
शक्तिशाली देशों की अंतरिक्ष रणनीति में आकार ले रहा नया युद्ध प्रारूप
अंतरिक्ष में बने 'स्पेस स्टेशनों' के जरिए भविष्य में कुछ देशों की 'मिसाइल अटैक' वाली मंशाओं की संभावनाओं के बीच भारत अतंरिक्ष में अपना पैर अंगद की भांति जमाने की दिशा में आगे बढ़ चुका है। हम ज्यादा नहीं, सिर्फ दशक भर बाद किसी पराए नहीं, स्वनिर्मित स्पेस स्टेशन में अपने अंतरिक्ष यात्री उतारा करेंगे। इसके लिए भारतीय वैज्ञानिकों की कोशिशें अंतिम चरण और शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष से धरती पर लौटने के बाद जोश हाई है। कुल मिलाकर अगर ये मिशन दस सालों में मुकम्मल होता है, तो स्पेस में भी हम सफलता के झंडे गाड़ देंगे।
आत्मनिर्भरता की विधा में जमीन से कोसों मील दूर अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो द्वारा वर्ष-2035 तक अंतरिक्ष में खुद का ‘स्पेस स्टेशन’ बनाने का ऐलान किया जा चुका है। बेशक शुभांशु शुक्ला नासा अधिकृत मिशन के जरिए अभी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाकर आए हों, पर भविष्य में जब कोई भारतीय अंतरिक्ष में यात्रा करेगा तो वह अपने स्पेस स्टेशन में ही लैंड करेगा। ऐसी सफलता निश्चित रूप से बदलते हिंदुस्तान की अकल्पनीय, करिश्माई, व अनोखी कही जाएगी।
शक्तिशाली देश अंतरिक्ष क्षेत्र को क्यों तवज्जो देने में लगे हैं? क्यों वहां नित नई तकनीकी शक्तियों के विस्तार में जुटे हैं? क्या भविष्य में ‘स्पेस स्टेशन’ के जरिए मिसाइल अटैक करने की कोई योजनाएं तो नहीं बनाई जा रही हैं? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में कौंधने लगे। सवाल उठने वाजिब इसलिए भी हैं, क्योंकि मौजूदा समय में ज्यादातर देश अपनी लड़ाइयां जमीन को छोडक़र हवाई मिसाइलों से लड़ने लगे हैं।
ईरान, इजरायल, गाजा, फिलिस्तीन, यूक्रेन-रूस और अभी हाल में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव में हुए सीजफायर इसके उदाहरण हैं। शायद वह वक्त दूर नहीं, जब आगामी लड़ाइयों की आहट हमें सीधे अंतरिक्ष से सुनाई दिया करेंगी। अभी तक दो देशों के बीच युद्ध जमीन, हवा और पानी में ही दिखाई देते थे। पर, भविष्य की जंग अंतरिक्ष से लड़ी जाने की संभावनाओं को नहीं नकारा जा सकता। ये बातें बेशक चौंकाने वाली हों, पर ऐसा मुमकिन होता दिखाई पडऩे लगा है। अंतरिक्ष स्टेशनों से युद्ध स्तर पर विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक शोधों में कुछ मुल्क बीते कुछ दशकों से लगे हुए हैं। अभी तक अंतरिक्ष में मात्र दो ही स्पेस स्टेशन हैं। पहला, ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ जिसे अमरीका-रूस व अन्य देशों ने अपने साझा प्रयास से मिलकर तैयार किया है। वहीं, दूसरा स्पेस स्टेशन चीन का निजी है।
हालांकि अब रूस, अमरीका, भारत व एकाध और अन्य मुल्क अपने-अपने निजी स्पेस स्टेशन बनाने के अंतिम चरणों में हैं। अगले 10 वर्ष में भारत के अलावा रूस भी अपना स्पेस स्टेशन स्थापित कर लेगा। मकसद भले ही इन स्पेस स्टेशनों का प्रयोग वैज्ञानिक शोधों के लिए हो, लेकिन इस बात से इनकार नहीं कर सकते हैं कि इन स्पेस स्टेशनों के जरिए कुछ देश सैटेलाइट्स मिसाइलों से युद्ध करने का जुगत लगारहे हों। बहरहाल, 41 बरस बाद शुभांशु शुक्ला के रूप में अब हमारा भी एक अतंरिक्ष यात्री स्पेस में जाकर वापस लौटा है। इस बार उनके जाने का माध्यम भले ही ‘एक्सिओम मिशन-4’ क्यों न रहा हो लेकिन भविष्य में ये निर्भरता खत्म होने को है। अंतरिक्ष में निजी स्पेस स्टेशन सिर्फ चीन का है, लेकिन उस दिशा में भारत भी करीब पहुंच चुका है।
वर्ष 2009 में अमरीका ने रूस के साथ एक करार किया था, जिसमें उन्होंने अपना अलग स्पेस स्टेशन बनाने का प्रस्ताव रखा था। उस प्रस्ताव की प्रासंगिकता अब समझ में आती है। अपने निजी स्पेस स्टेशन के जरिए अमरीका अंतरिक्ष से मिसाइल युद्ध की योजना बना रहा है। अंतरिक्ष में भी अपना एकछत्र राज करना चाहता है। धरती से अंतरिक्ष की दूरी करीब 62 मील है, जिसे पूरा करने में 28 घंटे लगते हैं।
इतनी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल अमरीका तैयार कर रहा है। अंतरिक्ष में 24 घंटे में 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त होता है। 90-90 मिनट की दिन और रात होती है। अंतरिक्ष स्टेशन 24 घंटे में पृथ्वी के चारों ओर लगभग 16 बार चक्कर लगाता है। सैटेलाइट मिसाइलों का प्रयोग अतंरिक्ष से कैसे हो, इसके लिए नासा की रिसर्च बहुत पहले से जारी है।इसरो और नासा अंतरिक्ष में मानव जीवन, सांस, पानी होने की पड़तालों में भी जुटे हैं। पर, इसरो का अगला कदम वर्ष 2035 में अंतरिक्ष में खुद का ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ स्थापित करने के अलावा वर्ष 2040 तक चंद्रमा पर मनुष्य को उतारना है। इसके लिए वह ‘मिशन गगनयान’ को लांच करने की घोषणा पहले ही कर चुका है। इस मिशन में लगे वैज्ञानिकों को विशेष स्पेस ट्रेनिंग दी जा रही है। अंतरिक्ष से लौटे शुभांशु की यह उड़ान केवल एक मिशन नहीं, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक नए युग में साहसपूर्वक कदम रखने का संकेत भी है। इसरो अपने आगामी ‘गगनयान मिशन’ को अब तक के सबसे बड़े मिशन में गिन रहा है जिसकी तैयारियां में बीते कई वर्षों से देश के टॉप 400 अतंरिक्ष वैज्ञानिक लगे हैं।
Updated on:
17 Jul 2025 02:20 pm
Published on:
17 Jul 2025 02:05 pm
बड़ी खबरें
View Allओपिनियन
ट्रेंडिंग

