कहानियों और कविताओं से स्वच्छता की सीख
बच्चों में स्वच्छता की आदत डालना आवश्यक है ताकि वे जीवनभर स्वस्थ और जिम्मेदार नागरिक बनें। कहानियों, कविताओं, चित्रों और खेलों के माध्यम से उन्हें स्वच्छता का महत्त्व सिखाया जा सकता है। माता-पिता और शिक्षक स्वयं आदर्श बनकर बच्चों को स्वच्छता अपनाने के लिए प्रेरित करें। - लहर सनाढ्य, उदयपुर
अनुकरण से आती है स्वच्छता की आदत
स्वच्छ परिवेश के लिए बच्चों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता जरूरी है। बड़े जब स्वच्छता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, तो बच्चे भी वैसा ही करने को प्रेरित होते हैं। अच्छी आदतें पढ़ाने से नहीं, बल्कि अनुकरण से विकसित होती हैं। - नेम बिश्नोई, फलौदी
छोटी-छोटी आदतें बनें प्रेरणा
बच्चों को रोज ब्रश करना, नहाना, बाहर से आने पर हाथ-पैर धोना और खाने से पहले हाथ साफ करने जैसी छोटी-छोटी बातें सिखाकर उनमें स्वच्छता की आदत डाली जा सकती है। स्वच्छता को रोजमर्रा की दिनचर्या का हिस्सा बनाना जरूरी है। - वसंत बापट, भोपाल
घर बने बच्चों की पहली पाठशाला
बच्चे वही सीखते हैं, जो माता-पिता करते हैं। इसलिए पहले बड़ों को खुद स्वच्छता अपनानी चाहिए। वे जब अपने बच्चों के समक्ष स्वच्छता से जुड़ी बातें और उसके लाभ बताएंगे, तो बच्चे स्वतः प्रेरित होंगे। - शंकर गिरि, रावतसर
सीख और व्यवहार दोनों जरूरी
बच्चों को भोजन से पहले और शौच के बाद हाथ धोना, नियमित स्नान करना और साफ-सफाई रखना सिखाना जरूरी है। घर और स्कूल दोनों जगह स्वच्छता की शिक्षा के साथ बीमारियों से बचाव की जानकारी भी दी जानी चाहिए। - संजय कुमार मासलपुर (करौली)
Published on:
08 Oct 2025 01:46 pm
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