनफंगल इन्फेक्शन (Onychomycosis), पीलिया (Jaundice), थायरॉइड रोग, फेफड़ों के रोग (यलो नेल सिंड्रोम)।एंटीफंगल दवाएं (मौखिक या सामयिक) फंगल संक्रमण के लिए दी जाती हैं। पीलिया के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट और थायरॉइड के लिए हार्मोनल जांच के बाद अंतर्निहित रोग का विशिष्ट उपचार किया जाता है।
सफेद नाखून (Terry's Nails)लिवर सिरोसिस, किडनी रोग, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, गंभीर मधुमेह।सफेद नाखून अक्सर किसी गंभीर प्रणालीगत बीमारी का संकेत होते हैं। रोगी का विस्तृत क्लिनिकल और लैबोरेटरी निदान (जैसे- लिवर/किडनी फंक्शन टेस्ट, इकोकार्डियोग्राम) करके मूल रोग का प्रबंधन शुरू किया जाता है।
नाखूनों में गहरे धब्बे या लकीरेंचोट (Trauma), मेलानोमा (त्वचा कैंसर), विटामिन की कमी।यदि चोट का इतिहास न हो और लकीरें चौड़ी या रंग में असामान्य हों, तो मेलानोमा (त्वचा कैंसर) की आशंका के लिए तुरंत बायोप्सी की जाती है। पोषण की कमी की पुष्टि होने पर विटामिन B12/D सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं।

हाथों के लक्षण : होम्योपैथी की नजर में रोग और उपचार

होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ विनोद शर्मा ने बताया हमारे हाथ न केवल काम करने का साधन हैं, बल्कि यह शरीर के भीतर छिपी कई बीमारियों के संकेत भी देते हैं। होम्योपैथी के अनुसार, शरीर में दिखने वाले हर बाहरी लक्षण का एक गहरा अंदरूनी कारण (Root Cause) होता है और जब हम उस कारण को समझते हैं, तो शरीर स्वयं को ठीक करने लगता है। आइए जानें, हाथों में दिखने वाले कुछ आम लक्षण और उनके होम्योपैथिक अर्थ व उपचार

हाथों में कंपन (Tremors)

संभावित कारण:

  • पार्किंसंस रोग
  • अत्यधिक कैफीन या तनाव
  • थायरॉइड की गड़बड़ी
  • आवश्यक कंपन (Essential Tremor)

होम्योपैथिक दृष्टिकोण:

हाथों में कंपन केवल मांसपेशियों की समस्या नहीं, बल्कि तंत्रिका तंत्र की अस्थिरता का संकेत होता है।

  • Gelsemium – जब कमजोरी, डर या चिंता से कंपन बढ़ता है।
  • Mercurius Solubilis (Merc Sol) – जब कंपन रात में या आराम करते समय अधिक महसूस होता है।
  • Agaricus Muscarius – यदि कंपन के साथ थकान और अनैच्छिक हरकतें भी हों।
  • उपचार का चयन व्यक्ति की मानसिक स्थिति और लक्षणों की प्रकृति के अनुसार किया जाता है।

हथेलियों का अत्यधिक पसीना (Hyperhidrosis)

संभावित कारण:

  • अत्यधिक चिंता या मानसिक तनाव
  • थायरॉइड की अधिक सक्रियता
  • आनुवंशिक प्रवृत्ति

होम्योपैथिक दृष्टिकोण:

हथेलियों में जरूरत से ज्यादा पसीना निकलना शरीर के तापमान नियंत्रण और भावनात्मक असंतुलन का संकेत है।

  • Calcarea Carb – जब व्यक्ति मोटा, जल्दी थकने वाला और ठंड से डरने वाला हो।
  • Silicea – जब पसीना ठंडा हो और हथेलियों में गीलापन हमेशा बना रहे।
  • Natrum Muriaticum (Nat Mur) – जब पसीना भावनात्मक कारणों से (जैसे शर्म या तनाव) बढ़े।

हाथों में सूजन (Swelling of Hands)

संभावित कारण:

  • गठिया (Arthritis)
  • किडनी या हृदय की समस्या
  • लिम्फ का रुकना (Lymphedema)

होम्योपैथिक दृष्टिकोण:

सूजन शरीर में तरल पदार्थ रुकने या सूजन प्रक्रिया (Inflammation) के कारण होती है।

  • Rhus Toxicodendron (Rhus Tox) – गठिया या जोड़ों के दर्द में जब सूजन के साथ सुबह जकड़न होती है।
  • Apis Mellifica – जब सूजन लाल, गर्म और जलन वाली हो, जैसे मधुमक्खी के डंक के बाद।
  • Bryonia Alba – जब हलचल से दर्द बढ़ता है और आराम करने से राहत मिलती है।
  • हाथ की त्वचा का ठंडा या नीला पड़ना (Cold or Bluish Hands)

संभावित कारण:

  • रेनॉड रोग (Raynaud’s Disease)
  • खराब रक्त संचार
  • निम्न रक्तचाप या तनाव

होम्योपैथिक दृष्टिकोण:

यह शरीर में रक्त प्रवाह की रुकावट और तापमान संतुलन की कमी का संकेत है।

  • Calcarea Carb – ठंड से बहुत डरने वाले, पसीना ज्यादा आने वाले और सुस्त स्वभाव के लोगों में उपयोगी।
  • Arsenicum Album – जब ठंडेपन के साथ चिंता, बेचैनी और थकान भी हो।
  • Secale Cornutum – जब हाथ ठंडे पड़ जाएं और रंग नीला या बैंगनी हो जाए।