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Loyalty card: कैसे रिवॉर्ड कार्ड के जरिये हो रहा है आपका बटुआ खाली,भारत में भी चल रहा है यह खेल

Loyalty card Pricing : लॉयल्टी कार्ड को स्कैन करने पर आपको पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। छूट का लालच देकर भारतीयों का डेटा इकट्ठा कर ज्यादा कीमत वसूल किया जा रहा है।

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Loyalty card Pricing

लॉयल्टी कार्ड से ग्राहकों को छूट का लालच। (फोटो: द वाशिंगटन पोस्ट, डिजाइन: पत्रिका नेटवर्क.)

Loyalty card Pricing: क्या आप लॉयल्टी कार्ड का खेल जानते हैं, इसे स्कैन करने पर आपको पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। कंपनियाँ कहती हैं कि वे आपके समर्पण को पॉइंट्स, छूट और सुविधाओं से पुरस्कृत कर रही हैं। लेकिन पर्दे के पीछे, कई कंपनियाँ इन कार्ड का इस्तेमाल आपके व्यवहार पर नज़र रखने और आपकी प्रोफ़ाइल बनाने के लिए कर रही हैं - फिर आपसे उतना ही शुल्क लेती हैं जितना उन्हें लगता है कि आप चुकाएँगे। इसलिए सावधान हो जाइए। भारत में लॉयल्टी कार्ड (Loyalty card) तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, लेकिन क्या ये वाकई आपके फायदे के लिए हैं? स्टारबक्स, बिग बाजार और अमेजन प्राइम (Amazon Prime) जैसे कार्डग्राहकों को छूट और पॉइंट्स का लालच देते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे ये आपकी खरीदारी की आदतों पर नजर रखते हैं और आपसे ज्यादा पैसे वसूल सकते हैं। एक अमेरिकी पत्रकार ने स्टारबक्स रिवॉर्ड प्रोग्राम का डेटा खंगाला (India Consumer Data) और पाया कि जितना ज्यादा वह कॉफी खरीदता था, उतनी कम छूट उसे मिलती थी। भारत में भी ई-कॉमर्स ( E Commerce ) और रिटेल कंपनियां ऐसी रणनीति अपना रही हैं, जिससे ग्राहकों को नुकसान हो रहा है।

लॉयल्टी कार्ड में छूट का भरम। फोटो: द वाशिंगटन पोस्ट, डिजाइन: पत्रिका नेटवर्क

पत्रकार ने मांगा स्टारबक्स से अपना डेटा

इस पत्रकार ने कैलिफोर्निया के गोपनीयता कानून के तहत स्टारबक्स से अपने डेटा की मांग की। आठ पन्नों की रिपोर्ट में हर खरीदारी, ऐप पर हर क्लिक (एक दिन में 93 क्लिक!) और 64 अन्य कंपनियों के साथ डेटा साझा करने की जानकारी थी। पूर्व अमेरिकी अधिकारियों सैमुअल लेविन और स्टेफनी गुयेन ने बताया कि कंपनियां आपकी आय, आदतों और भुगतान की इच्छा का अनुमान लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करती हैं। भारत में फ्लिपकार्ट, मिंत्रा और रिलायंस जैसे प्लेटफॉर्म ग्राहकों के ब्राउजिंग इतिहास, स्थान और खरीदारी पैटर्न के आधार पर ‘निगरानी मूल्य निर्धारण’ लागू कर रहे हैं। इसका मतलब है कि एक ही प्रोडक्ट के लिए अलग-अलग ग्राहकों से अलग-अलग कीमत वसूल की जा सकती है।

ये सिर्फ कंपनियों के लिए फायदेमंद: लेविन

लेविन ने कहा, “लॉयल्टी प्रोग्राम जीत-जीत का सौदा लगते हैं, लेकिन ये सिर्फ कंपनियों के लिए फायदेमंद हैं।” भारत में, जहां महंगाई पहले ही मध्यम वर्ग को परेशान कर रही है, ये प्रोग्राम उपभोक्ताओं को फंसाने का जाल बन गए हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप नियमित रूप से अमेजन प्राइम पर खरीदारी करते हैं, तो आपको कम छूट मिल सकती है, क्योंकि कंपनी जानती है कि आप प्रीमियम ग्राहक हैं। वेंडरबिल्ट पॉलिसी एक्सेलरेटर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियां वफादार ग्राहकों से ज्यादा कीमत वसूल रही हैं, जो सामान्य धारणा के उलट है। भारत में बिग बाजार और DMart जैसे रिटेल स्टोर भी ऐसे डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे कम आय वाले ग्राहकों को कम छूट मिलती है।

भारत में डेटा गोपनीयता कानून का असर

भारत में डेटा गोपनीयता कानून (DPDP Act, 2023) लागू होने के बाद भी, कंपनियां ग्राहकों से इकट्ठा किए गए डेटा का खुलासा करने में आनाकानी करती हैं। स्टारबक्स ने स्वीकार किया कि वह खरीदारी के आधार पर छूट देता है, लेकिन यह नहीं बताया कि नियमित ग्राहकों को कम ऑफर क्यों मिलते हैं। भारत में ई-कॉमर्स कंपनियां भी यही रणनीति अपनाती हैं, जिससे ग्राहक अनजाने में ज्यादा खर्च करते हैं। गुयेन ने कहा, “ये प्रोग्राम कीमत तय करने की प्रयोगशाला बन गए हैं।” कंपनियां आपके डेटा से यह अनुमान लगाती हैं कि आप कितना खर्च कर सकते हैं, और फिर उसी के हिसाब से कीमतें बढ़ाती हैं।

लॉयल्टी प्रोग्राम उपभोक्ताओं के लिए नुकसानदेह

दरअसल लॉयल्टी प्रोग्राम उपभोक्ताओं को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। पहले तो ये बड़ी छूट का वादा करते हैं, फिर धीरे-धीरे लाभ कम कर देते हैं। भारत में एयरलाइन प्रोग्राम जैसे Vistara Club या IndiGo 6E Rewards में पॉइंट्स की वैल्यू अक्सर घट जाती है। दूसरा, ये आपको जाल में फंसाते हैं—पॉइंट्स खोने के डर से आप प्रोग्राम छोड़ नहीं पाते। तीसरा, ये समय की बर्बादी हैं। हर खरीदारी में ऐप डाउनलोड करना या नियम समझना एक बोझ बन जाता है। भारत में, जहां डिजिटल खरीदारी तेजी से बढ़ रही है, ये प्रोग्राम मध्यम वर्ग के लिए जरूरत बन गए हैं, लेकिन गोपनीयता की कीमत चुकानी पड़ती है।

भारत सरकार डेटा गोपनीयता कानून और सख्त करे

बहरहाल लेविन और गुयेन का सुझाव है कि भारत सरकार को डेटा गोपनीयता कानूनों को और सख्त करना चाहिए। उपभोक्ता अपने डेटा की मांग कर सकते हैं या शिकायत दर्ज कर सकते हैं। भारतीय उपभोक्ताओं को सलाह है कि वे एक ही प्लेटफॉर्म पर निर्भर न रहें और खरीदारी को अलग-अलग जगहों पर बांटें, ताकि कंपनियां उनकी आदतों का अनुमान न लगा सकें।

(वॉशिंग्टन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है।)


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