पैसों की सिर्फ बचत करना ही नहीं, बल्कि उन्हें सही जगह निवेश करना भी जरूरी है। (PC: Freepik)
Money Tips: यूं तो पारंपरिक रूप से भारतीयों को बचत से लगाव रहा है, लेकिन आज के युवाओं में 'वर्तमान में जीने' का ट्रेंड उन्हें कई बार कर्ज के मायाजाल और अंधे भविष्य की ओर धकेल देता है। जब तक इंसान जागता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब चादर से ज्यादा लंबे पांव पसार लिए जाते हैं और नियमित आय में बचत नहीं की जाती और बचत की भी जाती है तो इसे सही जगह पर इस्तेमाल नहीं किया जाता।
हाल ही में एक खबर ने सुर्खियां बटोरी थीं। एक परिवार को दिवाली की सफाई के दौरान अपने पुराने सेट-टॉप बॉक्स में 2 लाख रुपये (2 हजार के नोटों की गड्डी के रूप में) मिले थे। यह खबर इस बात का भी संकेत करती है कि पैसा रखकर भूल जाना पैसा गंवा देने बराबर ही है। यदि आपने मोटी रकम सेव कर भी ली, तो भी वह कुछ समय बाद विभिन्न फैक्टर्स और कारणों के चलते अपनी मार्केट वैल्यू गंवा सकती है। याद रखिए, जो सिर्फ बचाता है, वह महंगाई से हारता है लेकिन जो समझदारी से निवेश करता है, वही असली बचत करता है। राजस्थान पत्रिका की इस स्पेशल रिपोर्ट में आइए फाइनेंशल प्लानर से बचत, निवेश, आम भ्रमों और आय से जुड़ी कैलकुलेशन के बारे में समझते हैं।
वैल्यू कर्व फाइनेंशल सर्विसेस पार्टनर और सर्टिफाइड सीएफपी और सीएफए रौनक मोरजारिया कहते हैं कि युवा उम्र से ही पैसा बचाने की आदत डालनी चाहिए। जब आपकी पहली नौकरी लग जाती है, तो कम से कम 50-60 फीसदी सेविंग करनी शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि तब तक आपकी खुद की फैमिली नहीं बनी होती और मां बाप आपके कई खर्च संभालते हैं (आमतौर पर)। युवा लोगों के ट्रैवल, गैजेट्स या फिर लाइफस्टाइल के अलावा अन्य खर्चे कम होते हैं। घर के बंधे बंधाए खर्च उन पर जिम्मेदारी की तरह नहीं होते। जब आप पहली नौकरी करते हैं, तब से ही आपको बचत की आदत डालनी चाहिए।
रौनक बताते हैं कि ईएमआई से आईफोन 17 लेने की बजाय युवाओं को सेविंग को प्राथमिकता देनी चाहिए। अगर आपका खुद का घर है, तो यह तो तय है कि छत का जुगाड़ फिलहाल आपको नहीं करना, केवल होम अपग्रेड ही करना होगा। लेकिन, मकान होने की मूलभूत जरूरत पूरी हो रही होगी। ऐसे में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा सेविंग करनी चाहिए। ये सेविंग आपके लिए उस समय पर काम आएगी जब आपको एक साथ ज्यादा पैसा चाहिए होगा जैसे कि आपका खुद का विवाह या किसी बिजनेस या कारोबार को सेटअप करने जैसी बड़ी चीजों में!
