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कर्पूरी ग्राम से PM मोदी फूकेंगे चुनावी शंखनाद, क्या है BJP का प्लान, बिहार की राजनीति में कर्पूरी होने के मयाने क्या?

पीएम मोदी आज समस्तीपुर स्थित कर्पूरी ग्राम जाएंगे। वह कर्पूरी ठाकुर स्मृति भवन में जाकर उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करेंगे। जानिए कर्पूरी के जरिए पीएम मोदी क्या संदेश देना चाहते हैं।

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PM Modi

पीएम मोदी ( फोटो- आईएएनएस)

Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। BJP की चुनावी अभियान को धार देने के लिए पीएम मोदी (PM Modi) बिहार आए हैं। वह आज समस्तीपुर और बेगूसराय में रैली को संबोधित करेंगे। सबसे पहले पहले समस्तीपुर स्थित कर्पूरी ग्राम पहुंचे। जहां जननायक कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) स्मृति भवन में जाकर उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण किया। पीएम मोदी कर्पूरी ग्राम में करीब 25 मिनट तक रहेंगे। इसके बाद दूधपूरा एयरपोर्ट मैदान में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे।

पीएम मोदी ने इसे लेकर X पर लिखा था कि भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर जी को सादर नमन! आज समस्तीपुर में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। फिर दोपहर करीब 12:15 बजे वहां के अपने परिवारजनों से संवाद का सुअवसर मिलेगा। इसके बाद लगभग 2 बजे बेगूसराय की जनसभा में अपने भाई-बहनों का आशीर्वाद प्राप्त करूंगा। बिहार की जनता-जनार्दन का जोश और उत्साह बताता है कि इस बार के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा-एनडीए को प्रचंड जीत मिलने जा रही है।

विधानसभा चुनाव में 12 रैलियों को करेंगे संबोधित

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पीएम नरेंद्र मोदी 12 रैलियां करेंगे। वह आज यानी 24 अक्टूबर को बेगूसराय और समस्तीपुर में रैली को संबोधित करेंगे। इसके बाद संभवत: पीएम मोदी 30 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर और छपरा में जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके साथ ही, पीएम मोदी 2, 3, 6, 7 नवंबर को भी बिहार के अलग-अलग हिस्सों में जनता को संबोधित करेंगे। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान बिहार में कुल 20 रैलियां कीं थी और NDA गठबंधन ने 30 सीटों पर जीत हासिल की थी।

NDA का मिशन EBC

बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इंडिया और एनडीए दोनों गठबंधनों की नजर EBC वोट बैंक पर है। बिहार की सियासत में कहा जाता है कि EBC वोटर्स, अन्य समुदाय की तरह वोकल नहीं होते हैं। वह चुपचाप सियासी तमाशा देखते रहते हैं और अंत में जाकर वोटिंग करते हैं। इससे नतीजों पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

2005 में नीतीश ने EBC वोट बैंक को साधने के बाद ही 15 साल से जारी लालू-राबड़ी राज को खत्म किया था। तब से अब तक EBC वोटर्स का झुकाव नीतीश और NDA की तरफ है। EBC समुदाय को साधने के लिए ही राजद सुप्रीमो लालू यदाव ने कर्पूरी ठाकुर के जमाने से राजनीति करते आए मंगनी लाल मंडल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। माना गया है कि लालू ने नीतीश के अतिपिछड़ा वोट बैंक में सेंधमारी के लिए मंगली लाल को यह जिम्मेदारी दी है।

2023 में हुई जातीय जनगणना के अनुसार बिहार, अति पिछड़ा वर्ग यानी EBCs 36.02% आबादी के साथ सबसे बड़ा समुदाय है। कर्पूरी भी EBC वर्ग से थे। इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग यानी OBCs की आबादी 27.13% और अनुसूचित जातियों यानी SCs की 19.66% आबादी है। ऐसे में सामाजिक न्याय के मसीहा माने जाने वाले कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यापर्ण के जरिए पीएम मोदी साफ संदेश देना चाहते हैं कि वह कर्पूरी ठाकुर के पद चिन्हों पर चल रहे हैं।

कर्पूरी को मिला भारत रत्न, बदल गया था समीकरण

23 जनवरी 2024 को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न की घोषणा हुई। बिहार के राजनीतिक महकमे में क्रेडिट लेने की होड़ मच गई। JDU, RJD और BJP के नेता अपनी-अपनी पीठ थपथपाने लगे थे। पीएम मोदी के इस फैसले के चलते बिहार की सियासत ने एक बार फिर तेजी से करवट ली। साल 2022 में भाजपा से नाता तोड़ने वाले नीतीश एकबार फिर बीजेपी के साथ आ गए। यह नीतीश का पांचवां राजनीतिक स्विच था। इसके बाद वह नौवीं बार सीएम बने थे। नीतीश के NDA में आने से गठबंधन को मजबूती भी मिली। NDA ने लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 30 सीटों पर जीत हासिल की।

1967 में बिहार सरकार में कर्पूरी डिप्टी सीएम, तीन जनसंघ नेता मंत्री

1967 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया और जनसंघ के नेता साथ आ गए थे। इसके बाद संयुक्त विधायक दल (SVD) की सरकार बनी, जिसमें महामाया प्रसाद सिन्हा मुख्यमंत्री और कर्पूरी ठाकुर उप-मुख्यमंत्री बने। इस चुनाव में भारतीय जनसंघ ने 26 सीटें जीतीं और पार्टी के तीन नेता मंत्री बने।

कर्पूरी ठाकुर के फैसले देश में मिसाल बने

कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के सीएम रहे। 2 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 और 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 तक वह बिहार के मुख्यमंत्री रहे। 5 मार्च 1967 से 31 जनवरी 1968 तक वह CM महामाया प्रसाद सिन्हा की सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे। 1967 में पहली बार उपमुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया। इसके चलते उनकी आलोचना भी हुई और बिहार में अग्रेजी विषय में फेल होकर भी मैट्रिक में पास होने वालों को कर्पूरी डिवजन पास का तमगा दिया जाने लगा।

यही नहीं, वह देश में मैट्रिक तक शिक्षा मुफ्त करने वाले पहले मुख्यमंत्री बने। बिहार में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा दिया। देश में पहली बार OBC आरक्षण दिया था। OBC के लिए आरक्षण लागू करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। उन्होंने बिहार में कई स्तरों पर आरक्षण लागू किया। 1978 में CM रहते हुए कर्पूरी ने महिलाओं और सवर्ण जातियों में शामिल आर्थिक रूप से पिछड़ों को 3-3% आरक्षण भी व्यवस्था भी की। खास बात यह है कि उस समय जनता पार्टी में रहते हुए जनसंघ के कई नेताओं ने आरक्षण का विरोध किया था।

कर्पूरी ठाकुर के परिवार से कौन-कौन राजनीति में

कर्पूरी ठाकुर के बड़े बेटे रामनाथ ठाकुर जेडीयू से राज्यसभा सांसद हैं। वह 2024 में मोदी 3.0 कैबिनेट में राज्य मंत्री हैं। इसके साथ ही, कर्पूरी ठाकुर की पोती जाग्रति भी चुनावी राजनीति में हाथ आजमा रही हैं। वह जनसुराज की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं।