Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Bihar Election: 17.7 फीसदी मुस्लिम महज वोट बैंक बनकर सीमित, आबादी की तुलना में हिस्सेदारी आधी भी नहीं

बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक की तरह इस्तेमाल होते रहे हैं। जातीय सर्वे के हिसाब से बिहार की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 17.7 फीसदी है, लेकिन बिहार विधानसभा में उनकी हिस्सेदारी आधी से भी कम है।

3 min read
Google source verification
Share of Muslim population in Bihar

बिहार में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी (फोटो-IANS)

Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। इस बार 2020 के चुनावों की तुलना में कम मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं। जहां बीजेपी (BJP) ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार (Muslim candidates) को टिकट नहीं दिया है, तो वहीं RJD, कांग्रेस, लेफ्ट और जदयू ने भी कम मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी अपने कैंपेन में बिहार में मुस्लिम नेताओं की पौध खड़ा करने पर जोर दे रहे हैं।

मुस्लिम MLA: लालू-नीतीश का दौर (1990-2020)

बीते 30 साल में 8 विधानसभा चुनाव हुए। 1990 से 2000 तक बिहार विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 324 थी। 1990 में 324 में से कुल 18 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीते। 1995 में 324 में से 23 मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। साल 2000 में 324 में से 30 मुस्लिम उम्मीदवार विधायक बनकर बिहार विधानसभा पहुंचे। इसके बाद बिहार का विभाजन हो गया। झारखंड अगल राज्य बना और बिहार विधानसभा की सीटें घटकर 243 हो गई। साल 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में 24 मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। इस चुनाव में किसी भी दल या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला। इसके बाद अक्टूबर 2005 में विधानसभा चुनाव हुए। इसमें 16 मुस्लिम प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। इसके बाद साल 2010 में 19, साल 2015 24 और साल 2020 में 19 मुस्लिम उम्मीदवार जीते।

बिहार में साल 2022-23 में हुए जातीय सर्वे के हिसाब से 13.07 करोड़ की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 17.7 फीसदी है, लेकिन सभी पार्टियों को मिलाकर भी 17 फीसदी मुस्लिम प्रत्याशी विधायक चुनकर विधानसभा नहीं पहुंचे। 1990 से 2020 तक कुल सीटों में मुस्लिमों की हिस्से क्रमश: 5.55%, 7.09%, 9.25%, 9.87%, 7.81%, 9.87%, 7.81% फीसदी रही।

JDU ने उतारे सिर्फ चार मुस्लिम उम्मीदवार

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जनता दल (यूनाइटेड) की रणनीति में साफ बदलाव दिख रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 2005 से माइनॉरिटी समुदाय को साथ रखने की कोशिशों के बावजूद, JD-U ने 101 सीटों में से सिर्फ चार पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। यह कदम पार्टी के मुस्लिम वोटरों से दूरी और उम्मीदवारों पर खत्म हो रहे भरोसे का संकेत देता है।

नीतीश ने BJP के साथ गठबंधन के बावजूद अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के जरिए अपनी सेक्युलर छवि बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन नतीजा सिफर रहा। जदयू ने बीजेपी संग गठबंधन में रहते हुए साल 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में 14 और 2020 के विधानसभा 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक सीट पर भी जीत नहीं मिली। हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने RJD-कांग्रेस गठबंधन किया था। इस चुनाव में जदयू ने 7 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, जिनमें उसे 5 पर जीत मिली। अब एक बार फिर जदयू, बीजेपी संग गठबंधन में है।

राजद ने दिया 18 मुस्लिम को टिकट

RJD ने अपने 143 कैंडिडेट में से 18 मुस्लिम को टिकट दिया है। पार्टी ने 2020 में भी 18 मुस्लिम (144 कैंडिडेट में से) को टिकट दिया था, जिनमें से आठ जीते थे। कांग्रेस ने अब 10 मुस्लिम को टिकट दिया है। जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 12 को टिकट दिया था। इनमें से चार मुस्लिम कैंडिडेट MLA चुने गए थे। CPI (ML) लिबरेशन ने अपने 20 कैंडिडेट में दो मुस्लिम को टिकट दिया है। 2020 में पार्टी के 19 कैंडिडेट में से तीन मुस्लिम थे, जिनमें से एक MLA चुना गया था। महागठबंधन में शामिल VIP ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारे। जबकि, NDA में शामिल लोजपा (रामविलास) ने सिर्फ एक मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा है।