यह बात पढ़ने में अजीब लग सकती है लेकिन है बेहद गहरी। आप जो बचत कर रहे हैं, यदि उसे नकद रूप में अपने पास बनाए रखते हैं तो इसके अपने नुकसान हैं, जो छोटे-मोटे नहीं बल्कि ध्यान से देखें तो काफी ज्यादा हैं। पहली बात तो महंगाई के मद्देनजर गद्दे के नीचे या तिजोरी में रखे गए रुपये की कीमत दिनों दिन कम होती जाती है। यानी आज जो वैल्यू 1000 रुपये की है, वह आगे चलकर 900 से 800 और 700 से 500 भी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि रुपये की कमजोरी का असर सीधे तौर पर यूं ही रखी गई नकदी पर पड़ता है। जिस पैसे को आपने अपने घर पर रखा है, इस पैसे पर आपको ब्याज भी नहीं मिल रहा है।
आपकी मासिक सैलरी है 20 हजार रुपये तो भी अगर आप 2 हजार रुपया महीना बचाते हैं तो यह बहुत बढ़िया है। आप इस पैसे को इक्विटी एसआईपी या गोल्ड एसआईपी में लगा सकते हैं। यह काम आप सीधे अपने मोबाइल से इंटरनेट के इस्तेमाल से कर सकते हैं। धीरे धीरे ही सही लेकिन अपना पोर्टफोलियो बनाइए।
आजकल पैसे को इन्वेस्ट करना कोई टेढ़ी खीर नहीं रह गया है। लाखों-करोड़ों रुपये के निवेश से जुड़े फैसले फोन पर सिक्योरिटी फैक्टर्स को ध्यान में रखकर किए जाते रहे हैं। यदि आप यूपीआई पेमेंट मैथड का इस्तेमाल करते हैं, तो यूपीआई के जरिए भी म्यूचुअल फंड्स, एसआईपी आदि में निवेश कर सकते हैं।
जिस पैसे को आपने अपने घर पर रखा है, वह किसी वस्तु की तरह घर में पड़ा है और आपको इमोशनल सिक्योरिटी दे रहा है। इसलिए बचत करने की आदत डालने के साथ ही पैसा कम से कम बैंक में तो रखें ही। अपने पास कैश केवल आपातकालीन स्थिति के लिए या फिर खर्चों (एक्सपेंसेज) के लिए ही रखें। पर ध्यान रखें कि महंगाई दर (CPI 5–6%) और FD ब्याज दर (6–7%) के बीच होने से पारंपरिक निवेशक का नेट रिटर्न लगभग जीरो रह जाता है।
एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर आपके ऊपर कोई टैक्स लायबिलिटी नहीं बन रही है और आपकी सालाना आय 12 लाख रुपये तक है तो आप वैसे भी इनकम टैक्स के दायरे से बच गए। 12 लाख रुपये से कम इनकम वाले व्यक्ति को आरडी और एफडी के जरिए ही सही, निवेश की शुरुआत कर लेनी चाहिए। बैंकों में आरडी और एफडी जैसे विकल्प आप अपना सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन पर मिले ब्याज समेत कुल आय 12 लाख रुपये से कम होती है तो आपको इस पर लगे ब्याज पर कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा। साथ ही आप चाहें तो डेट फंडस भी ले सकते हैं।
रौनक मोरजारिया एक स्टडी का हवाला देते हुए बताते हैं कि आठ साल तक कोई भी व्यक्ति एसआईपी में निवेश बनाए रखता है, तो आपके रिटर्न के नेगेटिव होने की आशंका एकदम नगण्य है, ऐसा देखा गया है। लॉन्ग टर्म में निवेश से काफी कम मामलों में नुकसान होता देखा गया है. आम निवेशक को यह समझना चाहिए कि जरूरी नहीं कि आज आपने बाजार में पैसा डाला तो कल से वह मल्टिप्लाई होना शुरू हो जाएगा। रौनक जोर देकर कहते हैं कि ऐसा नहीं हो सकता है, बल्कि यह संभव है कि कुछ साल तक आपको निगेटिव रिटर्न देखने को मिले। इसके लिए आपको मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए। आपके पैसे की ग्रोथ का चार्ट नीचे जाएगा, लेकिन बाद में यह मार्केट रिकवरी के दौरान रिटर्न बेहतर दिखा सकता है।
इसी के जरिए आप बढ़ती महंगाई को एक हद तक मात दे सकते हैं। आपका पैसा एक क्लिक से आपके पास आ सकता है और किसी भी आपातकालीन स्थिति में अपने अकाउंट में लेकर लिक्विड में कन्वर्ट कर सकते हैं। सेविंग में भी 2 फीसदी के आसपास ब्याज मिलता है, तो इससे महंगाई को तो मात नहीं दे सकते, इसलिए सोच-समझकर निवेश करिए।
हम भारतीयों के लिए गोल्ड ‘इमोशनल इन्वेस्टमेंट’ भी है पर इसका रिटर्न महंगाई से बहुत आगे नहीं जाता। कई बार हम गोल्ड बेचते नहीं, बल्कि होल्ड करके रखते हैं। गोल्ड आपदा में काम तो देगा, लेकिन रिटर्न वह लॉकर या घर में पड़े-पड़े नहीं दे रहा होता है। वहीं, रियल एस्टेट लंबी अवधि में फायदेमंद हो सकता है, पर लिक्विडिटी की कमी और टैक्सेशन के नियम इसको भी सीमित रिटर्न तक घसीट डालते हैं।
रौनक कहते हैं कि रियल एस्टेट को निवेश के लिए नहीं लेना चाहिए। खुद के इस्तेमाल के लिए ही प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहिए। लेकिन यदि आपके पास किसी कारण से एडिशनल पैसा आ गया हो, तो ही रियल एस्टेट को निवेश के लिए चुनना चाहिए। प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट के साथ कई जोखिम और दिक्कतें हैं और जिस वक्त आप प्रॉपर्टी को भुनाने जाते हैं, तब जरूरी नहीं कि आपको वाजिब दाम भी मिलें।
Published on:
23 Oct 2025 05:20 pm
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