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‘महागठबंधन चुनाव जीता तो Waqf law कूड़ेदान में फेंक दूंगा’, बिहार चुनाव में कैंपेंन के दौरान Tejashwi Yadav ने किया वादा

Bihar elections: तेजस्वी लगातार चुनावी वादे करते जा रहे हैं। अब सीमांचल में उन्होंने मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए वक्फ कानून को लेकर बड़ा बयान दिया है। पढ़ें पूरी खबर...

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राजद नेता तेजस्वी यादव (Photo-IANS)

Bihar elections: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां वादे और दावे कर रही हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता व महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने मुस्लिम वोटरों (Muslim Voters) को लुभाने के लिए बड़ा वादा किया है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी सरकार आती है तो बिहार में वक्फ कानून खत्म कर दिया जाएगा।

सीमाचंल में नीतीश और मोदी पर गरजे तेजस्वी

सीमांचल की चार विधानसभा सीटों प्राणपुर, कोचाधामन, जोकीहाट और नरपतगंज में प्रचार करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि यह संविधान बचाने की लड़ाई है। राजद नेता ने कहा कि यह देश सबका है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सभी ने कुर्बानी दी है। हमारे देश का संविधान सभी को समान अधिकार देता है।

लालू ने कभी नहीं किया समझौता

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि लालू यादव ने कभी भी विचारधारा से समझौता नहीं किया। नीतीश और जदयू के कारण ही बिहार में भाजपा और RSS ने अपने पैर पसारे। आज हमारे चाचा नीतीश कुमार ने रास्ता बदल लिया है और BJP के साथ चले गए हैं। अगर बिहार में किसी ने BJP के लिए जगह बनाई है, तो वह नीतीश कुमार हैं। अगर किसी ने बिहार में RSS को खत्म किया है, तो वह नीतीश कुमार ही हैं। तेजस्वी ने कहा कि जब हमारी सरकार थी, RSS में यहां आकर दंगे भड़काने की हिम्मत नहीं थी। हम कभी नहीं झुके।

सीमांचल में भ्रष्टाचार चरम पर

तेजस्वी ने सीमांचल को देश का सबसे गरीब इलाका बताते हुए कहा कि यहां भ्रष्टाचार चरम पर है। पुलिस थानों और ब्लॉक ऑफिस में घूसखोरी ने सरकारी सेवाओं को रिश्वत का बंधक बना दिया है। बिना माल दिए यहां कोई काम नहीं होता है। उन्होंने सरकार बनने पर सीमांचल डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाने की घोषणा की।

सीमांचल में मुस्लिम फैक्टर

सीमांचल के चार जिलों पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया की 24 सीटों में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। 12 ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम आबादी 50 फीसदी के आसपास है, जबकि अन्य 12 सीटों पर भी उनका झुकाव मायने रखता है। पिछली बार ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल की 20 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे और 5 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की, लेकिन कुछ समय बाद पार्टी के 4 विधायक, मो. इजहार असफी (कोचाधामन), शाहनवाज आलम (जोकीहाट), सयैद रुकनुद्दीन (बायसी) और अजहर नईम (बहादुरगंज) टूटकर राजद में जा मिले। यह AIMIM के लिए बड़ा झटका था।

इस बार उनकी हालत पिछली बार की तुलना में कमजोर मानी जा रही है। ओवैसी चुनाव से पहले लगातार इस कोशिश में थे कि किसी भी तरह उन्हें महागठबंधन में शामिल कर लिया जाए और कुछ सीटें दी जाएं। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल इलाके में कांग्रेस राजद गठबंधन को 10, NDA को 9 और AIMIM के खाते में 5 सीटें आईं। इसलिए वोटों के बिखराव को रोकने के लिए महागठबंधन इस बार पूरी ताकत झोंके हुए है।

एक मुस्लिम को डिप्टी सीएम बनाने की बात

बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने कहा कि महागठबंधन की सरकार बनने पर दो या चार डिप्टी सीएम बन सकते हैं। इसमें एक डिप्टी सीएम मुस्लिम भी होगा।

हिस्सेदारी आबादी की तुलना में आधी भी नहीं

बिहार में साल 2022-23 में हुए जातीय सर्वे के हिसाब से 13.07 करोड़ की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 17.7 फीसदी है, लेकिन सभी पार्टियों को मिलाकर भी 17 फीसदी मुस्लिम प्रत्याशी विधायक चुनकर विधानसभा नहीं पहुंचे। 1990 से 2020 तक कुल सीटों में मुस्लिमों की हिस्से क्रमश: 5.55%, 7.09%, 9.25%, 9.87%, 7.81%, 9.87%, 7.81% फीसदी रही।

महागठबंधन में किसने कितने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे

RJD ने अपने 143 कैंडिडेट में से 18 मुस्लिम को टिकट दिया है। पार्टी ने 2020 में भी 18 मुस्लिम (144 कैंडिडेट में से) को टिकट दिया था, जिनमें से आठ जीते थे। कांग्रेस ने इस बार 10 मुस्लिम को टिकट दिया है। जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 12 को टिकट दिया था। इनमें से चार मुस्लिम कैंडिडेट MLA चुने गए थे। CPI (ML) लिबरेशन ने अपने 20 कैंडिडेट में दो मुस्लिम को टिकट दिया है। 2020 में पार्टी के 19 कैंडिडेट में से तीन मुस्लिम थे, जिनमें से एक MLA चुना गया था। महागठबंधन में शामिल VIP ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारे।

क्या है वक्फ कानून ?

वक्फ कानून (Waqf Act) भारत में एक कानूनी ढांचा है जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संरक्षण और उपयोग को नियंत्रित करता है। संसद ने अप्रैल में वक्फ (अमेंडमेंट) एक्ट पास किया था। सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टरों को वक्फ प्रॉपर्टीज़ पर बड़े अधिकार देने और वक्फ बनाने के लिए पांच साल तक इस्लाम की प्रैक्टिस करने की ज़रूरत वाले नियमों पर कुछ समय के लिए रोक लगा दी थी।